कलकत्ता हाईकोर्ट से पश्चिम बंगाल सरकार को बड़ा झटका लगा है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की पीठ ने पुलिस और प्रशासन को फटकार लगाते हुए पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा मामले में सरकार की दूसरी ऑटोप्सी रिपोर्ट और डीएनए रिपोर्ट सीबीआई (CBI) को सौंपने का आदेश दिया है।
इससे पहले हाईकोर्ट की पाँच जजों की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए भाजपा कार्यकर्ता अभिजीत सरकार की नृशंस हत्या को लेकर पुलिस और प्रशासन को दूसरी ऑटोप्सी रिपोर्ट और डीएनए (DNA) टेस्ट कराने का आदेश दिया था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, हाईकोर्ट ने चुनाव बाद हिंसा के मामलों में हत्या और बलात्कार सहित महिलाओं के खिलाफ अपराधों की अदालत की निगरानी में सीबीआई जाँच का आदेश दिया है। इसके साथ ही अदालत ने अन्य सभी मामलों की जाँच एसआईटी को सौंपी है। आईपीएस अधिकारी सुमन बाला साहू, सौमेन मित्रा और रणबीर कुमार के नेतृत्व में SIT का गठन किया जाएगा। इसकी निगरानी सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे।
गौरतलब है कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने जुलाई 2021 में चुनाव बाद हुई हिंसा में मारे गए भाजपा कार्यकर्ता अभिजीत सरकार का डीएनए टेस्ट कमांड अस्पताल में कराने का आदेश दिया था। इसके साथ ही प्रशासन को इसकी जाँच रिपोर्ट 7 दिन के अंदर कोर्ट में जमा करने का आदेश भी दिया था।
बता दें कि पश्चिम बंगाल में 2 मई 2021 को चुनावी नतीजों में तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) की जीत सुनिश्चित होने के बाद हिंसा भड़क उठी थी। विपक्ष खासकर बीजेपी समर्थक इस दौरान उनके निशाने पर थे। बीजेपी से जुड़े जिन लोगों की हत्या की गई, उनमें अभिजीत सरकार और हारन अधिकारी शामिल थे। हिंसा की सीबीआई जाँच व विशेष जाँच दल (SIT) के गठन को लेकर इनके परिजनों की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार को नोटिस भी जारी किया था।
याचिका पर सुनवाई के दौरान यह तथ्य भी सामने आया कि किस बेरहमी से अभिजीत सरकार की हत्या की गई थी। सरकार की पत्नी जो इस घटना की चश्मदीद भी हैं उन्होंने बताया, “भीड़ ने उनके गले में सीसीटीवी कैमरे का तार बाँध दिया और उससे उनका गला दबाया। उन्हें ईंट और डंडों से पीटा। सिर फाड़ दिया और माँ के सामने उनकी बेरहमी से हत्या कर दी। आँखों के सामने बेटे की हत्या होते देख उनकी माँ बेहोश होकर मौके पर ही गिर गईं।”