असम में भाजपा के सत्ता में आने के बाद अन्धविश्वास के चलते होने वाले अपराध में गिरावट आई है। असम में प्रचलित अंधविश्वास की एक कुप्रथा ‘विचहंट’ में होने वाली हत्या की घटनाओं में भारी गिरावट दर्ज की गई। दरअसल ‘विचहंट’ एक कुप्रथा है, जिसका आधार ही अंधविश्वास है।
शनिवार को कॉन्ग्रेस की एक विधायक नंदिता दास के प्रश्न के जवाब में विधानसभा में बोलते हुए असम सरकार के मंत्री चन्द्र मोहन पाटोवेरी ने बताया कि राज्य में भाजपा के सत्ता में आने से पूर्व 2011 से 2016 के बीच 107 लोगों ने इस कुप्रथा के चलते अपनी जान गँवाई थी। जबकि इसके बाद भाजपा के शासनकाल के आँकड़ों को देखें तो इन घटनाओं में खासी गिरावट देखी गई। जून 2016 से लेकर अक्टूबर 2019 तक के बीच राज्य में भाजपा की सरकार आने के बाद अंधविश्वास के चलते होने वाली हत्या का आँकड़ा गिरकर 23 पर आ गया।
एक रिपोर्ट के मुताबिक असम के निचले भाग में पड़ने वाले कोकराझार जिले में इस कुप्रथा के चलते सबसे ज्यादा मर्डर होते रहे हैं। इस इलाके में 2011 से लेकर अक्टूबर 2019 तक करीबन 22 हत्या हो चुकी हैं। वहीं पड़ोस का चिरांग जिला इस मामले में 19 हत्याओं के आँकड़े के साथ दूसरे नंबर पर है। इसके अलावा इस मामले में होने वाली हत्याओं की फेहरिस्त में राज्य 21 अन्य जिलों के नाम शामिल हैं, जिनमें से अधिकतर बोडोलैंड सीमा में पड़ने वाले जिले हैं।
इस मामले में जवाब देते हुए पाटोवेरी ने बताया कि राज्य सरकार ने अक्टूबर में असम विचहंट एक्ट 2015 में लोगों को जागरूक करने के कई कार्यक्रम भी शुरू किए, जिससे ऐसी अंधविश्वास की कुप्रथाओं से निजात मिल सके। उन्होंने बताया कि हाल ही के आँकड़े के मुताबिक जो 23 मौतें हुईं, उनमे 12 पुरुष थे जबकि 11 महिलाएँ।
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