उत्तर प्रदेश के रामपुर की अदालत ने अकरम, मुस्तकीम और साजिद को अनुसूचित जाति के मजदूरों पर खतरनाक हथियारों से हमला करने और उन्हें गंभीर चोटें पहुँचाने का दोषी ठहराया है। जिन मजदूरों पर हमला किया गया, वे नवंबर 2015 में स्थानीय लोगों के समर्थन से अपने इलाके में मरम्मत का काम कर रहे थे, जब दोषी डंडों और लाठियों के साथ उनके पास आए और कहा, “तुम सालों… च*** (एक जातिवादी गाली)! धर्मशाला बनाने की हिम्मत तुम्हारी कैसे हुई? ये हमारी जगह है।”
अदालत के आदेश के मुताबिक, “मुस्लिम” नाम के चौथे व्यक्ति और साजिद ने मजदूर पर डंडों से हमला किया, जिसमें अतर सिंह लहूलुहान हो गया। अतर सिंह की बाद में मौत हो गई। हालाँकि मुकदमे के दौरान मुस्लिम नाम के आरोपित की मौत हो गई, इसकी वजह से उसका नाम केस से अलग कर दिया गया। इस मामले में एससी समाज के लोगों पर धर्मशाला की मरम्मत के समय हमला किया गया। हमलावरों ने कहा कि ये जमीन हमारी है और तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई इस पर धर्मशाला बनाने की।
#BREAKING: A court in Rampur has convicted Akram, Mustakeem & Sajid. They attacked a group of labourers belonging to SC/ST caste, while they were doing repair work & said to them,
— LawBeat (@LawBeatInd) March 29, 2024
“You bastard, Chammatto, how did you get the courage to
build a Dharamshala? This is our place!” pic.twitter.com/mOwhVxcYNB
अदालत ने अकरम, मुस्तकीम और साजिद को भारतीय दंड संहिता (धारा 323, 324 और 504) के साथ-साथ धारा 3 और 4 के तहत खतरनाक हथियारों के इस्तेमाल से स्वेच्छा से चोट पहुँचाने और शांति में बाधा डालने के लिए और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत दोषी ठहराया और 6.5 साल (कुल) कारावास की सजा सुनाई गई। हालाँकि हत्या के प्रयास (धारा 307 के तहत) के अपराध से तीनों को बरी कर दिया गया है। अदालत ने बचाव पक्ष के वकील की इस दलील को खारिज कर दिया कि दोषियों को न्यूनतम सजा दी जानी चाहिए क्योंकि वे अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए पूरी तरह जिम्मेदार हैं और अगर दोषियों को सलाखों के पीछे रखा गया तो वे भूखे मर जाएँगे।
विशेष न्यायाधीश पीएन पांडे ने कहा कि अकरम को हत्या के अपराध के लिए दोषी नहीं ठहराया जाएगा क्योंकि उसका इरादा एक मजदूर के भाई अतर सिंह को मारने का नहीं था। उसने भले ही तेज धार वाला हथियार इस्तेमाल किया, लेकिन उसने इससे गला नहीं काटा। मेडिकल रिकॉर्ड के मुताबिक, तेज हथियार का इस्तेमाल हत्या के इरादे से नहीं किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय दंड संहिता के तहत गंभीर चोट पहुँचाने के लिए दोषी ठहराया गया।
इन धाराओं में अदालत ने सुनाई सजा
अभियुक्त मुस्तकीम, साजिद और अकरम प्रत्येक को धारा 323 सहपठित 34 आईपीसी के अपराध के लिए 06 (छह) महीने के साधारण कारावास और प्रत्येक को 500/- (पाँच सौ) रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई जाती है। जुर्माना अदा न करने पर 05 (पाँच) दिन का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
अभियुक्त मुस्तकीम, साजिद और अकरम प्रत्येक को 02 (दो) वर्ष के साधारण कारावास और 2000/- (दो हजार) रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई है। आईपीसी की धारा 324 के साथ पठित धारा 324 के अपराध के लिए प्रत्येक। जुर्माना अदा न करने पर 15 (पंद्रह) दिन का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
अभियुक्त मुस्तकीम, साजिद और अकरम प्रत्येक को धारा 504 आईपीसी के अपराध के लिए 01 (एक) वर्ष के साधारण कारावास और 1000/- (एक हजार) रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई जाती है। जुर्माना अदा न करने पर 07 (सात) दिन का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
अभियुक्त मुस्तकीम, साजिद और अकरम प्रत्येक को धारा 3 (1) के अपराध के लिए 02 (प्रत्येक को दो वर्ष का साधारण कारावास और 2,000/- (दो हजार) रुपये का जुर्माना) की सजा सुनाई जाती है।
एससी एवं एसटी (अत्याचार) अधिनियम में जुर्माना नहीं देने पर 15 (पंद्रह) दिन का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।