राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) द्वारा दायर की गई चार्जशीट से जम्मू कश्मीर में अलगाववादियों, आतंकियों और मुख्यधारा के नेताओं के बीच पर्दे के पीछे चल रहे गठबंधन का खुलासा हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती के करीबी और पीडीपी नेता वहीद-उर-रहमान पारा ने पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैय्यबा के आतंकी कमांडर अबू दुजाना को 10 लाख रुपए की फंडिंग उपलब्ध कराई थी। उक्त आतंकी भारतीय सुरक्षा बलों के कई जवानों की हत्या में वांछित था।
पारा के बारे में पता चला है कि वह नियमित रूप से आतंकियों और अलगाववादियों कि फंडिंग कर रहा था, ताकि घाटी में स्थिति खराब बनी रहे। साथ ही चार्जशीट में PDP द्वारा आतंकियों और अलगगववादियों के तुष्टीकरण की नीति के बारे में भी खुलासा किया गया है। बताया गया है कि वहीद पारा ने 2016 में लश्कर के कश्मीर यूनिट के सरगना पाकिस्तानी मूल के अबू दुजाना को वित्तीय मदद मुहैया कराई थी।
साथ ही उसने पाकिस्तान के एक और खूँखार आतंकी नवीद जट को भी घाटी में आतंक फैलाने के लिए साधन और समर्थन मुहैया कराया था। ये वही आतंकी है, जो पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या के मामले में प्रमुख संदिग्ध है। वहीं दुजाना के पर 15 लाख रुपए का इनाम था। उसने भारतीय सशस्त्र बलों के कई जवानों के साथ-साथ आम नागरिकों की जान भी ली थी। अगस्त 11, 2017 को पुलवामा में हुए एक मुठभेड़ में दुजाना को मार गिराया गया था।
उसके मारे जाने के बाद नवीद जट ने ही लश्कर के कमांडर के रूप में कमान संभाली थी। वो भी पाकिस्तानी मूल का ही था। फरवरी 6, 2018 को SHMS अस्पताल में एक पुलिस एस्कॉर्ट पार्टी पर हमला हुआ था। इस हमले में नवीद जट भी भाग निकला था और उसकी निगरानी में तैनात दो सुरक्षा गार्ड्स की हत्या कर दी गई थी। वह अनंतनाग में एक मुठभेड़ में 6 जवानों की हत्या का भी आरोपित था।
नवंबर 29, 2018 को उसे सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में मारा गिराया था। वहीद पारा को सतत स्पोर्ट्स काउंसिल का अध्यक्ष भी बनाया गया था। लेकिन, उसने खेल को बढ़ावा देने के लिए आई 5 करोड़ रुपए की फन्डिंग को अलगाववादियों के लिए इस्तेमाल किया। उसने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के गिलानी गुट को घाटी में पत्थरबाजी के लिए 5 करोड़ रुपए दिए। इन रुपयों से युवाओं को बहक कर घाटी में अराजकता फैलाई गई।
ये रुपए गिलानी के दामाद को दिए गए थे। ये वो समय था, जब बुरहान वानी के मारे जाने के बाद प्रदेश में स्थिति अशांत थी। उस वक़्त घाटी में पिछले कुछ सालों की सबसे बड़ी हिंसा देखने को मिली थी और इस फन्डिंग ने आग में घी का काम किया। 200 से अधिक लोग मारे गए थे और 11,000 घायल हुए थे, जिनमें 3000 सुरक्षा बलों के जवान थे। 2016 की इस अराजकता में वहीद पारा का करीबी अल्ताफ अहमद शाह आतंकियों से लगातार संपर्क में था।
वह अपने रिश्तेदार यूसुफ लोन गडोरा के माध्यम से भी आतंकियों की लगातार मदद कर रहा था। कुछ दिनों बाद हुई एक मुठभेड़ में गडोरा को मार गिराया गया था। साथ ही पारा ने सरकारी मशीनरी और सरकार में अपने पद का दुरुपयोग आतंकियों के लिए करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उसने अपनी सरकारी गाड़ी से आतंकियों को एके-47 और अन्य खतरनाक हथियारों की खेप पहुँचाई। साउथ कश्मीर में घुसपैठ वाले इलाका कुपवाड़ा में उसने हथियारों की सप्लाई की।
चूँकि वो सरकार में शामिल था, इसीलिए उसकी गाड़ी कि चेकिंग नहीं की जाति थी और वो अपनी एस्कॉर्ट पार्टी के साथ अक्सर कुपवाड़ा जाता था और आतंकियों को हथियार देता था। गुपकर रोड स्थित अपने घर में उसने हिजबुल आतंकी इरफान शफ़ी मीर के साथ कई बार बैठक की थी। ये वो जगह है, जहाँ कश्मीर के सारे VIP रहते हैं। इन्हीं बैठकों के दौरान उसने नवीद बाबू नामक आतंकी को देने के लिए इरफान को 10 लाख रुपए दिए।
Sensational disclosure in @NIA_India charge sheet | PDP leader #WaheedParra allegedly gave Rs 10 lakh to Abu Dujana, Lashkar Commamder from Pakistan, responsible for killing about dozen police and paramilitary personnel. Pradeep Dutta reports: https://t.co/EQJn7tm9bq
— Pradeep Dutta (@deepduttajourno) March 24, 2021
एक जाँच अधिकारी ने बताया कि लोकसभा चुनाव के दौरान भी आतंकियों की मदद ली गई थी। जनवरी 11, 2020 को इरफान शफ़ी मीर गिरफ्तार हुआ और उसे आतंकियों का समर्थन करने वाले एक अन्य व्यक्ति पूर्व DSP देविंदर सिंह के साथ जम्मू के हीरानगर जेल में रखा गया है। इन लोगों के दो आतंकी और एक वकील साथियों ने पाकिस्तान यात्रा की योजना भी बनाई थी। अब पता लगाया जा रहा है कि पारा ने अपनी पार्टी के फंड का आतंकियों के लिए इस्तेमाल किया, या ‘खेलों इंडिया’ कैम्पेन का।
इसी बीच गुरुवार (मार्च 25, 2021) को PDP की मुखिया महबूब मुफ्ती भी ED के समक्ष पेश होंगी। उनसे एजेंसी के श्रीनगर के दफ्तर में पूछताछ होगी। उन्होंने निवेदन किया था कि उनसे दिल्ली में पूछताछ न की जाए। उससे पहले वो जाँच एजेंसी द्वारा मिले समन को रद्द कराने के लिए कोर्ट भी गई थीं, लेकिन वहाँ उनकी बात नहीं मानी गई। 22 मार्च को भी उन्हें पेश होना था, लेकिन उस दिन अन्य कार्यक्रमों का बहाना बना कर वो नहीं गई थीं।
बता दें कि ये पूरा मामला हिजबुल कमांडर नवीद बाबू के साथ पकड़े गए डीएसपी दविंदर सिंह व अन्य की गिरफ्तारी से जुड़ा है। राष्ट्रीय जाँच एजेंसी ने इसमें पीडीपी नेता वहीद उर रहमान को भी आरोपित बनाया है। रहमान ने हाल ही में डीडीसी चुनाव में पुलवामा से जीत हासिल की है, मगर इस केस के चलते अभी वह जेल में है। जाँच में ये भी पाया गया कि वह इरफान शफी मीर, दविंदर सिंह और सैयद नवीद मुश्ताक के साथ इस अपराधिक साजिश में शामिल था।