Friday, November 22, 2024
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88 उग्रवादी करेंगे सरेंडर: केन्द्र सरकार से त्रिपुरा के अलगाववादियों का शांति समझौता

सबीर देवबर्मा के नेतृत्व में चल रहा यह संगठन 1997 से ही गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत प्रतिबंधों के दायरे में है। भारत में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए सीमा पार भी अपने कैम्प बना रखे हैं।

त्रिपुरा में अलगाववादियों ने केंद्रीय गृह मंत्रालय व राज्य सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया है। अलगाववादी संगठन ‘द नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (NLFT-SD)’ ने शनिवार (अगस्त 10, 2019) को ‘ मेमोरेंडम ऑफ सेटलमेंट’ पर हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही इस उग्रवादी संगठन के 88 सदस्य अपने-अपने हथियारों के साथ 13 अगस्त को पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर देंगे। NLFT-SD के सभी उग्रवादियों ने मुख्यधारा में लौटने की बात कहते हुए हथियार छोड़ने का संकल्प लिया।

अलगाववादी संगठन ने भारत के संविधान के प्रति आस्था भी जताई। इन उग्रवादियों को Surrender-cum-Rehabilitation Scheme, 2018 के तहत कुछ सुविधाएँ भी दी जाएँगी। त्रिपुरा सरकार आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों व उनके परिवारों के लिए शिक्षा और आवास की व्यवस्था करने में मदद करेगी। संगठन के नेताओं ने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी मुलाकात की। हालाँकि, इस संगठन का एक धड़ा ऐसा भी है जिसने इस समझौते को स्वीकार नहीं किया है। लेकिन सरकार सभी अलगाववादियों को मुख्यधारा में लाने के लिए कार्य कर रही है।

सबीर देवबर्मा के नेतृत्व में चल रहा यह संगठन 1997 से ही गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत प्रतिबंधों के दायरे में है। इस संगठन ने भारत में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए सीमा पार भी अपने कैम्प स्थापित कर रखे हैं। 2005-2015 के बीच कम से कम 317 ऐसे वारदात हुए, जिसके लिए इस संगठन को दोषी ठहराया गया। इन घटनाओं में 28 जवानों और 62 नागरिकों की जानें गईं।

बता दें कि हाल ही में हुए पंचायत चुनावों में भाजपा को राज्य में भारी जीत मिली है। त्रिपुरा की 116 जिला परिषद सीटों में से पार्टी को 114 सीटों पर जीत मिली। पंचायत समिति की 419 सीटों में से 411 पर भाजपा ने जीत का परचम लहराया। इतना ही नहीं, ग्राम पंचायतों की 6111 सीटों में से 5916 पर भाजपा ने जीत की पताका लहराई है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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