अभी कुछ दिन पहले ही अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में आरोप पत्र में कुछ पत्रकारों के नाम का उल्लेख किया गया था। मगर जल्द ही यह पता चला कि शेखर गुप्ता नाम के एक पत्रकार, जिन्हें हथियार दलाल क्रिश्चियन मिशेल ने अगस्ता वेस्टलैंड सौदे के बारे में कम आक्रामक लेख लिखने के लिए ‘प्रभावित’ किया है।
अगस्ता वेस्टलैंड डील के बिचौलिए मिशेल को दिसंबर 2018 में दुबई से प्रत्यर्पित किया गया था और फिलहाल वह हिरासत में है। जाँच एजेंसियाँ उससे किकबैग के बारे में पूछताछ कर रही हैं कि वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों को खरीदने के सौदे को कैसे सील कर दिया गया। मिशेल ने कई नामों का खुलासा किया है, कुछ सीधे और कुछ कोड नामों के रूप में जैसे कि FAM अर्थात परिवार, AP, RG, आदि में शेखर गुप्ता का नाम मीडिया आउटलेट्स द्वारा एक्सेस किए गए चार्जशीट के कुछ हिस्सों में सीधे उल्लेख किया गया था।
खबर फैलने के बाद, शेखर गुप्ता ने अपने समाचार पोर्टल ‘द प्रिंट’ के माध्यम से एक बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा कि क्रिश्चियन मिशेल के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय के आरोप पत्र में किया गया दावा कि अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे घोटाले में एक प्रमुख संदिग्ध मिशेल ने गाय डगलस नाम के व्यक्ति के माध्यम से शेखर गुप्ता को द इंडियन एक्सप्रेस में लिखे लेखों में टोन डाउन करने के लिए कहा था। गुप्ता ने आगे दावा किया कि चॉपर घोटाले की मीडिया जाँच में वह सबसे आगे थे और उनके नेतृत्व में ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने सबसे पहले घोटाले की स्टोरी को प्रकाशित किया था। इसके साथ ही उन्होंने क्रिश्चियन मिशेल द्वारा इस कथित रहस्योद्घाटन की ‘टाइमिंग’ पर भी संदेह जताया।
शेखर गुप्ता ने इस बयान के बाद इस घटना के बारे में ज्यादा बात नहीं की। हालाँकि, यह पहली बार नहीं है, जब शेखर गुप्ता का नाम रक्षा सौदों में लिप्त विदेशी कंपनियों के बारे में बात करते हुए आया है।
लगभग 4 साल पहले, अक्टूबर 2014 में एक विवाद छिड़ गया था, जब एनडीटीवी ने अचानक पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल डीके जोशी का एक साक्षात्कार लिया था, जिसका शीर्षक “एक्स-नेवी चीफ एक्सप्लोसिव डिस्क्लोजर्स” था। और फिर इस इंटरव्यू को डिलीट कर दिया गया। जिसके बाद ये सवाल उठने लगा कि कोई मीडिया हाउस अपने एक्सक्लूसिव खबर को क्यों हटाएगा और वो भी तब, जब चैनल ने खुद इंटरव्यू लिया हो। इससे साफ जाहिर होता है कि इस साक्षात्कार में कुछ ऐसा था, जिसे मीडिया हाउस छिपाना चाहती होगी।
फरवरी 2014 में, एडमिरल देवेंद्र कुमार जोशी नौसेना दुर्घटनाओं की एक शृँखला की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा देने वाले पहले भारतीय नौसेना प्रमुख बने। आईएनएस सिंधुरत्न में 26 फरवरी, 2014 को मुंबई तट पर आग लगने से दो अधिकारियों की मौत की जिम्मेदारी लेते हुए एडमिरल जोशी ने उसी दिन इस्तीफा दे दिया और उनके इस्तीफे को कुछ घंटों के भीतर स्वीकार कर लिया गया।
