पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना के मलयपुर गाँव में नूरनेहर खातून और अलामिन मोंडल के यहाँ जन्मी 22 वर्षीय तानिया परवीन का बचपन काफी मुश्किलों भरा था। News18 की रिपोर्ट के मुताबिक, कठिनाइयों के बावजूद, उसकी माँ ने सुनिश्चित किया था कि वह उसे अच्छी शिक्षा दिलवाएगी। परवीन ने अपने छोटे भाई के साथ एक प्राइवेट स्कूल, लंदन मिशनरी सोसायटी में पढ़ाई की, जहाँ उसने परीक्षा में 90% अंक हासिल किए। 2019 में उसने कोलकाता के मौलाना आज़ाद कॉलेज से अरबी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
हालाँकि, रिपोर्ट के अनुसार, 2017 की सांप्रदायिक हिंसा की घटना ने उसके दिमाग में हिंसक जिहाद का बीज बो दिया। 2 जुलाई 2017 को एक किशोर लड़के ने फेसबुक पर काबा और पैगंबर मुहम्मद की एक तस्वीर पोस्ट की। इससे अफरातफरी मच गई और एक मजहबी भीड़ उग्र हो गई। उग्र भीड़ ने हिंदू घरों पर हमला कर दिया। हिंदुओं के दर्जनों घरों और दुकानों को तोड़ दिया गया। एक व्यक्ति मारा गया और लगभग दो दर्जन घायल हो गए।
NIA के अनुसार 2018 में सवालों का ‘जवाब’ खोजने के लिए तानिया परवीन ने बांग्लादेशी इस्लामिक उपदेशक और जमात-ए-इसलामी पार्टी के उप प्रमुख दिलवर हुसैन सईदी का रुख किया। सईदी के मजहबी प्रचार से परवीन को उसके चचेरे भाई हबीबुल्लाह ने परिचित कराया था, जो एक स्थानीय मस्जिद चलाता था। बता दें कि सईदी को बांग्लादेश के स्वतंत्र संप्रभु राष्ट्र के विचार का समर्थन करने वाले पूर्वी पाकिस्तान के लोगों पर किए गए युद्ध अपराधों के संबंध में अभियुक्त और दोषी ठहराया गया है।
जमात-ए-इस्लामी के शीर्ष नेता हुसैन सईदी ने 1971 के युद्ध के दौरान हिंदुओं और बांग्लादेशी समर्थकों के नरसंहार की अगुवाई की थी। 2013 में इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने उस पर सामूहिक हत्या, यातना, जबरदस्ती हिंदुओं को इस्लाम में शामिल करने और महिलाओं के साथ क्रूर बलात्कार सहित कुल 20 मामलों का आरोप लगाया। सईदी के खिलाफ 20 आरोपों में से दो के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी। ये दो अपराध थे- इब्राहिम कुट्टी और बिसबाली की हत्या और 1971 में फीरोजाबाद में हिंदू घरों में आग लगाना।
सईदी के संदेशों से प्रेरित होकर, तानिया परवीन विभिन्न इस्लामिक-झुकाव वाले व्हाट्सएप समूहों में शामिल हो गईं, जिनका नाम वॉयस ऑफ इस्लाम, इस्लामिक उम्मा और ह्यूमन ब्रदरहुड था। News18 की रिपोर्ट के अनुसार, इन सभी व्हाट्सएप समूहों ने एक ही संदेश के बारे में बात की कि भारत उन देशों का हिस्सा है जो समुदाय विशेष के खिलाफ नरसंहार करने जा रहे हैं और इसका मुकाबला करने का एकमात्र तरीका सशस्त्र जिहाद है।
रिपोर्ट के अनुसार, परवीन के व्हाट्सएप चैट के विश्लेषण से पता चला था कि उसे जिहाद में रोमांच मिला। वह भारतीय जिहाद का ‘वंडर वुमन’ बनना चाहती थी। बाद में वह कश्मीर के अल्ताफ अहमद राथर के साथ रिलेशनशिप में आई। राथर के व्हाट्सएप ग्रुप ने उसे पाकिस्तान में काम कर रहे लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी बिलाल दुर्रानी के साथ संपर्क करवाया। इसके बाद उसने परवीन को एक व्हाट्सएप ग्रुप में शामिल होने के लिए एक वर्चुअल पाकिस्तानी नंबर दिया, क्योंकि भारतीय नंबर सर्विलांस के डर से बैन हैं।
2019 के अंत में परवीन ‘अबू जुंदाल’ नामक फर्जी नाम से लश्कर से जुड़े पाँच व्हाट्सएप ग्रुपों का संचालन करने लगी थी। जाँचकर्ताओं का दावा है कि वह पाकिस्तान में कई लश्कर कमांडरों के साथ नियमित संपर्क में थी। इन नए संपर्कों में से एक के माध्यम से वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के एक अधिकारी के संपर्क में आई।
