Tuesday, September 17, 2024
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डेमोग्राफी ही नहीं बदल रहे बांग्लादेशी घुसपैठिए, झारखंड में अफीम की खेती को भी दे रहे खाद-पानी: बोले बाबूलाल मरांडी- नशे से संथालों को बर्बाद करने की साजिश

बताया गया कि यह बांग्लादेशी तस्कर ग्रामीणों को समझाते हैं कि अफीम की खेती कम इलाके में बहुत अच्छा फायदा देती है। ग्रामीण भी जल्दी पैसा कमाने की चाहत में अपनी जमीन अफीम खेती के लिए देने को तैयार हो जाते हैं। इसके बाद बांग्लादेशी घुसपैठिए इन्हें अफीम के बीज, खाद और कीटनाशक तक लाकर देते हैं।

झारखंड के संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ का असर जनसांख्यिकी के अलावा कानून-व्यवस्था पर भी पड़ने लगा है। बांग्लादेशी घुसपैठिए इस इलाके में अफीम की खेती करवा रहे हैं। इसके लिए स्थानीय जनजातीय समुदाय को ढाल बनाया जा रहा है। इस अफीम की तस्करी भी हो रही है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बांग्लादेशी तस्कर झारखंड के संथाल परगना के उन इलाकों में आते हैं जहाँ गरीब आबादी बसती है। इस इलाके में घुसने और आम ग्रामीणों से सम्पर्क साधने के लिए यह बांग्लादेशी यहाँ सामान बेचने वाला बन कर घुसते हैं। इसके बाद यह ग्रामीणों को अफीम की खेती के बारे में बताते हैं।

बताया गया कि यह बांग्लादेशी तस्कर ग्रामीणों को समझाते हैं कि अफीम की खेती कम इलाके में बहुत अच्छा फायदा देती है। ग्रामीण भी जल्दी पैसा कमाने की चाहत में अपनी जमीन अफीम खेती के लिए देने को तैयार हो जाते हैं। इसके बाद बांग्लादेशी घुसपैठिए इन्हें अफीम के बीज, खाद और कीटनाशक तक लाकर देते हैं।

फसल होने के बाद इस अफीम को भारत से तस्करी कर बांग्लादेश ले जाया जाता है। अफीम की कीमत विदेशी बाजारों में लाखों रूपए में है। अफीम की खेती से निकलने वाला पोस्ता दाना भी उपयोग में आता है। ग्रामीण भी इससे फायदा उठाते हैं।

यह धंधा लम्बे समय से चल रहा है। पुलिस जब सख्ती करती है तो इस इलाके में बांग्लादेशियों की गतिविधियाँ कुछ दिनों के लिए रुक जाती हैं। जैसे ही पुलिस अपनी कार्रवाई कम करती है, यह बांग्लादेशी दोबारा से अपना धंधा चालू कर देते हैं। इन जिलों में अफीम की खेती का दायरा इतना बढ़ चुका है कि 2009 में सैटेलाईट से इनकी ट्रैकिंग करवाई गई थी।

यह तस्कर पश्चिम बंगाल और झारखंड में सीमा पार करते रहते हैं और इस खेती को बढ़ाते हैं। हाल ही में झारखंड के चाईबासा लगभग ₹6 करोड़ की अफीम जब्त की गई थी। झारखंड के ही चतरा में 2023 में केवल जून माह तक ही 125 गाँवों में अफीम की खेती की बात सामने आई थी।

बताया जा रहा है कि अवैध अफीम का यह कारोबार ₹100 करोड़ का है। झारखंड में सैटेलाईट से नजर रखे जाने के बाद इस इलाके में कुछ सफलता मिली है। हालाँकि, सीमाई इलाकों में अब भी कहीं कहीं अफीम उगा कर बेचीं जा रही है।

गौरतलब है कि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ एक बड़ा मुद्दा है। इस मुद्दे को लगातार विपक्ष उठा भी रहा है। हाल ही में झारखंड हाई कोर्ट ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा था कि सरकार जल्द से जल्द सभी बांग्लादेशियों की पहचान करके उनको बाहर निकाले। कोर्ट के इस फैसले के बाद साहिबगंज जिला में एक कमिटी भी प्रशासन ने बनाई थी।

बांग्लादेशी घुसपैठ का असर चुनावों पर भी होने का असर है। भाजपा झारखंड ने हाल ही में एक रिपोर्ट राज्य चुनाव आयोग को सौंपी थी। इसमें कहा गया था कि राज्य के 1467 बूथ पर अप्रत्याशित ढंग से वोटों में बढ़ोतरी हुई है। यह बढ़ोतरी कुछ बूथ पर 100% से अधिक है।

झारखंड में अफीम की खेती को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि इससे संथाल परगना के युवाओं को नशे में फंसा बर्बाद करने की साजिश हो रही है। उन्होंने झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार पर इस मामले में ढिलाई बरतने का आरोप लगाया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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