Tuesday, November 5, 2024
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‘ISIS-अलकायदा से संपर्क, हिट लिस्ट के लिए गुप्त शाखा’: NIA ने बताया- जहाँ खुद नहीं खड़े हो पाते आतंकी संगठन, वहाँ बनाते हैं PFI

NIA ने यह भी बताया कि छापेमारी के दौरान पीएफआई की देश विरोधी गतिविधियों के संबंध में डिजिटल और अन्य सबूत हासिल किए गए हैं। एजेंसी ने बताया, "जाँच में पता चला है कि पीएफआई नेता सोशल मीडिया समूहों के माध्यम से आतंकवादी गतिविधियों के लिए युवाओं को भर्ती करने का प्रयास कर रहे थे।"

राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने प्रतिबंधित इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के बारे में अहम खुलासा किया है। एजेंसी का कहना है कि पीएफआई सदस्यों का आतंकवादी संगठनों आईएसआईएस (ISIS) और अल कायदा के साथ संबंध हैं। एनआईए ने साथ ही कहा कि पीएफआई अपनी एक गुप्त शाखा भी चला रहा था।

एनआईए ने मंगलवार (20 दिसंबर, 2022) को केरल के कोच्चि में एनआईए की विशेष अदालत के समक्ष यह बात कही। इसके साथ ही जाँच एजेंसी ने पीएफआई पर प्रतिबंध के बाद गिरफ्तार किए गए इसके सदस्यों के बारे में कोर्ट में जानकारी दी और जाँच के लिए कोर्ट से और समय की माँग की। कोर्ट ने एनआईए की दलील को मानते हुए गिरफ्तार आरोपितों की हिरासत अवधि 90 दिन और बढ़ा दी।

एनआईए ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पीएफआई के कई सरगना इस्लामिक स्टेट और अलकायदा के आतंकवादियों के संपर्क में थे और एजेंसी के पास इसका सबूत है। एनआईए की जाँच के अनुसार, प्रतिबंधित इस्लामी संगठन एक गुप्त शाखा भी चलाता था। एनआईए ने यह भी दावा किया कि पीएफआई की गुप्त शाखा अन्य धर्मों के लोगों की हिट लिस्ट तैयार कर रही थी। जाँच एजेंसी ने अदालत को बताया, “गुप्त शाखा का राज्यव्यापी नेटवर्क था और इसका काम डेटा संग्रह और सूची तैयार करना था।”

जाँच एजेंसी का कहना है कि आईएसआईएस और अलकायदा जैसे आतंकवादी संगठन उन देशों में पीएफआई जैसे संगठनों का उपयोग करके अपनी विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम देते हैं, जहाँ वे खुले तौर पर काम नहीं कर सकते। एनआईए को इनपुट मिले हैं कि केरल में पीएफआई के कई नेता अलकायदा के कुछ नेताओं के संपर्क में थे। इसके लिए विस्तृत जाँच की आवश्यकता है।

NIA ने यह भी बताया कि छापेमारी के दौरान पीएफआई की देश विरोधी गतिविधियों के संबंध में डिजिटल और अन्य सबूत हासिल किए गए हैं। एजेंसी ने बताया, “जाँच में पता चला है कि पीएफआई के लोग सोशल मीडिया समूहों के माध्यम से आतंकवादी गतिविधियों के लिए युवाओं को भर्ती करने का प्रयास कर रहे थे। एनआईए ने कोर्ट को जानकारी देते हुए बताया कि मामले में जाँच पूरी होने के करीब है और कई लोगों से पहले ही पूछताछ की जा चुकी है।

यह मामला 22 सितंबर, 2022 को देश भर में एक साथ पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी और संगठन के नेताओं व कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी से जुड़ा हुआ है। प्रतिबंधित संगठन के नेताओं पर ‘गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA)’ के तहत मामला दर्ज किया गया था। कोच्चि में इस संबंध में 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। एनआईए ने जाँच पूरी करने और चार्जशीट दायर करने के लिए कोर्ट से अतिरिक्त 90 दिन की समय की माँग की थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। इस तरह मामले में गिरफ्तार लोगों की हिरासत की अवधि बढ़कर 180 दिन हो गई है।

इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 21 नवंबर, 2022 को कोर्ट में जानकारी दी थी कि पीएफआई ने देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए देश से विदेश तक कई संस्थाओं और व्यक्तियों के साथ साझेदारी की थी। उनके माध्यम से प्रतिबंधित संगठन गैर कानूनी तरीके से धन जुटाता था और जुटाई गई रकम पीएफआई के बैंक खातों में चंदे के रूप में दिखा कर जमा की जाती थी। बाद में इस धन का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों में किया जाता था।

उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने हाल ही में आतंकवादियों से संबंध होने और सांप्रदायिक घृणा फैलाने के आरोप में पीएफआई को प्रतिबंधित कर दिया था। पीएफआई की संबद्ध संस्थाओं- रिहैब इंडिया फाउंडेशन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन, नेशनल वीमेंस फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पॉवर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन-केरल को भी प्रतिबंधित संगठनों की सूची में रखा गया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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