भारत में प्रतिबंधित एक कट्टरपंथी संगठन को लेकर FATF ने अपनी रिपोर्ट में एक खुलासा किया है। इस रिपोर्ट में बिना किसी संगठन का नाम लिए बगैर बताया गया है कि कैसे भारत का हिंसक कट्टरपंथी (आतंकी) संगठन एक संरचित नेटवर्क के जरिए ऑनलाइन और ऑफलाइन फंड जुटाता था।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट की मानें तो इस रिपोर्ट में जिस संगठन की बात है वो पीएफआई यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया है। रिपोर्ट बताती है कि पीएफआई मस्जिद और सार्वजनिक स्थलों पर आग्रह करके फंड का जुगाड़ करता था जिसका इस्तेमाल बाद में हथियार खरीदने और कट्टरपंथी तैयार करने के लिए किया जाता था।
FATF की रिपोर्ट, जिसका शीर्षक ‘क्राउडफंडिंग फॉर टेररिज्म फाइनेंसिंग है।’ इस रिपोर्ट के पेज नंबर 38 में भारतीय अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि एक कट्टरपंथी संगठन जो अभी जाँच के दायरे में है उसने सुव्यवस्थित नेटवर्कों का इस्तेमाल करके पूरे देश में से पैसे जुटाए। इन्होंने मस्जिदों और सार्वजनिक जगहों पर आग्रह करके ऑफलाइन और ऑनलाइन पैसे बटोरे। इन्होंने क्यूआर कोड और खाता विवरण देकर दानदाताओं से पैसे भेजने को कहा। इसके लिए 3,000 से अधिक बैंक खातों और अनौपचारिक वैल्यू ट्रांसफर सिस्टमों का उपयोग किया गया।
उल्लेखनीय है कि एफएटीएफ की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे उस संगठन (पीएफआई) ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों पर पैसे जुटाए जिसके कारण जाँच करना और भी मुश्किल होता गया। रिपोर्ट कहती है कि फंड के नाम पर इकट्ठा धन से कट्टरपंथी संगठन ने हथियार और गोला-बारूद खरीदने का काम किया।
इसके अतिरिक्त हिंसक कट्टरपंथी संगठन के कैडरों को प्रशिक्षण देने के लिए इसका उपयोग किया गया। इतना ही नहीं क्राउडफंडिंग के माध्यम से संगठन ने जो धन को जुटाया था वो नियमित आय उत्पन्न करने के लिए और व्यवसायों में व रियल स्टेट परियोजनाओं में लगा दिया गया।
रिपोर्ट यह भी बताती है कि टेररिस्ट फंडिंग के आरोप में संगठन के 8 कट्टरपंथियों को गिरफ्तार किया गया है और इस मामले में शिकायतें भी फाइल की जा चुकी हैं और जाँच के बाद 3.5 करोड़ की संपत्ति की जब्ती की तैयारी है।
बता दें कि ये FATF एक अंतर-सरकारी निकाय है जो मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकी वित्तपोषण और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता के लिए अन्य संबंधित खतरों पर नजर रखता है। वहीं पीएफआई संगठन की बात करें तो ये एक कट्टरपंथी संगठन है जो 3 मुस्लिम संगठनों को मिलाकर 2007 में अस्तित्व में आया था। इसने शुरू में खुद को अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए लड़ने वाला संगठन दिखाया हालाँकि समय के साथ इस संगठन का कट्टरपंथ सबके सामने आता गया। पिछले वर्ष भारत सरकार ने इसे देश में प्रतिबंध कर दिया था। उसके बाद से राष्ट्रीय जाँच एजेंसी इनके कई ठिकानों पर छापेमापी कर चुकी है।