Sunday, December 22, 2024
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बातें सूफीवाद की, काम भारत में घुसपैठियों को बसाना: पाकिस्तान के ‘सिद्दीकी परिवार’ को ‘शर्मा जी’ की पहचान देने के पीछे मेहदी फाउंडेशन, इसके बारे में जानिए सब कुछ

मेहदी फाउंडेशन इंटरनेशनल भले ही सूफीवाद और धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देने की बात करता है लेकिन ये सच्चाई नजरअंदाज नहीं की जा सकती कि इस संगठन ने पाकिस्तानी परिवार को अवैध रूप से भारत में घुसाया, उनके लिए फर्जी दस्तावेज बनवाए और घुसपैठ को छिपाया… ये सारी प्रक्रिया राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से हमारे भारत के लिए खतरा पैदा कर सकती है।

बीते दिनों बेंगलुरु से पाकिस्तान के राशिद अली सिद्दीकी का परिवार गिरफ्तार हुआ था। छानबीन में पता चला था कि राशिद का परिवार फर्जी हिंदू नाम के साथ भारत में रह रहा था और उन्हें 10 साल पहले यहाँ भारत में लाने के पीछे एक ‘सूफी’ मेहदी फाउंडेशन का हाथ था। इसी संस्था ने उनके लिए फर्जी डॉक्यूमेंट, फर्जी पहचान पत्र आदि की व्यवस्था की थी। इतना ही नहीं, यही संस्था राशिद अली सिद्दीकी के परिवार के रहने-खाने का खर्चा भी उठाती थी। बदले में राशिद आलरा टीवी पर आकर संस्था के विचार को प्रमोट करते थे।

हमने इस खबर के सामने आने के बाद इस संस्था से जुड़ी जानकारी जुटाई। इस दौरान सामने आया कि पहले मेहदी फाउंडेशन आरजीएस इंटरनेशनल नाम से जाना जाता था। इसकी स्थापना 1983 में सूफी बाबा गौहर अली शाह की पाँचवी पीढ़ी के वंशज लेखक रा रियाज गौहर शाही ने यूनुस अलगोहर के साथ मिलकर की थी। बाद में एमएफआई की आधिकारिक तौर पर स्थापना हुई और यूनुस अलगोहर इसके अध्यक्ष बन गए।

सामान्य तौर पर यूनुस अलगोहर अपनी बातों में मजहबी सद्भाव और शांति का प्रचार करते हैं और मजहबी कट्टरता के खिलाफ वकालत करते हैं। वहीं वेबसाइट के होमपेज पर भी मेहदी फाउंडेशन की जो जानकारी लिखी है उसमें भी ‘ईश्वरीय प्रेम और सार्वभौमिक शांति’ के प्रचार की बात लिखी है। वेबसाइट में गौहर शाही की छवि के साथ कई धर्मों के प्रतीक भी हैं।

संगठन दावा करता है कि वह नफऱत के बीच प्रेम की लौ जलाने का काम करते हैं और अपने अनुयायियों को सिखाते हैं कि वो सभी धर्मों के लोगों के साथ मिलकर रहें। संगठन ये भी कहता है कि वो किसी एक मजहब से नहीं जुड़े, लेकिन ये संगठन मुसलमानों को कट्टरपंथ से दूर करने के लिए जिस सूफीवाद को बढ़ावा देता है उसका इतिहास भारत में काला रहा है।

जानकारी के मुताबिक मेहदी फाउंडेशन की स्थापना सबसे पहले लंदन में हुई थी जहाँ इसका मुख्यालय भी है और अब यह कनाडा, अमेरिका, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, भारत, ग्रीस, थाईलैंड, बांग्लादेश और नेपाल जैसे देशों में भी अपने केंद्र खोल चुका है। इसके अलावा, mehdifoundation.com नाम से एक और वेबसाइट है जो हिंदी और उर्दू सहित कई भाषाओं में उपलब्ध है। यह भी संगठन द्वारा बताए गए समान विचारों को बढ़ावा देती है।

एमएफआई यूट्यूब पर करीब 1.5 मिलियन सब्सक्राइबर और फेसबुक पर 96 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स के साथ अलरा टीवी नाम से एक चैनल भी चलाता है। खास बात यह है कि इस चैनल ने राशिद अली सिद्दीकी को प्रचारक के तौर पर नियुक्त किया है। दिलचस्प बात यह है कि एक तरफ तो यह संगठन धर्मनिरपेक्ष होने और चरमपंथ के खिलाफ होने का दावा करता है, लेकिन दूसरी तरफ हिंदुओं का नरसंहार करने वाले टीपू सुल्तान का प्रसंशक है। 2019 में इनके अकॉउंट से डाली गई तस्वीर में टीपू का नाम देखा जा सकता है।

बता दें कि मेहदी संगठन को अपने विचारों के कारण मुस्लिम देशों (पाकिस्तान, बाग्लादेश) में भारी विरोध का सामना करना पड़ा था। इसे लेकर गौहर शाही और यूनुस अलगोहर पर कई बार हमले भी हुए। इनमें गौहर शाही तो अपने विवादित दावों के कारण जाने जाते हैं। जैसे 1997 में उन्होंने कहा था कि उनकी मुलाकात ईसा मसीह से हो चुकी है। इसके अलावा वह खुद को मसीहा, मेहदी और कल्कि का अवतार बताते हैं। वहीं मेहदी फाउंडेशन इंटरनेशनल के अध्यक्ष (अंतरराष्ट्रीय) अमजद गौहर, जो हैं तो एक पाकिस्तानी नागरिक हैं लेकिन उनके ऊपर 12 बार ईशनिंदा का आरोप लगा है। वह वर्तमान में ब्रिटेन में शरण माँग रहे हैं। वहीं यूनुस अलगोहर पर भी 2013 में बेईमानी के आरोप लग चुके हैं

राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है फाउंडेशन की हरकत

उल्लेखनीय है कि मेहदी फाउंडेशन इंटरनेशनल भले ही सूफीवाद और धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देने की बात करता है लेकिन ये सच्चाई नजरअंदाज नहीं की जा सकती कि इस संगठन ने पाकिस्तानी परिवार को अवैध रूप से भारत में घुसाया, उनके लिए फर्जी दस्तावेज बनवाए और घुसपैठ को छिपाया… ये सारी प्रक्रिया राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से हमारे भारत के लिए खतरा पैदा कर सकती है। इसके अलावा ये संगठन संगठन समन्वयकारी होने का दावा करता है, लेकिन ऐसा कोई स्पष्ट सबूत नहीं है कि उन्होंने पाकिस्तान से आए हिंदुओं का समर्थन किया है, जो वास्तविक असहिष्णुता का शिकार हैं और दशकों से जातीय सफाया किया जा रहा है।

नोट: ये रिपोर्ट मूल रूप से अंग्रेजी में लिखी गई है। इसे पढ़ने के लिए आप इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं।

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