Sunday, November 3, 2024
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खुद को ‘जिंदा’ साबित करते-करते कोर्ट की दहलीज पर ही मर गए बुजुर्ग खेलई, कागजों में ‘मृत’ बता संपत्ति कर दी थी भाई के परिवार के नाम

खेलई को 16 नवंबर 2022 को चकबंदी न्यायालय में अपने जीवित होने के सबूत के तौर पर अपना बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया गया था। इस दौरान अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही के कारण अकारण कष्ट झेल रहे खेलई की अचानक तबीयत बिगड़ गई और चकबंदी न्यायालय के पास उनकी मृत्यु हो गई।

बॉलीवुड अभिनेता पंकज त्रिपाठी (Bollywood Actor Pankaj Tripathi) को हम सभी ने ‘कागज’ फिल्म में खुद को जिंदा साबित करने की जद्दोजहद करते हुए देखा है। साथ ही इस फिल्म में यह भी दिखाया गया है कि कैसे अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्ट कर्मचारियों के कारण अभिनेता को मृत दिखाकर उनकी जमीन किसी और ने हड़प ली थी। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के संतकबीर नगर से सामने आया है।

यहाँ करीब छह वर्ष पूर्व कागजों में खेलई नाम के शख्स को मार दिया गया था। वह भी पकंज त्रिपाठी की तरह इतने सालों से खुद को जिंदा साबित करने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे थे। वह अपने जिंदा होने की गवाही देने के लिए बुधवार (16 नवंबर 2022) को तहसील पहुँचे थे, लेकिन अपनी बात रखने से पहले ही वह न्यायालय के बाहर दुनिया को छोड़कर चले गए।

रिपोर्ट के मुताबिक, आज से 6 वर्ष पहले यानी 2016 में धनघटा तहसील क्षेत्र के कोड़रा गाँव में रहने वाले खेलई के बड़े भाई 90 वर्षीय फेरई की मृत्यु हो गई थी। तहसील के कर्मचारियों ने कागज में फेरई की जगह उनके छोटे भाई खेलई को मार डाला था।

इसके बाद खेलई की सारी संपत्ति फेरई की पत्नी सोमारी देवी और उनके तीन बेटों छोटे लाल, चालू राम और हरकनाथ के नाम कर दी गई। जैसे ही खेलई को इसकी जानकारी हुई, वह हैरान रह गए। इसके बाद वह खुद को जिंदा साबित करने में जुट गए। वह एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार के पास प्रार्थना पत्र देकर खुद के जिंदा होने का सबूत दे रहे थे।

इसी बीच गाँव में चकबंदी की प्रक्रिया शुरू हो गई। उसके बाद उन्होंने चकबंदी न्यायालय में अर्जी दाखिल की। वहाँ भी उनकी संपत्ति उनके नाम नहीं हो पाई। वह 15 नवंबर 2022 को भी चकबंदी न्यायालय गए, लेकिन उनका बयान दर्ज नहीं हो पाया था।

इसी क्रम में 16 नवंबर 2022 को चकबंदी न्यायालय में खेलई को अपना बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया था। इस दौरान खेलई के साथ उनके बेटे हीरालाल भी पहुँचे, लेकिन अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही के कारण अकारण कष्ट झेल रहे खेलई की अचानक तबीयत बिगड़ गई और चकबंदी न्यायालय के पास उनकी मृत्यु हो गई।

संतकबीर नगर, धनघटा के उप-जिलाधिकारी रवींद्र कुमार ने बताया कि जीवित होने के बाद भी खेलई का मृत्यु प्रमाण पत्र कैसे बना और कैसे दूसरे के नाम से वसीयत ट्रांसफर हुई, इन सभी बिंदुओं की जाँच कराई जाएगी। इसमें जो भी शामिल होगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। इस घटना की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी गई है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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