Friday, November 15, 2024
Homeदेश-समाजDU में इंग्लिश के प्रोफेसर हनी बाबू गिरफ्तार, नक्सली गतिविधियों और साजिश रचने का...

DU में इंग्लिश के प्रोफेसर हनी बाबू गिरफ्तार, नक्सली गतिविधियों और साजिश रचने का है आरोप

दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर हनी बाबू एमटी (पुत्र कुन्हु मोहम्मद) को गिरफ्तार किया गया। NIA ने प्रोफेसर पर माओवादी विचारधारा फैलाने के साथ-साथ नक्सली गतिविधियों और साजिश रचने में शामिल रहने का आरोप लगाया है।

भीमा कोरेगाँव यलगार परिषद मामले में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने मंगलवार (जुलाई 28, 2020) को दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर हनी बाबू एमटी पुत्र कुन्हु मोहम्मद को गिरफ्तार किया। NIA ने प्रोफेसर पर माओवादी विचारधारा फैलाने का आरोप लगाया है।

दिल्ली यूनिवर्सिटी के अंग्रेजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हनी बाबू को बुधवार को मुंबई में NIA की विशेष अदालत के समक्ष पेश किया जाएगा। NIA के प्रवक्ता ने बताया कि 54 वर्षीय प्रोफेसर हनी बाबू उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर के रहने वाले हैं। वह डीयू के इंग्लिश डिपार्टमेंट में एसोसिएट प्रोफेसर हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एनआईए को जाँच के दौरान पता चला कि हनी बाबू नक्सली गतिविधियों और माओवादी विचारधारा का प्रचार कर रहे थे। साथ ही अन्य आरोपितों के साथ साजिश रचने में शामिल भी थे। हनी बाबू को मुंबई में एनआईए की विशेष कोर्ट में आज पेश किया जाएगा। एनआईए ने इस साल जनवरी में इस मामले की जाँच शुरू की थी और इसके बाद 14 अप्रैल को आनंद तेलतुंबड़े और गौतम नौलखा को गिरफ्तार किया था।

इससे पहले पिछले वर्ष भीमा कोरेगाँव हिंसा मामले में पुणे पुलिस और नोएडा पुलिस की संयुक्त टीम ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हनी बाबू के नोएडा स्थित आवास पर छापेमारी भी की थी। यह छापेमारी भी प्रोफेसर सिंह के नक्सलियों से सम्बन्ध को लेकर की गई थी।

हनी बाबू डीयू के प्रोफ़ेसर हैं और ‘द कमिटी ऑफ सिविल राइट्स एक्टिविस्ट्स’ के सदस्य हैं। इस कमिटी का गठन जीएन साईबाबा द्वारा किया गया था। डीयू प्रोफ़ेसर साईबाबा को 2017 में महाराष्ट्र की एक अदालत द्वारा आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी। साईबाबा के प्रतिबंधित माओवादी संगठन सीपीआई से सम्बन्ध सामने आए थे।

क्या है मामला

31 दिसंबर 2017 को यलगार परिषद सम्मेलन का आयोजन किया गया था। यहाँ कुछ बुद्धिजिवियों द्वारा भड़काऊ भाषणों देने के बाद अगले दिन 1 जनवरी 2018 को पुणे जिले के भीमा कोरेगाँव युद्ध स्मारक के निकट हिंसा भड़क गई थी। इसमें एक युवक की जान चली गई थी। साथ ही करोड़ों की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान हुआ था। इस मामले में अरुण थॉमस फेरेरिया, रोना जैकब विल्सन, सुधीर प्रल्हाद धवले समेत 19 लोगों को आरोपित बनाया गया था।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

अंग्रेज अफसर ने इंस्पेक्टर सदरुद्दीन को दी चिट… 500 जनजातीय लोगों पर बरसने लगी गोलियाँ: जब जंगल बचाने को बलिदान हो गईं टुरिया की...

अंग्रेज अफसर ने इंस्पेक्टर सदरुद्दीन को चिट दी जिसमें लिखा था- टीच देम लेसन। इसके बाद जंगल बचाने को जुटे 500 जनजातीय लोगों पर फायरिंग शुरू हो गई।

कश्मीर को बनाया विवाद का मुद्दा, पाकिस्तान से PoK भी नहीं लेना चाहते थे नेहरू: अमेरिकी दस्तावेजों से खुलासा, अब 370 की वापसी चाहता...

प्रधानमंत्री नेहरू पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद सुलझाने के लिए पाक अधिकृत कश्मीर सौंपने को तैयार थे, यह खुलासा अमेरिकी दस्तावेज से हुआ है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -