कोरोना वायरस के संक्रमण का प्रसार रोकने के लिए देश में 21 दिनों का लॉकडाउन है। इस दौरान देश की कई मस्जिदों में विदेशी मौलवियों के छिपे होने के मामले सामने आए हैं। संक्रमण से बचाव का सबसे कारगर उपाय सोशल डिस्टेंसिंग है। बावजूद अलग-अलग शहरों में सामूहिक रूप से नमाज अदा करने के मामले सामने आ चुके हैं। दिशा-निर्देशों और नियम-कायदों की धज्जियॉं उड़ाकर मजहबी जुटान हो रहा है। इसका सबसे ताजा उदाहरण दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात के मरकज में हुआ इज्तिमा है।
मरकज से निकले कई लोग संक्रमित पाए गए हैं। तेलंगाना में ऐसे छह लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। इसके बाद देश के हर राज्य में यहॉं से निकले लोगों की पहचान हो रही है ताकि उनकी जॉंच की जा सके और संक्रमण पर काबू पाया जा सके। लेकिन इस काम में समुदाय विशेष की भीड़ बाधक बनती दिख रही है।
इसी कड़ी में गुजरात के अहमदाबाद स्थित गोमतीपुर में भीड़ द्वारा पुलिस पर पत्थरबाजी की घटना सामने आई है। गोमतीपुर में पुलिस उन लोगों की तलाश में गई थी, जिन्होंने तबलीगी जमात के कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। बता दें कि दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित 6 मंजिला इमारत मरकज़ में ढाई हज़ार लोगों का जमावड़ा लगा था। तमिलनाडु और तेलंगाना सहित कई राज्यों में बड़े पैमाने पर ऐसे कोरोना मरीज मिले हैं, जो मरकज़ में होने वाले मजहबी कार्यक्रम का हिस्सा थे और संक्रमित हो गए। आशंका है कि उन्होंने अन्य राज्यों जाकर कई अन्य लोगों को भी संक्रमित कर दिया। हर राज्य में वैसे लोगों की खोज जारी है, इसी क्रम में गुजरात में भी पुलिस सर्च अभियान में पहुँची थी। गुजरात में सोमवार (मार्च 30, 2020) को कोरोना वायरस के कारण 2 लोगों की मौत हो गई। सोमवार को ही राज्य में कोरोना वायरस से संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले भी सामने आए। 10 संक्रमित मरीज ऐसे हैं, जिन्हें कैसे संक्रमण हुआ इसका पता भी नहीं लग पाया है। यानी इन 10 मरीजों के संक्रमण का सोर्स अज्ञात है।
इससे पहले बिहार के मधुबनी जिले में समुदाय विशेष की भीड़ ने पुलिस पर हमला किया था। पुलिस टीम एक मस्जिद में जमात के लोगों के होने और सामूहिक नमाज रुकवाने के लिए पहुॅंची थी। लेकिन भीड़ ने उसे करीब एक किमी तक खदेड़ा। पत्थरबाजी की। फायरिंग की। पुलिस के जीप तालाब में पलट दी। लोग इतने हिंसक थे कि थानेदार और बीडीओ को जान बचा कर भागना पड़ा। पुलिस ने 15 लोगों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की है, जिनमें से 4 को गिरफ़्तार भी कर लिया गया है।
Stone pelting in #Gomtipur area of #Ahmedabad as cops went to search for people who had gone to #Nizamuddin congregation.#Covid19
— TOI Ahmedabad (@TOIAhmedabad) April 1, 2020
पुलिस को ये भी लग रहा है कि मधुबनी की अंधारठाढ़ी के गीदड़गंज स्थित उस मस्जिद में कुछ विदेशी भी छिपाए गए हो सकते हैं। वहाँ कोई ऐसा व्यक्ति नहीं मिला जो निजामुद्दीन के मरकज़ में गया हो। एसपी सत्य प्रकाश ने बताया कि सीमावर्ती जिला होने के कारण वहाँ ज्यादातर नेपाल से लोग आए हुए हैं। पुलिस को सूचना मिली थी कि एक स्थानीय राजद नेता के घर पर कुछ विदेशियों को रखा गया है और वही उनकी देखभाल भी कर रहा है।
पुलिस पर फायरिंग करने वाला भी उसी राजद नेता का खास है। जिस तरह से पत्थरबाजी हुई, उससे साफ़ पता चलता है कि मस्जिद व घरों की छत्तों पर बड़े-बड़े पत्थर रखे हुए थे। इसी तरह छत्तीसगढ़ के भिलाई की एक मस्जिद से चार महिलाओं समेत आठ लोग मिले हैं। पश्चिम बंगाल के मिदनापुर के रहने वाले ये लोग भी मरकज से निकलकर इस मस्जिद में छिपे थे। स्वास्थ्य विभाग की टीम के पहुॅंचने पर ये हंगामा करने लगे। पुलिस को भी शुरुआत में गुमराह करने की कोशिश की।
इसी तरह महाराष्ट्र के सोलापुर में भी पुलिस पर पत्थरबाजी की गई। पुलिस को लोगों को समझाना पड़ा कि प्रशासन किसी भी मजहब के ख़िलाफ़ नहीं है, वो तो लोगों के हित के लिए ही काम कर रहा है। एसपी को ख़ुद वीडियो जारी कर समझाना पड़ा कि सोशल डिस्टेनसिंग का पालन कराना या करना किसी मजहब के ख़िलाफ़ नहीं है।
इसी तरह 28 मार्च को असम के बोंगाईगाँव में पुलिस पर पत्थरबाजी की गई। पुलिस सोशल डिस्टेनसिंग को ध्यान में रखते हुए पुलिस बड़ा बाजार क्षेत्र में दुकानों को बंद कराने गई थी। बोंगाईगाँव समुदाय विशेष बहुल जिला है। एसपी ने बताया कि दुकानों को बंद कराने समय अचानक से कुछ लोगों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। पत्थर चलाने वालों में अधिकतर नाबालिग थे। पुलिस को वहाँ जान बचाने के लिए फायरिंग तक करनी पड़ी थी।