राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने प्रतिबंधित इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के एक आतंकी अब्दुल सलीम को पकड़ा है। सलीम के खिलाफ निज़ामाबाद पीएफआई मामले में आरोप पत्र दाखिल किया था। हालाँकि, वह फरार हो गया था। उस पर NIA ने 2 लाख रुपए का नकद इनाम भी रखा था।
NIA के प्रवक्ता ने बताया, “उत्तरी तेलंगाना पीएफआई का राज्य सचिव अब्दुल सलीम 15वाँ आरोपित है, जिसे मूल रूप से जुलाई 2022 में निज़ामाबाद पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मामले में गिरफ्तार किया गया है। बाद में इस मामले को राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) को सौंप दिया गया था।”
एनआईए अधिकारी ने कहा कि सलीम पीएफआई के साजिशकर्ताओं के समूह का एक प्रमुख सदस्य था और यह मामला सामने आने के बाद से वह फरार था। उन्होंने बताया कि आरोपित को खुफिया जानकारी के आधार पर चलाए गए अभियान के बाद आंध्र प्रदेश के कडप्पा जिले के मायदुकुर से पकड़ा गया है।
एनआईए की जाँच से पता चला है कि अब्दुल सलीम पीएफआई में मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथ की राह पर धकेल रहा था। वह उन्हें कट्टरपंथ बनाने के लिए भर्ती करने में शामिल था। वह उन्हें संगठन के नापाक भारत विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए हथियार प्रशिक्षण के लिए आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों में भी भेजता था।
एनआईए ने दिसंबर 2022 में अब्दुल सलीम सहित 11 आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। उसके बाद पिछले साल मार्च में पाँच और दिसंबर में एक के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दायर किया था। एनआईए अधिकारी ने कहा कि पीएफआई और उसके आतंकियों की साजिश का एक अभिन्न हिस्सा साल 2047 तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाना था।
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने 16 मार्च 2023 को प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है। यह आरोप पत्र निजामाबाद मामले में PFI के 5 आरोपितों- शेख रहीम उर्फ अब्दुल रहीम, शेख वाहिद अली उर्फ अब्दुल वहीद अली, जफरुल्ला खान पठान, शेख रियाज अहमद और अब्दुल वारिस के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया था।
इससे पहले 30 दिसंबर 2022 को एनआईए ने 11 आरोपितों के खिलाफ पहला आरोप पत्र दाखिल किया था। NIA ने यह मामला अगस्त 2022 में तेलंगाना पुलिस से अपने हाथ में लिया था। तेलंगाना पुलिस ने इस मामले में 4 जुलाई 2022 को मामला दर्ज किया था।
चार्जशीट में कहा गया था कि ये अभियुक्त कुख्यात PFI के प्रशिक्षित कैडर शामिल हैं। ये प्रभावशाली मुस्लिम युवाओं को भड़काने और कट्टरपंथी बनाने का काम करते थे। इसके बाद उन्हें पीएफआई में भर्ती कराते थे। इसके अलावा, भर्ती कराए गए लोगों को PFI के प्रशिक्षण शिविरों में हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जाती थी।
दरअसल, एनआईए ने कराटे प्रशिक्षण केंद्र के नाम पर संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) द्वारा ट्रेनिंग कैंप चलाए जाने के मामले में सितंबर 2022 में छापेमारी की थी। एनआईए ने आंध्र प्रदेश के कुरनूल, नेल्लोर, कडपा, गुंटूर और तेलंगाना के निजामाबाद में संदिग्धों के घर व बिजनेस परिसरों की तलाशी भी ली थी।
इससे पहले जुलाई 2022 में तेलंगाना (Telangana) की निजामाबाद पुलिस ने कराटे और मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग की आड़ में देश विरोधी गतिविधियों के आरोप में PFI के 3 सदस्यों को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार आरोपितों के नाम शेख शहदुल्लाह, अब्दुल मोबीन और मोहम्मद इमरान हैं। इनमें एक आरोपित ने अब तक 200 मुस्लिमों को ट्रेनिंग देने की बात कबूली।
इन लोगों को देश के अलग-अलग हिस्सों में अस्थिरता फैलाने का टास्क मिला था। निजामाबाद पुलिस कमिश्नर द्वारा शेयर मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रेनिंग सेंटर में देश की धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ शिक्षा दी जा रही थी। यहाँ शरिया कानून लागू करने के लिए उकसाया जाता था। ट्रेनिंग के लिए गरीब और मध्यम वर्ग के युवाओं को भर्ती किया जा रहा था।
इन सभी का सरगना 52 साल का कादिर है। वह ट्रेनिंग में आने वाले युवाओं को यह कहकर भड़काता था कि हिन्दू तुम्हारे दुश्मन हैं। पुलिस का मानना है कि यहाँ तैयार किए जा रहे लोगों को हिन्दू समाज को निशाना बनाने के लिए उकसाया जा रहा था। गिरफ्तार आरोपित पहले बैन आतंकी संगठन सिमी के सदस्य थे। बाद में ये सभी PFI से जुड़ गए।