सोशल मीडिया के जरिए बढ़ती कट्टरता से निपटने के लिए देश की प्रमुख जाँच एजेंसी राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने सोशल मीडिया पर आतंकी संगठन ISIS की विचारधारा का प्रचार करने अथवा युवाओं को कट्टरपंथी बनाने की कोशिश करने वाले लोगों के खिलाफ आम लोगों को सूचित करने या शिकायत दर्ज करने के लिए एक हॉटलाइन नंबर 011-24368800 जारी किया है।
NIA ने बड़ी संख्या में आतंकी फंडिंग साजिश और हमले से जुड़े मामलों की जाँच की है, जिसमें 37 ऐसे मामले पाए गए हैं, जिनमें आरोपित ISIS से प्रेरित थे। सबसे ताजा मामला NIA ने जून 2021 में दर्ज किया गया था। NIA ने कुल 168 आरोपितों की गिरफ्तारी की थी, जिनमें से 31 मामलों में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है और 27 आरोपितों को विशेष NIA अदालत ने दोषी ठहराया है।
इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एँड सीरिया (ISIS) मध्य पूर्व के कुख्यात आतंकवादी संगठनों में से एक है। अपनी क्रूर हिंसा और नागरिकों पर हमलों के लिए कुख्यात संगठन इसके जरिए दुनियाभर में इस्लामिक राज्य स्थापित करना चाहता है।
लेकिन सुरक्षा एजेंसियों को इस बात की चिंता सता रही है कि ISIS लगातार सोशल मी़डिया के जरिए अपना प्रचार करते हुए भारत में अपना जाल फैला रहा है। भारत में इसके फैलाव को देखें तो अधिकतर ISIS मॉड्यूल, भर्ती, कट्टरता और आतंकी संगठन में शामिल होने के मामले केरल से सामने आए हैं। खासकर उत्तरी केरल सुरक्षा एजेंसियों की जाँच के दायरे का प्रमुख केंद्र बना हुआ है।
ऐसे फंसाते हैं युवाओं को
आतंकी संगठन ISIS भोले-भाले य़ुवाओं को फँसाने के लिए फेसबुक, ट्विटर, टेलीग्राम, हूप इंस्टाग्राम जैसे ओपन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहा है। जैसे ही कोई एक बार जब इनमें दिलचस्पी दिखाता है तो विदेशों में बैठे ISIS हैंडलर डार्क वेब जैसे एन्क्रिप्टेड सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए युवाओं को कट्टर बनाना शुरू कर देते हैं। हैंडलर उन्हें ISIS साहित्य अपलोड करने और फैलाने, ऑनलाइन सामग्री तैयार करने, स्थानीय भाषाओं में आतंकी साहित्य का अनुवाद करने, मॉड्यूल स्लीपर सेल तैयार करने, हथियार और गोला-बारूद इकट्ठा करने, आईईडी इकट्ठा करने, आतंकी फंडिंग के साथ हमला करने के लिए उकसाता है।
आतंकी संगठन युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और भर्ती करने के लिए भारत को फोकस करके एक ऑनलाइन मासिक पत्रिका ‘वॉयस ऑफ हिंद‘ प्रकाशित करता है। ऐसे कई उदाहरण मिल जाएँगे जहाँ ISIS के स्थानीय आतंकियों ने उसके मॉड्यूल को स्थापित किया, जो कि अलग-अलग नामों से चल रहे हैं। उदाहरण के तौर पर देखें तो जनवरी 2020 में तमिलनाडु पुलिस के विशेष उप-निरीक्षक वाई विल्सन की हत्या की जाँच के दौरान ये जानकारी सामने आई थी कि ISIS के गुर्गे अब्दुल शमीम और तौफीक ISIS के अल-हिंद मॉड्यूल से जुड़े हुए थे।
जाँच में इस बात का पता चला था कि खाजा मोइदीन और महबूब पाशा ने भारत में आतंकी संगठन ISIS के उद्देश्यों को पूरा करने और इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए खिलाफत करने की कोशिश में थे। इसके अलावा ISIS का एक अन्य मॉड्यूल हिज़्ब-उत-तहरीर है, जिसका भंडाफोड़ कर्नाटक के बेंगलुरू में किया गया था। इस संगठन का को भारत में हिंदू नेताओं की हत्या करने का काम सौंपा गया था।
इसके अलावा कई उदाहरण ऐसे भी हैं, जिनेमें ISIS के रंगरूटों को हथियार चलाने और आईईडी बनाने का प्रशिक्षण देने के लिए दक्षिण भारतीय राज्यों के घने जंगल में आतंकी प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित किए गए थे। इस बात का खुलासा उस दौरान हुआ था, जब एनआईए केरल में ISIS से जुड़े एक केस (आरसी 02/2020/एनआईए/डीएलआई) की जाँच कर रही थी। इसमें खुलासा हुआ था कि ISIS के गुर्गों ने सीक्रेट कम्यूनिकेशन माध्यम डार्क वेब के जरिए अपने विदेशी हैंडलरों से आईईडी बनाया था औऱ उसकी टेस्टिंग भी की थी। आतंकी प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने के लिए कैंपिंग उपकरण खरीदे गए थे।