जम्मू-कश्मीर को निशाना बनाने वाले आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद ने अफगानिस्तान में अपने प्रशिक्षण शिविरों में 400 आतंकवादियों को तैयार किया है, जिन्हें कश्मीर घाटी में भेजे जाने से पहले तालिबान यूनिट्स के साथ तैनात किया गया है।
हिन्दुस्तान टाइम्स ने बताया कि पिछले महीने 12 अप्रैल को जब अफगानिस्तान फोर्स आतंक रोधी मिशन पर थी, तो गिरफ्तार किए गए आतंकियों से प्रारंभिक पूछताछ में उन्हें एक आतंकी कैंप के बारे में पता चला था। हालाँकि, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि वहाँ पर आधा दर्जन से अधिक आतंकी कैंप थे।
दिल्ली और काबुल में आतंकवाद विरोधी अधिकारियों ने बताया कि तालिबान के अफ़गानिस्तान सुलह ज़ाल्मे ख़ालिज़ाद के लिए अमेरिकी विशेष प्रतिनिधि के साथ 29 फरवरी के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद जैश-ए-मोहम्मद ने इन शिविरों में 400 लड़ाकों को तैयार किया था।
काबुल में एक आतंक रोधी अधिकारी ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा, “पूर्वी अफगानिस्तान में खोस्त से जलालाबाद के बीच और कंधार प्रांत में पाकिस्तान की सीमा से सटे इलाकों में भी जैश कैडर को तालिबान इकाइयों के साथ तैनात किया गया है।”
अधिकारियों ने कहा कि तालिबान और जैश-ए-मोहम्मद के बीच आपसी तालमेल है। कुछ खुफिया रिपोर्टों में कहा गया है कि लश्कर-ए-तैयबा ने जैश शिविरों में प्रशिक्षण के लिए अपने कैडर भी भेजे हैं। जिन्हें पाकिस्तान की इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस द्वारा सहायता दिया जा रहा है।
अफगान फोर्स द्वारा गिरफ्तार किए गए जैश के एक ऑपरेटिव्स में से एक जरार ने पूछताछ के दौरान बताया कि फोर्स द्वारा तहस-नहस किए गए ट्रेनिंग बेस को ‘पाकिस्तान के सैन्य कर्मियों द्वारा प्रशिक्षित, सुसज्जित और समर्थित बनाया जा रहा था।’ उनमें से कई ने बताया कि पाकिस्तानी सेना की तरफ से उन्हें हर तरह की मदद की जाती है, ताकि वो बच सके। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के निवासी के रूप में पहचाने जाने वाले ज़ेरार उनमें से एक था। उसे 15 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था।
मौलाना मसूद अजहर द्वारा स्थापित आतंकवादी समूह को उसके छोटे भाई मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर द्वारा चलाया जा रहा है। काबुल में राजनयिकों का कहना है कि मसूद अजहर के बड़े भाई, इब्राहिम अजहर को मध्य अफगानिस्तान में गजनी शहर में देखा गया है, संभवत: तालिबान के साथ संबंधों को गहरा करने के प्रयास के संदर्भ में वो वहाँ गए हों।
गौरतलब है कि पिछले दिनों NIA ने आतंकी और जैश-ए-मोहम्मद के ओवर ग्राउंड वर्कर शाकिर बशीर मागरे को कश्मीर से गिरफ्तार किया था। शाकिर ने पुलवामा के आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार को शरण और हमले के लिए अन्य सहायता उपलब्ध कराई थी।
आदिल अहमद डार ही वो आतंकी था जो कार में सवार होकर सुरक्षाबल के काफिले में जा घुसा था। शाकिर ने खुलासा किया कि उसने आदिल अहमद डार और एक और अन्य सहयोगी मोहम्मद उमर फारूक को साल 2018 के आखिरी से फरवरी में किए हमले तक अपने घर में शरण दी थी। शाकिर ने कार में रखे विस्फोटक को तैयार किया। लेथपोरा स्थित दुकान से वह सीआरपीएफ काफिले की मूवमेंट पर नजर रखता था।