पुणे पोर्श कार एक्सीडेंट केस में आरोपित रईसजादे को बेल देने वाले डॉक्टर एल.एन धनावड़े के खिलाफ जाँच के आदेश दिए गए हैं। इस बीच उनकी मीडिया से भागते वीडियो सामने आई है। वीडियो में वो बिन हेलमेट पहले रोड पर स्कूटी से जा रहे हैं। वहीं मीडियाकर्मी उनसे पूछ रहे हैं कि उन्होंने दो इंजीनियरों को मौत के घाट उतारने वाले आरोपित लड़के को क्यों बेल दी थी।
#PunePorscheCase
— TIMES NOW (@TimesNow) May 30, 2024
WATCH- TIMES NOW's @awasthiabhi11 confronts JJB member, Dr. LN Danwade, who granted bail to the minor accused.
Watch the video to know what Dr. LN Danwade has to say.@anchoramitaw with more details. pic.twitter.com/KfwMUUbksk
बता दें कि एलएन धनावड़े ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड का गैर न्यायिक सदस्य होने के बावजूद आरोपित रईसजादे को बेल देने का फैसला सुनाया था वो भी दो शर्तों पर। एक शर्त तो ये कि आरोपित रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस जाए और ट्रैफिक रूल्स के बारे में बढ़े और प्रेजेंटेशन उनके आगे जमा करे और दूसरा कि वो रोड एक्सीडेंट और उनके निवारण पर 300 शब्द का निबंध लिखे।
उनके इस निर्णय की बात जब मीडिया में फैली तो महाराष्ट्र के उप सीएम देवेंद्र फडणवीस समेत कई लोगों ने इस फैसले पर सवाल उठाए। पूछा गया कि क्या दो लोगों की जान लेने की की सजा ऐसी होती है। इसके बाद उनके खिलाफ जाँच के आदेश दिए गए।
He is LN Danwade
— Veena Jain (@DrJain21) May 30, 2024
Same judge who gave Essay writing task for Vedant Agarwal in return of Two murder through Drunk & Drive in Pune Porsche case
Now Running away from media without any accountability 😑#Pune #GoBackModi #Gandhi #Israel #ByeByeModi #BJP
pic.twitter.com/0GpjJWc8vB
मौजूदा जानकारी के अनुसार, एलएन धनावड़े ने जुवेनाइल बोर्ड के सदस्य होने के नाते अपना यह फैसला तो दिया था लेकिन इस दौरान उन्होंने नियमों का पालन नहीं किया था। पुणेकर न्यूज के मुताबिक, ऐसे फैसले लेते समय जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के दो सदस्यों का होना जरूरी होता है। मगर फिर भी धनावड़े ने मामला अकेले सुना और बिन किसी बोर्ड के अधिकारी से संपर्क किए निर्णय़ ले लिया। बाद में 22 मई को दोबारा सुनवाई हुई और आरोपित की बेल कैंसिल हो गई।
कौन है रईसजादे को बेल देने वाले डॉ एलएन धनावड़े
जानकारी के मुताबिक, डॉ एलएन धनावड़े जुवेनाइल बोर्ड के सदस्य से पहले बालग्राम ‘SOS’ के बोर्ड में थे, जो कि रायगढ़ में है। वहाँ उन्हें एक नाबालिग लड़की की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के मामले में सस्पेंड किया गया था। इसके बाद इन्हें पुणे भेजा गया और यहाँ ये पुणे बाल कल्याण समिति से जुड़े। इसके बाद इन्हें जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में पद मिल गया। अब उन्होंने इसी पद का फायदा उठाते हुए अपना फैसला सुनाया है।