कुछ महीनों बाद, एनडीटीवी के वरिष्ठ रक्षा पत्रकार नितिन गोखले को एडमिरल जोशी का एक विशेष साक्षात्कार लेने का मौका मिला, जहाँ उन्होंने यह जानने की कोशिश की कि पूर्व नौसेना प्रमुख को किन परिस्थितियों में इस्तीफा देना पड़ा था। इंटरव्यू में एडमिरल जोशी ने एक बेकार और अक्षम मॉडल सशस्त्र बलों के बारे में अफसोस जताया। उन्होंने कहा कि प्रणाली में सुधारों की आवश्यकता थी, लेकिन निहित स्वार्थ ऐसे सुधारों को रोक रहे थे।
पूर्व नौसेना प्रमुख ने कहा कि ऐसे निहित स्वार्थों के पास अधिकार था, लेकिन कोई जवाबदेही नहीं थी, जबकि सशस्त्र बलों के पास जवाबदेही है। जिसके कारण उन्होंने इस्तीफा दे दिया, लेकिन कोई अधिकार नहीं। साक्षात्कार वास्तव में एक्सप्लोसिव था, क्योंकि उसमें यह पता चला था कि कैसे यूपीए शासन काल में राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों की उपेक्षा की गई थी।
“एक्सक्लूसिव: पूर्व नौसेना प्रमुख ने यूपीए सरकार पर किया हमला” और “एक्स-नेवी चीफ द्वारा एंथनी के वर्षों का मूल्यांकन किया गया” साक्षात्कार के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले एनडीटीवी के कुछ सबटाइटल थे।
हालाँकि, कुछ दिनों के भीतर ही, एनडीटीवी द्वारा इस एक्सक्लूसिव और एक्सप्लोसिव इंटरव्यू को डिलीट कर दिया गया। यहाँ तक कि साक्षात्कार के ट्रांसक्रिप्ट के साथ रिपोर्ट को भी गायब कर दिया गया।
क्या एनडीटीवी वालो ने कॉन्ग्रेस नेताओं के दबाव में आकर वीडियो डिलीट किया? हालाँकि, यह दावा किया गया है कि जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, तब एनडीटीवी ने प्रधानमंत्री कार्यालय से संपादकीय लाइनें भी ली। लेकिन उस संभावना को ज्यादातर खारिज किया जाता रहा है, क्योंकि साक्षात्कार का वह हिस्सा जहाँ एडमिरल जोशी यूपीए सरकार पर हमला बोल रहे हैं, अभी भी एनडीटीवी की वेबसाइट पर बरखा दत्त के एक शो के हिस्से के रूप में उपलब्ध है, जो उस समय एनडीटीवी के साथ थी। इससे जाहिर होता है कि एनडीटीवी ने कॉन्ग्रेस के दबाव में आकर इंटरव्यू डिलीट नहीं किया। तो अब सवाल ये है कि अगर कॉन्ग्रेस पार्टी का दबाव नहीं है, तो फिर इंटरव्यू क्यों डिलीट किया गया?
इस रहस्य को तीन साल बाद अक्टूबर 2017 में काफी हद तक सुलझाया गया, जब नितिन गोखले ने फेसबुक पोस्ट में इसके बारे में बताया। उन्होंने उन परिस्थितियों का खुलासा किया जिसकी वजह से साक्षात्कार को हटाया गया था और इसी कारण उन्होंने एक महीने के भीतर एनडीटीवी से इस्तीफा दे दिया, क्योंकि उन्हें लगा कि इस तरह की सेंसरशिप फिर से हो सकती है।
“हिंदी और अंग्रेजी दोनों में कम से कम पाँच बार टेलीकास्ट होने के बाद, एनडीटीवी प्रबंधन ने एडमीरल डीके जोशी के साथ साक्षात्कार की सामग्री को अपमानजनक माना और इसे हटाने का फैसला किया। मेरा संदेह डिफेम होने से अधिक था, एडमिरल जोशी ने एनडीटीवी के कुछ सहयोगियों और दोस्तों को शायद करारा जवाब दिया था। इसलिए साक्षात्कार और इसके ट्रांसक्रिप्ट को हटाने का निर्णय लिया गया। सभी की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन करने और सुरक्षा करने के सारे आदर्श, उस पल गायब हो गए जब एनडीटीवी के अपने कर्मी को ही नुकसान पहुँचाया। इसका एडमिरल के FoE से कोई संबंध नहीं था। ”- ये बातें नितिन गोखले ने फेसबुक पर लिखी है।
