सीएए और एनआरसी की सख्ती के बाद रोहिंग्याओं का नया ठिकाना बनकर नेपाल उभरा है। भारत में अवैध तरीके से रह रहे रोहिंग्याओं अब नेपाल में जाकर बस रहे हैं। अब तक लगभग 378 रोहिंग्या नेपाल में बस चुके हैं। इसके पीछे जेहादी संगठन इस्लामिक संघ नेपाल (आईएसएन) का हाथ बताया जा रहा है। जमीन खरीद कर इन्हें बसाने के लिए बड़े पैमाने पर फंडिंग की जा रही है।
जानकारी के मुताबिक वे नेपाल की नागरिकता से संबंधित दस्तावेज हासिल करने के लिए रोहिंग्या हजारों रुपए रिश्वत भी दे रहे हैं। कुछ मामलों में बिचौलियों को नेपाल में बसने के लिए 4-50 हजार रुपए तक कमीशन दिए जा रहे हैं। नेपाल के ढाढिंग जिले में रोहिंग्याओं के करीब 35 अस्थायी घर भी देखे गए हैं, जो पिछले कुछ दिनों में बने हैं।
भारत-नेपाल सीमा पर बीरगंज, बिरतमोड और बर्गनिया के रास्ते रुपए लेकर कुछ संगठन नेपाल में प्रवेश दिला रहे हैं। इसी तरह लासंतूर में 104 रोहिंग्या और इसी समुदाय के कुछ लोगों के पनौती जिले में भी बसने की खबर मिली है। रुपन्देही में ऐसे ही 20 परिवारों को काठमांडू से लाकर बसाया गया है। जानकारी के मुताबिक जिहादी संगठनों और बिचौलियों के मदद से ये रोहिंग्या भारतीय सीमा से सटे क्षेत्र में जमीन भी खरीद रहे हैं।
इसको लेकर भारतीय खुफिया सुरक्षा एजेंसियाँ काफी चौकन्नी हो गई हैं। एजेंसियाँ सीमावर्ती क्षेत्र में रोहिंग्या परिवारों की हर गतिविधि पर नजर रख रही हैं। फंडिंग की रिपोर्ट खुफिया एजेंसियों ने गृह मंत्रालय को भेजी है। गृह मंत्रालय का कहना है कि रोहिंग्या की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने की जरूरत है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई लंबे वक्त से भारत-नेपाल सीमा पर लश्कर और जैश जैसे आतंकी गुटों के बेस बनाने की साजिश में लगी हुई है। ऐसे में रोहिंग्या की सीमा पर बसने को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। यह भारत के खिलाफ साजिश का हिस्सा भी हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों खुफिया एजेंसियों ने जानकारी दी थी कि पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई ने भारत में आतंकी हमले को अंजाम देने के लिए रोहिंग्याओं का एक दस्ता तैयार किया है। बताया गया कि भारत पर हमले के लिए आईएसआई करीब 40 रोहिंग्याओं को बांग्लादेश में ट्रेनिंग दे रही है। इसमें बांग्लादेशी आंतकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन (जेएमबी) आईएसआई की मदद कर रहा है।