देश की राजधानी दिल्ली में अपने सपनों को पंख लगाने लाखों बच्चे तैयारी के लिए आते हैं। उन्हीं बच्चों में से तीन की ओल्ड राजेंद्र नगर की लाइब्रेरी में पानी भरने से जान चली गई। एक छात्र की करंट लगने से मौत हो गई, तो एक छात्रा ने मकान मालिक की वसूली से तंग आकर जान दे दी। इन सबके बीच यूपीएससी एस्पिरेंट्स सड़कों पर हैं। वो न्याय माँग रहे हैं। वो व्यवस्था सुधार की बात कर रहे हैं, लेकिन उन्हें आंदोलन को ‘बिना नेता’ वाला कहकर खारिज करने की बात भी सामने आ रही है। इस बीच, अवध ओझा, विकास दिव्यकीर्ति जैसे मशहूर शिक्षकों के खिलाफ छात्र आवाज भी उठा रहे हैं।
नवयुग टीवी नाम के यू-ट्यूब चैनल का एक क्लिप तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें एक छात्रा ने अवध ओझा को गुंडा करार दिया। यही नहीं, छात्रा ने कहा कि वो कहने को इतिहास पढ़ाते हैं, लेकिन करते हैं सिर्फ ज्ञान की बातें, उनका सिलेबस तक पूरा नहीं है। छात्रा ने कहा कि वो अवध ओझा से पढ़ चुकी है, लेकिन अवध ओझा क्लास में कच्छा पहनकर ही आ जाता है। छात्रा ने कहा कि जब उसने इस पर आपत्ति की, तो बस, मुस्कराकर टाल दिया गया।
These UPSC "coaching class + youtube" gyanis are a virulent virus that is infecting our youth
— Sameer (@BesuraTaansane) August 4, 2024
Listen to this shocking revelation of students "Avadh Ojha sir kachhe mein class aate the, aur jyaadatar sex ki baatein kiya karte the"@EduMinOfIndia must step in
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प्रदर्शन कर रहे एक छात्र ने कहा कि यू-ट्यूब वाले वायरल करने के लिए पैसे लेते हैं। वायरल टीचर्स का पढ़ाई में योगदान शून्य होता है। उन्हें देखकर देश के कोने-कोने से बच्चे दिल्ली आ रहे हैं और ओल्ड राजेंद्र नगर जैसी जगहों पर फंस जाते हैं। यहाँ बच्चों को सिर्फ कमोडिटी समझा जाता है। कोई जिम्मेदारी लेने वाला नहीं है।
एक छात्र ने पूरी क्रोनोलॉजी समझाते हुए कहा, “बच्चे यू-ट्यूब वालों के चक्कर में यहाँ आ जाते हैं। फिर उनसे उगाही शुरू हो जाती है। रूम रेंट वाला दलाल एक महीने का किराया लेता है। 15-20 हजार रुपए महीने के लगते हैं। 1500 रुपए माह की लाइब्रेरी हादसे के बाद 5000-6000 रुपए में कर दी गई है। 10 हजार से ज्यादा खाने-पीने में चला जाता है। हर महीने 35-40 हजार रुपए माँ-बाप अपनी प्रॉपर्टी बेचकर बर्बाद कर रहे हैं।”
प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि विकास दिव्यकीर्ति हों या अवध ओझा, इन्हें छात्रों से मुलाकात करके उनकी समस्याओं को सुनना चाहिए, न कि एएनआई, लल्लनटॉप, अनकट जैसे संस्थानों में अपनी बात रख देने से। उन्हें तो तीन दिन तक यही नहीं पता चला कि असल में हुआ क्या है।
कई छात्रों ने दावा किया है कि उनके मकान मालिकों ने, पीजी संचालकों ने, कोचिंग सेंटर चलाने वालों ने कहा कि ये सारा मामला 15-20 दिनों में शांत हो जाएगा, क्योंकि उनके पास पैसा है और सबकुछ मैनेज हो जाएगा। ऐसे में कुछ बदलने वाला नहीं है। एक छात्र ने कहा कि यहाँ किस लेवल की वसूली हो रही है, इसे इसी बात से समझ सकते हैं कि कुछ लाइब्रेरी में ताला लगते ही लाइब्रेरी की फीस 1500 रुपए से बढ़ाकर 5 हजार से 6000 रुपए प्रति माह कर दी गई है। यहाँ छात्रों से हर कोई सिर्फ पैसे लूटना चाहता है। जिंदगी की कोई कीमत ही नहीं है।