पंजाब (Punjab) के फिरोजपुर जिले (Firozepur District) में पाकिस्तानी नाव (Pakistani boat) की बरामदगी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की सुरक्षा में हुई चूक के मामले को और गंभीर बना दिया है। सीमा सुरक्षा बल (Border Security Force) ने सतलुज नदी (Sutlej River) से इस नाव को बरामद किया है। यह नदी पंजाब में भारत और पाकिस्तान की सीमा पर बहती है। कई स्थानों पर सतलुज दोनों देशों की सीमा में प्रवेश करती है।
सतलुज नदी में किनारे मिली यह नाव पूरी तरह से खाली थी। इसमें से कुछ बरामद भी नहीं हुआ। सुरक्षा एजेंसियाँ इस बात की पड़ताल कर रही हैं कि इस नाव पर कौन लोग सवार थे और वे कहाँ गए। फिरोजपुर जिले के जिस इलाके में इस नाव को बरामद किया गया है, उसी के पास बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काफिला फँसा था। यह जगह पाकिस्तान सीमा से महज 50 किलोमीटर की दूरी पर है। इस क्षेत्र में कई बार टिफिन बम और विस्फोटक बरामद किए जा चुके हैं।
इधर, शुक्रवार (7 जनवरी 2022) को केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से गठित तीन सदस्यीय जाँच टीम मौके पर पहुँची है। केंद्र की इस टीम ने फिरोजपुर पहुँचकर अपनी जाँच शुरू कर दी है। ये टीम सबसे पहले फिरोजपुर-मोगा हाईवे पर बने उस फ्लाईओवर पर पहुँची, जहाँ पर पीएम मोदी के काफिले को रोका गया था। कमेटी ने पंजाब पुलिस प्रमुख (डीजीपी) सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय सहित 13 अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को तलब किया है।
पैनल का नेतृत्व कैबिनेट सचिवालय में सचिव (सुरक्षा) सुधीर कुमार सक्सेना कर रहे हैं। इसके अन्य सदस्य इंटेलिजेंस ब्यूरो के संयुक्त निदेशक बलबीर सिंह और विशेष सुरक्षा समूह आईजी एस सुरेश हैं। वहीं, केंद्र ने भठिंडा के SSP को नोटिस जारी कर एक दिन के भीतर जवाब माँगा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने आठ जनवरी की शाम 5 बजे तक जवाब देने के लिए कहा है कि पीएम की सुरक्षा में हुई चूक को लेकर उन पर क्यों नहीं कार्रवाई की जाए।
इसके अलावा, यह बात भी सामने आई है कि जिस जगह पर पीएम का काफिला फँसा था, वह पाकिस्तानी सेना की फायरिंग रेंज में था। यह बात कॉन्ग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कही है। उन्होंने कहा कि जहाँ पर उनका काफिला रुका था, वो भारत की सरहद से महज 10 किमी दूर है। वहाँ पर भारत और पाकिस्तानी के तोपखाने तैनात रहते हैं। ऐसे मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा की तुलना किसी आम नागरिक से करना सही नहीं है। यह स्वीकार करना चाहिए कि पीएम मोदी की जान को खतरा था।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 जनवरी को रैली करने के लिए फिरोजपुर दौरे पर थे, लेकिन आंदोलनकारी किसानों ने उनके काफिले को बीच रास्ते में रोक दिया था। इसके बाद यह बात भी आरोप लग रहे हैं कि पंजाब सरकार ने द्वारा ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूट की जानकारी लीक की गई थी।