जम्मू-कश्मीर में शिवखोड़ी दर्शन करके कटरा लौट रहे श्रद्धालुओं पर रियासी में हुए हमले ने कई परिवारों को उजाड़ दिया। हमले में कुछ लोगों ने अपने घर के सदस्यों को खोया तो कुछ पूरे परिवार सहित उजड़ गए। सामने आई जानकारी के अनुसार, हमले में एक परिवार के चार सदस्य मारे गए हैं। ये परिवार जयपुर से था।
डिप्टी कमीश्नर ऑफ पुलिस अमित कुमार ने बताया कि आतंकी हमले में जयपुर निवासी 42 साल के राजेंद्र सैनी, उनकी पत्नी ममता सैनी, उनकी रिश्तेदार 30 साल की पूजा सैनी और उनका 2 साल का बेटा टीटू (कुछ रिपोर्ट में नाम लेवांश) मारा गया है। वहीं पूजा के पति पवन को गंभीर चोटे आई थीं, जिन्हें इलाज के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।
पूजा सैनी के पिता ओम प्रकाश सैनी ने मीडिया से बात करते हुए परिवार की स्थिति को बताया। उन्होंने कहा राजेंद्र और ममता के तीन बच्चे हैं- वर्षा (22), राहुल (19) और लकी (17) का है। उन्हें अभी नहीं पता है कि उनके माता-पिता अब इस दुनिया में नहीं रहे। उन्हें कहा गया है कि उनके माता-पिता का इलाज अस्पताल में चल रहा है। उन्हें आस है कि शायद उनके माता-पिता ठीक होकर लौट आएँगे।
‘We’ve been ruined’: Among victims of Reasi terror attack, 4 of Jaipur family, including 2-year-old boy@Hamzwa and Manish Sahu reporthttps://t.co/VeZ6oJfdQV
— The Indian Express (@IndianExpress) June 11, 2024
इसी तरह बलरामपुर के बंशी वर्मा हैं। मजदूरी करके घर खर्च चलाने वाले बंशी का परिवार अयोध्या घूमने के बाद जम्मू-कश्मीर में माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए गया था। बंशी बताते हैं कि उनकी अपनी बहन रूबी वर्मा से बात 6 जून को हुई थी। इसके बाद 9 को खबर आई कि वो जिस बस में थे उसपर हमला हो गया है। उनके साथ बलरामपुर का एक अन्य परिवार भी था। वो भी आतंकी हमले का शिकार हुए हैं।
अब बलरामपुर के डीएम अरविंद सिंह ने बताया कि जिले के दोनों परिवारों के 10 लोग हमले में घायल हुए हैं। सबका इलाज जम्मू के अस्पताल में हो रहा है। उतरौला और बलरामपुर के सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट को पीड़ित परिवारों को हर सहायता देने को बोला गया है।
इसी प्रकार यूपी के गोंडा जिले के भिखारीपुर गाँव से 8 सदस्य वैष्णो देवी गए थे। वहीं गोरखपुर के 17 लोग जम्मू में माता के दर्शन करने गए थे। बताया जा रहा है कि इन 17 लोगों में कुछ कटरा ही रुक गए थे। वहीं कुछ शिवखोड़ी निकले थे। जाते समय किसी के मन में भी नहीं आया था कि ऐसा हो सकता है।
खबर सुनने के बाद उनके अपने सन्न हैं। कोई अपनी आपबीती सुना रहा है तो कोई बताने को ही नहीं है कि 9 जून को क्या हुआ। कुछ चश्मदीद हैं जिन्होंने बताया है कि कैसे उस दिन आतंकियों ने नकाब पहनकर पूरी बस पर ताबड़तोड़ गोलियाँ दागीं और उसके बाद बस खाई में गिराकर गोलियाँ दागते रहे ताकि कोई श्रद्धालु जिंदा न बचे। चश्मदीदों के अनुसार, उन्होंने खुद को लाश जैसे रखा ताकि आतंकी को विश्वास हो जाए सब मर गए हैं।