इस साक्षात्कार में एडमिरल जोशी ने न केवल यूपीए शासन की आलोचना की थी, बल्कि उन्होंने रक्षा मामलों पर अपरिपक्व और दुर्भावनापूर्ण रिपोर्टिंग के लिए मीडिया के कुछ धड़ों और गिरोहों की भी आलोचना की थी। एडमिरल जोशी का निम्न कथन एनडीटीवी के पुराने सहयोगी नितिन गोखले के बारे में उनके फेसबुक पोस्ट पर संकेत देता है।
एडमिरल डीके जोशी ने साक्षात्कार में कहा था कि दो समाचार पत्र थे, जिनमें से एक ने तख्तापलट जैसा शब्द ईजाद किया था, यह रिपोर्टर विदेशी वेंडर्स और हथियार दलालों का प्रिय था, और अपने महत्व को बनाए रखने के लिए वह ऐसे लेख लिख रहे थे जैसे जब रिपोर्टर विदेशी वेंडरों के ठेके पर हो।
यह समझने के लिए किसी विशेष ज्ञान या डिकोडिंग की आवश्यकता नहीं है कि शेखर गुप्ता और इंडियन एक्सप्रेस को किसी को “तख्तापलट सिद्धांत” के बारे में बात करने के लिए भेजा जा रहा है।
हालाँकि, एडमिरल ने सीधे तौर पर शेखर गुप्ता का नाम नहीं लिया, लेकिन जब Opindia ने नितिन गोखले से पूछा कि क्या उन्हें कभी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कहा गया था कि शेखर गुप्ता साक्षात्कार से नाखुश थे और चाहते थे कि इसे डिलीट कर दिया जाए। तो उन्होंने इसका जवाब देते हुए Opindia को बताया कि उन्हें कभी सीधे तौर पर यह नहीं बताया गया कि शेखर गुप्ता साक्षात्कार से नाखुश थे या वह इसे हटाना चाहते थे, लेकिन न्यूज़ रूम की बातचीत से यह स्पष्ट था कि प्रबंधन ने किसी ऐसे व्यक्ति से बात की थी जो उनके करीब था। इसलिए प्रबंधन ने साक्षात्कार को डिलीट कर दिया। नितिन गोखले ने लिखा कि इस घटना के बाद एनडीटीवी से इस्तीफा देने का उन्हें कोई अफसोस नहीं है।
उन्होंने कहा, “मैंने सोचा कि यह समय आगे बढ़ने और एक ऐसी जगह को पीछे छोड़ देने का है, जो बाहरी से रूप भले सुसंगत, परिष्कृत और ‘उदार’ दिखता हो, लेकिन वास्तव में भाई-भतीजावाद, पक्षपात और कुटिलता से भरी है, जिसे विशेषीकृत लोगों की रक्षा करने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। उन्होंने निष्पक्ष रूप से अपनी बात रखते हुए कहा कि मेरे जैसे एक व्यक्ति को एनडीटीवी की दुनिया में प्रवेश करने की अनुमति देकर कोई एहसान नहीं किया जा रहा था, उन्हें इसलिए रखा गया था, क्योंकि 2006 में उस समय उनकी आवश्यकता थी। मैंने काम का आनंद लिया और एक उच्च प्रोफ़ाइल प्राप्त की क्योंकि मैंने अपनी काबिलियत साबित कर दी लेकिन एक अनदेखी काँच की दीवार हमेशा हमारे लिए ‘बाहरी लोगों’ के रूप में मौजूद थी।”
एक यूजर द्वारा हटाए गए साक्षात्कार को यूट्यूब पर बैकअप और अपलोड किया गया, जिसे नीचे देखा जा सकता है। अगर एनडीटीवी ने इंटरव्यू डिलीट किया तो इसके कुछ और भी कारण हो सकते हैं, जिसका पाठक खुद पता लगा सकें।