संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में पहली बार ऐसा हुआ है, जब राष्ट्रपति चुनावों के लिए किसी हिन्दू ने दावेदारी ठोकी। अमेरिका की पहली महिला हिन्दू कॉन्ग्रेस वुमेन तुलसी गबार्ड ने 2020 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प के ख़िलाफ़ मैदान में उतरने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी लोगो के पास कई चुनौतियाँ हैं, जिनकी वो चिंता करती हैं और उन्हें हल करना चाहती हैं। अपनी उम्मीदवारी के बारे में जानकारी देते हुए तुलसी ने ट्विटर पर कहा;
“एक-दूसरे के लिए और अपने देश के लिए जब हम एक साथ खड़े होते हैं, तो ऐसी कोई चुनौती नहीं है, जिसे हम दूर नहीं कर सकते। क्या आप मेरा साथ देंगे?”
बता दें कि तुलसी गबार्ड अमेरिकी कॉन्ग्रेस में चुनी जाने वाली पहली हिन्दू हैं। अमेरिका के हवाई प्रांत से कॉन्ग्रेस में चुनी गई तुलसी डेमोक्रैट पार्टी से ताल्लुक़ रखती हैं। 38 वर्षीय तुलसी के पिता ईसाई होने के बावजूद मंत्र ध्यान और कीर्तन में अच्छी-ख़ासी रूचि रखते हैं। उनकी माँ भी हिन्दू धर्म को ही मानती हैं। तुलसी जब किशोरावस्था में थीं, तभी उन्होंने हिन्दू धर्म अपना लिया था।
When we stand together, united by our love for each other and for our country, there is no challenge we cannot overcome. Will you join me? #TULSI2020 https://t.co/bymLSiaRkF
— Tulsi Gabbard (@TulsiGabbard) January 12, 2019
2002 में मात्र 21 वर्ष की उम्र में कॉन्ग्रेस सदस्य बन कर उन्होंने इतिहास रच दिया था। हवाई प्रांत की सबसे युवा कॉन्ग्रेस सदस्य बनने का रिकॉर्ड बना चुकीं तुलसी गबार्ड अब डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने के लिए ताल ठोकेंगी। चार बार से कॉन्ग्रेस सदस्य रहीं तुलसी अमेरिका में रह रहे भारतीयों और हिन्दुओं के बीच काफ़ी लोकप्रिय हैं। इस कारण पहले से ही ये कयास लगाए जा रहे थे कि वो आगामी राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार के तौर पर हिस्सा ले सकती हैं। 2012 में reddif को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा था:
“मैंने अपने किशोरावस्था में गंभीर विचार-विमर्श और चिंतन के बाद सनातन धर्म को पूरी तरह से अपना लिया । मैं बचपन से भगवद्गीता का अध्ययन कर रही हूँ। मैं अपने जीवन के हर पहलू पर कर्म योग और भक्ति योग के भगवद्गीता के सिद्धांतों को लागू करने की कोशिश कर रही हूं। और निश्चित ही मैं महाभारत, रामायण आदि से बहुत परिचित हूं।“
सितम्बर 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब अमेरिकी दौरे पर गए थे तब तुलसी गबार्ड ने अपनी पारिवारिक भगवद्गीता की पुस्तक उन्हें भेंटस्वरूप दी थी। ये भी जानने लायक बात है कि जब तुलसी अमेरिकी कॉन्ग्रेस में शपथ ले रही थीं, तब भी हाथ में उन्होंने गीता पकड़ी हुई थी। पीएम मोदी को ये पुस्तक भेंट करने के बाद गीता के प्रति अपने प्रेम को ज़ाहिर करते हुए तुलसी ने कहा था:
“मेरे लिए इस गीता से अधिक विशेष और मूल्यवान कुछ भी नहीं हो सकता है जो मैंने बचपन से संभाल कर रखी है।”
तुलसी की ताजा घोषणा के बाद अमेरिका के कई नेताओं और विशेषज्ञों ने उनके इस फैसले का स्वागत किया है। बता दें कि अमेरिका के 200 साल से भी अधिक के लोकतांत्रिक इतिहास में अभी तक कोई महिला राष्ट्रपति नहीं चुनीं गई हैं। पिछले चुनावों में हिलेरी क्लिंटन डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार थीं लेकिन उन्हें डोनाल्ड ट्रम्प के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। अगर तुसली गबार्ड ये कारनामा करने में सफल होती हैं तो वो अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति होंगी।