हाल में कई रिपोर्टें आई हैं जो बताती हैं कि नेपाल-भारत सीमा पर तेजी से डेमोग्राफी में बदलाव हो रहा है। मस्जिद-मदरसों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए 20 से 27 अगस्त 2022 तक ऑपइंडिया की टीम ने सीमा से सटे इलाकों का दौरा किया। हमने जो कुछ देखा, वह सिलसिलेवार तरीके से आपको बता रहे हैं। इस कड़ी की 14वीं रिपोर्ट:
पिछली रिपोर्ट में हमने बलरामपुर जिला मुख्यालय से नेपाल बढ़नी बॉर्डर की तरफ जा रहे हाइवे पर बनी मज़ारों, मस्जिदों और मदरसों को स्थानों के नाम सहित बताया था। इस रिपोर्ट में हमने उसी राह में पड़ने वाले स्थानीय निवासियों और जनप्रतिनिधियों से बात की। उन्होंने हमें एक स्वर में बताया कि नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में इस्लामी इबादतगाहों के साथ-साथ मुस्लिम आबादी भी तेजी से बढ़ी है।
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दीन की बातों का इनकार करने वाला काफिर
गैंसड़ी के पास बने पेट्रोल पम्प पर अपने वाहन में डीजल डलवाते हुए हमें स्थानीय मदरसे के 2 छात्र आते दिखे। दोनों की उम्र 10 साल के आस-पास थी। उन दोनों ने खुद को बनकटवा गाँव का रहने वाला बताया। दोनों ने बताया कि वो कुरान की पढ़ाई कर रहे हैं। हमने उनसे काफिर की परिभाषा पूछी तो उन्होंने बतया कि जो दीन की बातों में से किसी बात को इनकार करे, वो ‘काफिर’ होता है।
आज़ादी के बाद से आज तक रँवरी गाँव में नहीं बना हिन्दू प्रधान
बलरामपुर तुलसीपुर मार्ग पर पड़ने वाले गाँव रँवारी में हम थोड़ी देर के लिए रुके। यहाँ हमारी मुलाकात कुछ काम से आए भगवानपुर गाँव के प्रधान प्रतिनधि अनूप पांडेय से हुई। अनूप की पत्नी ही भगवानपुर की प्रधान हैं। अपने पड़ोसी गाँव रँवारी के बारे में बात करते हुए अनूप पांडेय ने कहा कि इस गाँव में 80% आबादी मुस्लिमों की है।
इसी के साथ उन्होंने बताया कि आज़ादी के बाद आज तक कभी रँवारी गाँव में हिन्दू प्रधान बन ही नहीं पाया। अनूप के मुताबिक रँवारी गाँव में मुस्लिमों का दबदबा है और हिन्दू डर कर रहते हैं। उन्होंने कहा कि गाँव की आबादी 2645 है, जिसमें हिन्दू लगभग 600 ही हैं, इनमें पिछड़ी जाति के लोग अधिक हैं।
सऊदी से आने वाले मुस्लिम करते हैं हंगामा
भगवानपुर गाँव के प्रधान प्रतिनिधि अनूप पांडेय के मुताबिक पुराने मुस्लिम कुछ ठीक थे लेकिन जो नई पीढ़ी के मुस्लिम हैं, वो हंगामा करते हैं। अनूप के मुताबिक हंगामा मचाने वाले वो मुस्लिम हैं, जो सऊदी अरब या कहीं बाहर से कमा कर गाँव आते हैं, वो हमेशा लड़ाई-झगड़े के मूड में रहते हैं।
अनूप के मुताबिक रँवारी गाँव में 3 मस्जिदें और 3 ही मदरसे हैं। उन्होंने आगे बताया कि पहले की समाजवादी पार्टी और अब योगी सरकार में जमीन आसमान का अंतर है। उन्होंने बताया कि इस सरकार में हिन्दू खुद को सुरक्षित महसूस कर रहा है।
जिस गाँव में मुस्लिम नहीं, वहाँ भी मस्जिद बनाने की कोशिश
अनूप पांडेय ने बताया कि उनके गाँव भगवानपुर में मुस्लिम नहीं हैं लेकिन एक बार वहाँ भी मस्जिद बनाने की कोशिश की गई थी। उन्होंने ये भी बताया कि गाँव वालों के विरोध के चलते मस्जिद नहीं बन पाई। हालाँकि अनूप ने बताया कि उस गाँव में पहले से ही कर्बला बने हुए थे, जहाँ मज़ार बनाने का प्रयास हुआ।
