योगी सरकार के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने अपने नाम एक नया रिकॉर्ड दर्ज किया है। यह रिकॉर्ड महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) के तहत 26.1 करोड़ मानव दिवस सृजन करने का है। इस योजना के तहत सालाना टारगेट 26 करोड़ का होता है। मगर इस वर्ष 6 महीने में ही प्रदेश ने अपना टारगेट हासिल कर लिया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मनरेगा का वार्षिक लक्ष्य 6 महीने में पूर्ण किए जाने पर अपना संतोष व्यक्त करते हुए कल कहा कि कोरोना काल में ग्रामीण इलाकों में रोजगार के व्यापक अवसर सृजित करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने मनरेगा के कार्यों को प्राथमिकता से संचालित कराया।
#UttarPradesh has set a record of creating 26.1 crore man-days under the Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Scheme (#MGNREGS) in just six months against the annual target of 26 crore pic.twitter.com/WkugehlVpN
— IANS Tweets (@ians_india) October 20, 2020
उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में मनरेगा के माध्यम से 26 करोड़ मानव दिवस सृजन का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। हालाँकि, इस लक्ष्य की 6 महीने में ही पूर्ति होते ही राज्य में अब तक मनरेगा के तहत 26.14 करोड़ मानव दिवस सृजित किए जा चुके हैं।
#UttarPradesh has set a record of creating 26.1 crore man-days under the Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Scheme (#MGNREGS) in just six months against the annual target of 26 crore pic.twitter.com/WkugehlVpN
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गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों में राज्य ने यह आँकड़ा इतनी जल्दी नहीं पार किया था। डेटा बताता है कि इस स्कीम के तहत लोगों का पंजीकरण हर बार 1.03 करोड़ तक स्थिर होता था जिससे लगभग 5 करोड़ तक मानव दिवस निर्मित हो पाते। बावजूद इसके ग्रामीण विकास विभाग ने साल 2015-16 में 52.11%, 2016-17 में 48.11%, 2017-18 में 46.81%, 2018-2019 में 49.60% और 2019-2020 में 43.69% का लक्ष्य पूरा किया था।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह आइडिया इसलिए था ताकि इसमें उन लोगों को शामिल किया जा सके जो सामाजिक आर्थिक सूचकांक में कम हैं। यह केंद्र द्वारा चिह्नित किए गए स्थायी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए किया जा रहा है। यह पहली बार है कि राज्य ने केवल आधी अवधि में योजना का वार्षिक लक्ष्य प्राप्त किया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने एक बयान में कहा कि महामारी के चरम के बीच ग्रामीण क्षेत्रों में वापस आने वाले प्रवासियों को रोजगार प्रदान करने में यह योजना काफी मददगार साबित हुई। वहीं एक सरकारी प्रवक्ता के अनुसार योगी आदित्यनाथ सरकार ने देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के एक महीने बाद 21 अप्रैल से प्रवासियों को नौकरी देना शुरू कर दिया था।