कहते हैं कि हौसला मजबूत और इरादे नेक हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं। इसी बात को सार्थक कर दिखाया है मध्यप्रदेश के भंडारपानी गाँव के लोगों ने। बता दें कि 500 आबादी वाले इस गाँव के 20 लोगों ने अपने बच्चों के भविष्य को सँवारने के लिए पहाड़ काटकर 3 किमी की कच्ची सड़क बना दी।
इस घटना से माउंटेन मैन दशरथ मांझी की याद आ जाती है, जिन्होंने अकेले ही 360 फुट लंबी, 30 फुट चौड़ी और 25 फुट ऊँचे पहाड़ को काट कर एक सड़क बना डाली थी। उन पर बनी फिल्म में इसी हौसले पर एक डायलॉग भी था, “भगवान के भरोसे मत बैठिए, क्या पता भगवान हमरे भरोसे बैठा हो।”
1800 फीट ऊँचे पहाड़ी पर बसे भंडारपानी गाँव के लोगों ने भी कुछ ऐसा ही सोचा और ऊँचे पहाड़ को तोड़कर सड़क बना डाली। गाँव में बच्चे पहाड़ी पर बने मिट्टी की छबाई और घास की झोपड़ी में बने स्कूल में 5वीं तक ही पढ़ाई कर पाते थे। इससे आगे की पढ़ाई के लिए गाँव में मिडिल या हाई स्कूल नहीं होने से उन्हें दिक्कत होती थी। पहाड़ी पर से उतर कर और दूसरे गाँव के स्कूल जाने में यहाँ के बच्चों को तकरीबन 3 घंटे का समय लग जाता था।
मगर अब इस रास्ता के बन जाने से ये बच्चे किसी भी मौसम में अन्य गाँव के मिडिल या हाई स्कूल तक नियमित रूप से पढ़ने जा सकेंगे। बच्चे अब 3 घंटे की जगह महज़ 30 मिनट में ये सफर तय कर लेंगे। बच्चों को पढ़ाई के लिए आने-जाने में होने वाली परेशानी को दूर करने के लिए गाँव के 20 लोगों ने अपना श्रमदान दिया और 45 दिन में तीन किलोमीटर का रास्ता बना दिया।
पहाड़ी पर बसे होने की वजह से इस गाँव में मूलभूत सुविधाओं की भी कमी है, मगर अब इस रास्ते के बन जाने से ग्रामीणों तक सरकार की बुनियादी सुविधाएँ भी पहुँच सकेंगी। घोड़ाडोंगरी इलाके के तहसीलदार सत्यनारायण सोनी बताते हैं कि यहाँ पर रहने वाले सभी परिवार आदिवासी हैं और अगर ये लोग आबादी वाले क्षेत्र में बसना चाहें, तो इन्हें बसाने का प्रयास किया जाएगा।