सरकार अपनी है, इसलिए हम सुरक्षित
रँवरी गाँव के रहने वाले दलित समुदाय के मंगल ने ऑपइंडिया से बात की। उन्होंने बताया कि हम सुरक्षित इसलिए हैं क्योंकि सरकार योगी जी की है। उन्होंने अपनी सुरक्षा के कारणों में आस-पास में कुछ हिन्दू बहुल गाँवों का भी होना भी बताया। मंगल ने कहा कि पिछली सरकार में उन सभी का जीना हराम हो गया था।
हाँ, बढ़ी हैं मुस्लिमों की आबादी और इबादतगाहें
बलरामपुर जिले के पत्रकार सीपी मिश्रा हमें तुलसीपुर में मिले। उन्होंने हमसे बात करते हुए बताया कि इसमें कोई 2 राय नहीं है कि बलरामपुर जिले में मुस्लिमों की आबादी हिन्दू समाज की तुलना में तेजी से बढ़ी है। इसी के साथ सीपी मिश्रा ने हमें ये भी बताया कि उनके बचपन में जिले में इस्लामी इबादतगाहें कहीं-कहीं देखने को मिलती थी, आज वो कदम-कदम पर दिख जाया करती हैं।
अभी भी लाउडस्पीकर बाँध कर होतीं हैं तकरीरें
बलरामपुर के सीमवर्ती पचपेड़वा थानाक्षेत्र के गाँव गणेशपुर धवाई के ग्राम प्रधान के भाई सरोज कुमार मिश्रा ने हमसे बात की। उन्होंने ये स्वीकार किया कि नेपाल बॉर्डर के सीमवर्ती क्षेत्रों में पिछले कुछ ही सालों के अंदर मुस्लिम आबादी और इबादतगाहें तेजी से बढ़ी हैं। उन्होंने कहा कि योगी सरकार और पुलिस का डर गलत करने वालों में जरूर है लेकिन अभी भी कई क्षेत्रों में DJ और लाउडस्पीकरों की तेज आवाज में तकरीरें और अपने मज़हबी कार्यक्रम किए जा रहे हैं।
गाँव में 30% से बढ़ कर 50% हो गए मुस्लिम
लगभग 40 वर्षीय सरोज मिश्रा ने हमें बताया कि उनके बचपन में उनके गाँव गणेशपुर धवाई में हिन्दू लगभग 70% और मुस्लिम लगभग 30% था लेकिन अब ये अंतर 50-50% का रह गया है। मिश्रा ने हमें बताया कि पहले की सरकारों में तो अज़ान के समय दुर्गापूजा का गाना भी बंद करवा दिया जाता था। उन्होंने बताया कि तब हालात ऐसे थे कि जेनरेटर को बंद करना पड़ता था और बैटरी की चिमटी उतार देनी पड़ती थी।
बाहर से आता है चंदा
सरोज मिश्रा ने हमें बताया कि तकरीरों और अन्य मज़हबी गतिविधियों को संचालित करने के लिए उनके इलाके के मुस्लिमों को हैदराबाद जैसे शहरों से चंदा आता है। उनके मुताबिक ये चंदा कुछ गिने-चुने लोगों के पास ही आता है। सरोज ने ये भी कहा कि अभी भी लाउडस्पीकर पर अज़ान की आवाजें सुनाई देती हैं। मिश्रा ने कहा कि कभी-कभी तो लगता है कि हम हिंदुस्तान में हैं या पाकिस्तान में।
कभी मस्जिद से हुआ था हथियार लेकर निकलने का ऐलान
प्रधान परिवार के सरोज ने हमें बताया कि साल 2009 में उन लोगों ने पहली बार दुर्गापूजा स्थापित की थी तो उसमें विवाद खड़ा हो गया था। मिश्रा के मुताबिक तब बहुजन समाज पार्टी की सरकार थी और उनके क्षेत्र के विधायक का नाम अलाउद्दीन था। सरोज ने बताया कि उस समय पुलिस के आगे ही मस्जिद से ऐलान हुआ था कि हथियार ले कर निकलो और मूर्ति न लगने दो। मिश्रा ने बताया कि इतने विरोध के बाद भी मूर्ति स्थापना गाँव में हुई।
मूर्ति जमा हो गई थी थाने में, जिसे लाना पड़ा कोर्ट से
2009 की घटना याद करते हुए सरोज मिश्रा ने कहा कि तब बसपा विधायक अलाउद्दीन ही इस साजिश के पीछे विरोधियों को समर्थन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि उस समय हम लोगों द्वारा स्थापित माँ दुर्गा की मूर्ति को पुलिस ने थाने में जमा कर दिया था, जिसे हम लोगों ने सम्मान बचाने के लिए हाईकोर्ट से रिलीज करवाया था।
