सोशल मीडिया के जरिए फैल रही हिंसा को रोकने के लिए फेसबुक ने पिछले कुछ सालों में काफ़ी सख्ती बरती है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सिर्फ़ पिछले 2 सालों में फेसबुक ने आतंकी संगठनों के करीब 2.60 करोड़ पोस्ट्स को अपने प्लैटफॉर्म से डिलीट किया है, जिसमें सबसे ज्यादा संख्या IS और अलकायदा के पोस्टों की बताई जा रही है।
मंगलवार को इस विषय पर जानकारी देते हुए सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक ने बताया, “हमने बड़े स्तर पर आंतकी संगठनों के ग्रुप की पहचान की है। फेसबुक अपने प्लेटफॉर्म पर उनकी विचारधारा को अनुमति नहीं देता है। कंपनी ने अब तक 200 से अधिक बेहद हिंसक पोस्ट हटाए हैं। इसके अलावा आतंकी ग्रुप्स के अकाउंट्स पर भी बैन लगाया है। “
Facebook ने दो साल में हटाए 2.60 करोड़ हिंसक पोस्ट, ज्यादातर IS और अलकायदा से थे जुड़े https://t.co/Bdyf3iPcD7
— Father_Tressa (@ImBlal) September 18, 2019
फेसबुक कंपनी के मुताबिक उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मानव विशेषज्ञता की मदद से इन आतंकी पोस्ट्स को डिलीट किया हैं। इसके अलावा फेसबुक ने ये भी बताया है कि न्यूजीलैंड के क्राइस्ट चर्च में हुए आतंकी हमले के बाद भी कुछ पोस्ट्स को हटाया गया था, जो कि फेसबुक के माध्यम से कट्टरता फैलाने का प्रयास कर रहे थे।
Facebook removed 26mn terror-related content in 2 years | फेसबुक ने 2 साल में 2.60 करोड़ हिंसक पोस्ट हटाईं, ज्यादातर कंटेंट आईएस-अलकायदा से जुड़ा था https://t.co/O2193XDgJx pic.twitter.com/XwNT9n3vya
— Vishal Rangade (@VRangade) September 18, 2019
इसके बाद ही उन्होंने (फेसबुक ने) हिंसक कंटेंट की पहचान करने की दिशा में काम शुरु किया और गत नंवबर से हिंसक पोस्ट पर रोक लगाने के लिए नए नियम भी लागू किए थे।
अब इस कड़ी में फेसबुक दुनिया की दिग्गज टेक कंपनियों जैसे-गूगल, अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट और ट्विटर के साथ मिलकर 9 प्वॉइंट इंडस्ट्री प्लॉन तैयार कर रही है। जिनकी मदद से फेसबुक इस बात का पता लगाएगा कि आखिर कैसे इस प्लैटफॉर्म पर आतंक से जुड़े कंटेट को शेयर किया जाता है और कैसे वो अपनी नीतियों में बदलाव लाकर हिंसक पोस्ट्स को रोक सकते हैं।
उन्होंने कहा है कि हमें बुराई फैलाने वाले पोस्ट्स के ख़िलाफ़ लगातार कड़े कदम उठाने होंगे, क्योंकि हम जानते हैं कि ऐसे संगठन जो बुराई फैलाते हैं वे भी अपने काम को जारी रखेंगे। हमें लगता है कि मिलकर उठाए गए कदमों से इस काम में सफलता मिलेगी।
फेसबुक ने इस दौरान क्राइस्टचर्च पर हुए हमले के वीडियो पर सफाई देते हुए भी अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि हमले से संबंधित एक वीडियो ने ऑटोमैटिक डिटेक्शन सिस्टम को संकेत नहीं दिया था, क्योंकि इससे पहले यूजर्स ने इस प्लेटफॉर्म पर हिंसक कंटेंट को नहीं देखा था। जिस कारण से फेसबुक मशीन का लर्निंग सिस्टम इसे नहीं रोक पाया। लेकिन अब कंपनी इस तरह की हिंसक सामग्री पर रोक लगाने के लिए ब्रिटेन और अमेरिका के साथ मिलकर काम कर रही है।