असम के दर्रांग जिले में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान हुई हिंसा को लेकर मध्य-पूर्व के इस्लामवादियों ने एक टारगेट प्रोपेगेंडा कैंपेन शुरू किया है। आरोप लगाया जा रहा है कि भारत में मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है और सरकार उनकी उपेक्षा कर रही है।
असम की घटना का हवाला दे कुछ लोग हिंदुओं के बहिष्कार की माँग करते हुए अन्य इस्लामी देशों से भारत के खिलाफ एकजुटता की अपील कर रहे हैं। ICESCO के पूर्व महानिदेशक, ए. अलवाजिरी (A. Altwaijri) ने ट्वीट कर नरेंद्र मोदी की हिंदू सरकार पर मुसलमानों को एक सोची समझी नीति के अनुसार प्रताड़ित और बदसलूकी का आरोप लगाया है।
एक अन्य व्यक्ति ने ट्विटर पर कहा कि जब तक ‘मुसलमानों की हत्या’ बंद नहीं हो जाती, तब तक इस्लामी देशों को भारत के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर नहीं करना चाहिए।
अब्दुल रहमान अल-नासर ने भारत के खिलाफ इसी तरह के दुष्प्रचार के लिए दर्रांग हिंसा का इस्तेमाल किया। उसने कहा, “खाड़ी में 3 मिलियन (30 लाख) से अधिक हिंदू हैं। वे अरबों डॉलर भारत भेजते हैं। हम उनका सम्मान करते हैं, लेकिन भारत में हमारे भाइयों को सिर्फ इसलिए क्यों मारा जा रहा है क्योंकि वे मुसलमान हैं?”
ट्विटर पर 65,000 से अधिक फॉलोअर्स वाले अल-मुतैरी नाम के एक शख्स ने कहा कि इस्लामिक देशों को भारत के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए एक साथ आना चाहिए। उसने कहा, “भारत में मुसलमानों के साथ जो हो रहा है, उसके बारे में लगातार खबरें आ रही हैं। ऐसे में इस्लामिक देशों और मानवाधिकारों का समर्थन करने वाले सभी लोगों को भारत के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए एकजुट होना होगा।”
अन्य लोग भी भारतीय उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान कर रहे हैं।
भारत के खिलाफ दुष्प्रचार में जुटे मध्य-पूर्व के इस्लामवादी दर्रांग हिंसा की सच्चाई को आसानी से नज़रअंदाज कर रहे हैं। वहाँ अतिक्रमण अभियान को लेकर पुलिस पर उन्मादी भीड़ द्वारा हमला किए जाने के बाद कई लोगों को जान गँवानी पड़ी। वहीं कई पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए थे। स्थानीय मुसलमानों के साथ बातचीत बाद ही अतिक्रमण अभियान चलाया गया था। लेकिन बाद में भीड़ ने पुलिस पर हमला कर दिया, जिससे उन्हें आत्मरक्षा में जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी। मामले की न्यायिक जाँच जारी है।