अपने ही पूरे गाँव में नहीं घुमा पाते देवताओं की मूर्तियाँ
सरोज मिश्रा के मुताबिक माँ दुर्गा की मूर्ति की स्थापना लगभग 5 वर्षों तक गाँव में विवाद का विषय बनी रही, जो बाद में धीरे-धीरे नॉर्मल हुई। उन्होने बताया कि अभी भी वो मूर्ति अपने ही पूरे गाँव में इसलिए नहीं घुमा पाते हैं क्योंकि रास्ते में एक मस्जिद पड़ती है। सरोज ने बताया कि मस्जिद के बाद लगभग 40% हिन्दू आबादी है लेकिन फिर भी पुलिस उस मस्जिद के आगे से आज भी मूर्ति नहीं ले जाने देती जबकि उस पार के हिन्दू हमेशा माँग करते रहते हैं।
पचपेड़वा से हम सरोज मिश्रा से बात करके गैंसड़ी की तरफ कुछ ही आगे बढ़े, तभी हमें रजडेरवा नाम की जगह पर मूर्ति विसर्जन का एक जुलूस दिखा। जुलूस में जय श्री राम के नारे लग रहे थे, जिसमें महिलाएँ और बच्चे भी शामिल थे। हमें बताया गया कि वो लोग जन्माष्टमी के बाद भगवान कृष्ण की मूर्ति विसर्जन करने जा रहे हैं। जुलूस के साथ पुलिस फ़ोर्स भी चल रही थी। हमने इस जुलूस के आयोजक से बात की।
यहाँ मुस्लिम 75% और हिन्दू 25%
जुलूस का नेतृत्व कर रहे कृष्णदेव यादव ने हमें बताया कि वो रजडेरवा के निवासी हैं जहाँ मुस्लिमों की आबादी 75% और हिन्दू 25% हैं। उन्होंने गाँव में अकरम की पत्नी को ग्राम प्रधान बताया और चुनाव में खुद को उन्हीं से हारा हुआ प्रत्याशी बताया। उन्होंने गाँव में कुल 1560 वोटरों में 870 मुस्लिमों का वोट बताया।
कृष्णदेव के मुताबिक वो बुलडोजर बाबा के भक्त हैं क्योंकि इस सरकार से पहले वहाँ के हिन्दुओ को बहुत दिक्क्तों से रूबरू होना पड़ता था। जब हमने दिक्क्तों के बारे में सवाल किया तब उन्होंने बताया कि पहले की सरकारों में वो अपने धार्मिक जुलूस तक नहीं निकाल पाते थे। इसी के साथ उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों में उनकी सुनवाई नहीं होती थी लेकिन अब प्रशासन उनकी बातों पर गौर करता है।
नेपाल बॉर्डर पर तेजी से बढ़ रही मुस्लिमों की आबादी
हमसे बात करते हुए कृष्णदेव यादव ने कहा कि ये सच है कि नेपाल बॉर्डर पर तेजी से मुस्लिमों की आबादी बढ़ रही है। खुद को 50 साल का बताते हुए कृष्णदेव यादव ने कहा कि पहले न तो इतनी मुस्लिम आबादी थी और न ही इतने मस्जिद-मदरसे। उन्होंने कहा कि उनके बचपन में इस क्षेत्र में आबादी और इबादतगाहों का ये हाल नहीं था। भीड़ में से एक व्यक्ति ने इलाके में रोहिंग्या मुस्लिमों की भी घुसपैठ होना बताया।
हम पहले समाजवादी थे पर अब योगीवादी
जुलूस में शामिल एक अन्य व्यक्ति धर्मेंद्र यादव ने कहा कि पहले वो समाजवादी पार्टी के समर्थक थे लेकिन उस सरकार में उन्हें मुस्लिमों ने बहुत सताया। अब धर्मेंद्र यादव ने खुद को योगीवादी बताते हुए 2024 में नरेंद्र मोदी को फिर से जिताने की बात कही। उन्होंने कहा कि योगी सरकार में वो सुरक्षित हैं। उनके ऐसा कहने पर पूरे जुलूस में शामिल अन्य लोगों ने जिंदाबाद के नारे लगाए। जुलूस में शामिल अन्य लोगों ने कहा कि उनके 4 और 14 वाली नीति से आबादी तेजी से एकतरफा बढ़ रही है।
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