तानिया परवीन लश्कर के पाकिस्तान स्थित कई कमांडरों के संपर्क में थी। जल्द ही, वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी, आईएसआई के अधिकारी ‘राणा’ के संपर्क में आ गई। ‘राणा’ ने स्थानीय जिहादियों की भर्ती के लिए उसे पैसे की पेशकश की। हालाँकि, परवीन को यहाँ बहुत कम सफलता मिली। उसने अपने दो महिला मित्रों को अपने व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा। पहली दोस्त घुम्मन टाइगर्स ने जुड़ने के तुरंत बाद ही ग्रुप को छोड़ दिया, जबकि उसके कॉलेज के परिचितों ने भी जिहादी गतिविधियों में कम रुचि दिखाई। जिहादी व्हाट्सएप ग्रुप में केवल उसकी एक दोस्त सक्रिय थी।
इधर, ‘राणा’ इस बात से नाखुश था कि परवीन अधिक लोगों की भर्ती नहीं कर पा रही थी। इसलिए उसने उसे प्रिया शर्मा के नाम से फर्जी फेसबुक आईडी दिया, ताकि वो इसके जरिए भारतीय वायु सेना और भारतीय सेना के जवानों के साथ दोस्ती कर सके। एक जूनियर अधिकारी ने उससे संपर्क भी किया, लेकिन जब अधिकारी ने उससे वीडियो चैट के लिए कहा तो वह घबरा गई।
राणा ने उसे वीडियो चैट पर बात करने के लिए कहा, लेकिन तानिया परवीन ने उसे बताया कि कैसे इस्लाम ने उसे घूँघट हटाने से मना किया। इस बात पर दोनों के बीच काफी बहस हुई और फिर परवीन ने ‘राणा’ से सभी संपर्क तोड़ दिए। चार्जशीट के अनुसार, मार्च, 2019 में, जब एनआईए ने ऑनलाइन जिहादी गतिविधि से जुड़े एक दर्जन से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया परवीन कम से कम छ: फर्जी नामों- ‘मुस्तफा’, ‘हमाज ताहिर’, ‘मुताहिजाब’, ‘अबरार फहद’, ‘इबनू अधम’ और ‘अबू थूराब’ से अकाउंट चला रही थी।
गौरतलब है कि गुरुवार (सितंबर 10, 2020) को NIA ने पश्चिम बंगाल के कोलकाता में एक विशेष एनआईए अदालत में गुरुवार को आरोप-पत्र दायर किया था। आरोप पत्र में कहा गया था कि वह सोशल मीडिया पर 70 जिहादी समूहों की सदस्य बन गई थी, जिसने आतंकवादी विचारधारा को ‘इस्लामिक जिहाद’ की आड़ में प्रचारित किया था। परवीन पर सख्त गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं।
दिल्ली में एनआईए के एक प्रवक्ता ने कहा था, “जाँच के दौरान यह पता चला कि परवीन को लश्कर के पाकिस्तान स्थित कैडर द्वारा साइबर स्पेस में कट्टरपंथी बना दिया गया था। वह धीरे-धीरे सोशल मीडिया पर लगभग 70 जिहादी समूहों का हिस्सा बन गई, जिसने मजहबी युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और भर्ती करने के मकसद से इस्लामिक जिहाद की आड़ में आतंकवादी विचारधारा का प्रचार किया।” अधिकारी ने कहा था कि परवीन विभिन्न ‘फिलिस्तीनी और सीरियाई जिहादी’ सोशल मीडिया समूहों में भी सक्रिय थी।
जानकारी के मुताबिक तानिया मूल रूप से बांग्लादेशी नागरिक है। 10 साल पहले बांग्लादेश से घुसपैठ कर वह भारत आई थी। वह लश्कर के लिए युवाओं की भर्तियाँ करती थी। सरकारी सूचनाओं को पाने के लिए वो हनी-ट्रैपिंग का सहारा लेती थी।
तानिया के पास से कई पाकिस्तानी सिम कार्ड्स मिले थे। उसके पास से जब्त की गई डायरी और दस्तावेजों से पता चला था कि उसने काफ़ी संवेदनशील सूचनाएँ जुटा ली थी। वह मुंबई के 26/11 हमलों के मास्टरमाइंड और आतंकी सरगना हाफ़िज़ सईद से भी 2 बार बातचीत कर चुकी है। वो पिछले 2 साल से लश्कर के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही थी और उस क्षेत्र में कई बार भड़काऊ भाषण भी दे चुकी है।
उसका उद्देश्य युवाओं, ख़ासकर छात्र-छात्राओं को कट्टरपंथी बना कर उन्हें आतंकी संगठनों से जोड़ना था। तानिया ने मुर्शिदाबाद में कई आतंकी शिविर भी बना रखे थे, जहाँ वो अपने लोगों को भड़काऊ भाषण देने के लिए प्रशिक्षण देती थी। वहाँ वो लोगों को ‘जिहाद’ सिखाती थी और आतंकी गतिविधियों के संचालन के गुर भी सिखाती थी। अत्याधुनिक हथियार चलाने की ट्रेनिंग लेने के लिए वह पाकिस्तान जाने वाली थी, लेकिन उससे पहले ही पकड़ी गई।