Friday, November 15, 2024
Homeसोशल ट्रेंड'पाखंडी साधु, अंधभक्तों का महाकाल': कॉन्ग्रेस समर्थक ने प्रेमानंद जी महाराज की बीमारी पर...

‘पाखंडी साधु, अंधभक्तों का महाकाल’: कॉन्ग्रेस समर्थक ने प्रेमानंद जी महाराज की बीमारी पर झूठ फैला कर बनाया मजाक, मुस्लिमों ने फटकारते हुए कहा – वो अच्छे साधु

यहाँ अनिल पटेल ने सरासर झूठ बोला कि प्रेमानंद जी महाराज अब बीमार हुए हैं तो अस्पताल में भर्ती हैं। वो अपनी बीमारी के बारे में पहले भी कई बार बता चुके हैं।

भारत में एक चलन है, जिसके तहत हिन्दू साधु-संतों को निशाना बनाया जाता है। कभी खुद को दलितों का ठेकेदार बताने वाले ऐसा करते हैं तो कभी कट्टर इस्लामी एजेंडा चलाने वाले इन करतूतों में आनंद लेते हैं। रही बात कॉन्ग्रेस समर्थकों की, तो वो इसमें हमेशा आगे रहते हैं। अब वृंदावन के प्रेमानंद जी महाराज को निशाना बनाया गया है। प्रेमानंद जी महाराज के वीडियोज सोशल मीडिया पर लोग काफी पसंद करते हैं और उनके प्रवचन व अनुभव से प्रेरणा लेते हैं।

खुद को कॉन्ग्रेस समर्थक और सामाजिक कार्यकर्ता बताने वाले अनिल पटेल ने प्रेमानंद जी महाराज की एक तस्वीर शेयर की, जिसमें वो एक बिस्तर पर लेटे दिख रहे हैं और उनका इलाज हो रहा है। बता दें कि प्रेमानंद जी महाराज खुद कई बार अपनी बीमारी के बारे में बता चुके हैं। उन्होंने बताया था कि उनकी दोनों किडनी फेल है और प्रतिदिन डायलिसिस की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। उन्होंने कहा था कि इतना कष्ट होता है, जो उसे भुगतने वाला ही समझ सकता है।

तस्वीर को शेयर करते हुए अनिल पटेल ने लिखा, “ये है भक्त है, अंधभक्तों का महाकाल। ये वही पाखंडी साधु संत है, जो गाय के गोबर को कोहिनूर हीरे से भी महँगा बताते हैं, और गोमूत्र को सुपर एंटीबायोटिक दवा घोषित करते हैं। आज बीमार हुए तो विज्ञान का सहारा लेकर हॉस्पिटल में भर्ती है, गोमूत्र गाय का गोबर सिर्फ OBC-SC-ST को ही सूट करता है। ये सब देख कर भी अंधभक्तों की दिमाग की बत्ती नहीं जली तो कोई क्या करेगा?”

यहाँ अनिल पटेल ने सरासर झूठ बोला कि प्रेमानंद जी महाराज अब बीमार हुए हैं तो अस्पताल में भर्ती हैं। वो अपनी बीमारी के बारे में पहले भी कई बार बता चुके हैं। उन्होंने कहा था कि बड़े से बड़े कष्ट में भी प्रभु का नाम लेने से आनंद आता है। उनसे एक बार एक व्यक्ति ने पूछा था कि क्या वो संकल्प कर के खुद को ठीक नहीं कर सकते? इस पर उन्होंने कहा था कि संकल्प काम नहीं करेगा, क्योंकि उनका शरीर से अपनापन नहीं रह गया है, उन्होंने अपना सब कुछ अपने आराध्य देव को सौंप दिया है।

प्रेमानंद जी महाराज ने बताया था कि जिस पर हमारा अधिकार नहीं है, उसके लिए अधिकार के लिए चेष्टा क्यों करे। उन्होंने कहा था कि उनका तन स्वामिनी (राधा) जी का है, इसीलिए अब वो वही करेंगी जो सही होगा। उन्होंने कहा था कि सेवक को अपने लिए सुख नहीं माँगना चाहिए, ये व्याभिचर है। उन्होंने अपनी बीमारी की चर्चा करते हुए कहा था कि इस जगत में न कोई अपना है और न ही दूसरा, क्योंकि अब कोई ‘मैं’ ही नहीं रह गया है।

अनिल पटेल के ट्वीट पर मुस्लिमों ने ही किया प्रेमानंद जी महाराज का समर्थन

खास बात ये है कि अनिल पटेल की इस ट्वीट पर कई मुस्लिमों ने ही उसकी आलोचना की। शाहबाज अल्तमश खान ने लिखा, “ये सही इंसान हैं। इनकी बातें ठीक रहती हैं। कृपया इन्हें बदनाम न करें।” मोहम्मद यासीन सिद्दीकी ने पूछा, “देखो भाई, सभी बाबाओं की बात एक तरफ लेकिन आपने जो लिखा है ये बात इन्होंने कब कही है? दिखाओ तो मान जाऊँ।” तंसीम हैदर ने लिखा, “उनसे सुनना काफी अच्छा होता है। वो एक अच्छे संत हैं।” अबू सैयद दिलावर सिद्दीकी ने लिखा, “ये प्रेम और शांति की बातें करते हैं।” शेख मोहम्मद सलीम ने भी उन्हें अच्छा साधु बताता हुए कहा कि उनके बारे में अनाप-शनाप न बकें।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

अंग्रेज अफसर ने इंस्पेक्टर सदरुद्दीन को दी चिट… 500 जनजातीय लोगों पर बरसने लगी गोलियाँ: जब जंगल बचाने को बलिदान हो गईं टुरिया की...

अंग्रेज अफसर ने इंस्पेक्टर सदरुद्दीन को चिट दी जिसमें लिखा था- टीच देम लेसन। इसके बाद जंगल बचाने को जुटे 500 जनजातीय लोगों पर फायरिंग शुरू हो गई।

कश्मीर को बनाया विवाद का मुद्दा, पाकिस्तान से PoK भी नहीं लेना चाहते थे नेहरू: अमेरिकी दस्तावेजों से खुलासा, अब 370 की वापसी चाहता...

प्रधानमंत्री नेहरू पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद सुलझाने के लिए पाक अधिकृत कश्मीर सौंपने को तैयार थे, यह खुलासा अमेरिकी दस्तावेज से हुआ है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -