सितंबर 2020 में केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर लगभग 8 महीनों से कथित किसानों का प्रदर्शन जारी है। अगर यह आंदलोन वास्तव में कृषि कानूनों के खिलाफ होती तो इसका समाधान हो चुका होता और चीजें सुलझ गई होती, लेकिन अलगाववादी तत्वों और प्रतिबंधित खालिस्तानी संगठनों के हस्तक्षेप ने चीजों को और अधिक अस्पष्ट बना दिया है।
हाल ही में, ऑपइंडिया ने उन कारणों को सूचीबद्ध किया जिनके खिलाफ इन तथाकथित किसानों ने विरोध किया, जिसमें कट्टर अपराधियों और नक्सलियों को मुक्त करने की माँग शामिल थी।
विरोध प्रदर्शन के शुरुआती दिनों से ही एक बात स्पष्ट हो गई है कि खालिस्तानियों सहित अलगाववादी शक्तियों ने आंदोलन में घुसपैठ की है। पत्रकार स्वाति गोयल ने 18 जुलाई को सिंघू बॉर्डर पर बने पिंड अखाड़े की तस्वीर शेयर की। इन ‘अखाड़ों’ की स्थापना इसलिए की गई है ताकि किसान केंद्र सरकार के विरोध में रहकर व्यायाम कर सकें। सुनने में काफी दिलचस्प लगता है न?
Spotted on a tent at Singhu ‘farmer’ protest site today:
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) July 18, 2021
“Pind akhada, ajj hunda Bhindranwala je, Modi nu gal to phad lenda”
Translation: “Aaj hota Bhindranwala agar, to Modi ko gale se pakad leta” pic.twitter.com/pDaUVgFf62
चीजें अपेक्षा से अधिक गंभीर हैं। अखाड़े के बैनर में पंजाबी में एक कोटेशन है, जिसमें लिखा गया है, “आज हुंदा भिंडरांवाला जे, मोदी नु गल टन फड़ लंदा” जिसका अर्थ है “अगर भिंडरावाले यहाँ होता, तो वह मोदी को गले से पकड़ लेता।”
Every other tent in Singhu Border has these type of posters. pic.twitter.com/cmc2j2z21O
— cheems (@thegoooooodboi) July 18, 2021
पंजाब में भिंडरांवाले के लिए भावनाएँ कभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुईं और पिछले कुछ सालों से राजनीतिक तत्वों और विदेशी संगठनों द्वारा लगातार यही भावनाएँ भड़काई गई हैं। ये किसान विरोध पोस्टर, बैनर, भाषणों और भिंडरांवाले और अन्य की प्रशंसा करने वाले गीतों से भरे हुए हैं, जिन्हें उस समय भारतीय सेना और पंजाब पुलिस ने मार गिराया था।
बैनर पर लिखे लिरिक्स उसी एक गीत से प्रेरित हैं। गाना सितंबर 2020 के आसपास लॉन्च किया गया था जब पूरे पंजाब में विरोध प्रदर्शन बढ़ रहे थे। यूके के जगोवाला जत्था द्वारा रिलीज किए गए इस गाने में भिंडरांवाले की तारीफ की गई है। इसमें लिखा है, “वह राजसी नेता, जिसमें अकेले सिस्टम से लड़ने की हिम्मत थी, आज अगर वह जिंदा होता तो पीएम मोदी को गले से पकड़ लेता।”
Exactly pic.twitter.com/u2aw0xiTxn
— Computer Farmer Ankit Raj (@raazankeet) July 18, 2021
गाने में आगे कहा गया है कि भिंडरांवाले निडर था और उसने भारत सरकार की बात पर ध्यान नहीं दिया। अगर वह वहाँ होता तो मोदी सरकार के साथ भी ऐसा ही करता। इसमें कहा गया है, ”उसने विरोध का रास्ता नहीं चुना होता। अगर उन्होंने हथियार उठाकर अपने अनुयायियों को बुलाया होता, तो सरकार कोठरी में छिप जाती।”
इसमें आगे दावा किया गया है कि हालाँकि किसान अपना सारा जीवन खेतों में बिता देते हैं, लेकिन उन्हें उपज का सही मूल्य नहीं मिलता है। जाहिर है, खालिस्तान आंदोलन भी किसानों के विरोध और उपज के सही मूल्य की माँग के कारण शुरू हुआ माना जाता है। ऐसा लगता है कि गोली चलाने के लिए किसानों के कंधों का इस्तेमाल करना भारत विरोधी ताकतों के लिए अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने का सबसे आसान तरीका है।
विडंबना यह है कि तीन किसान कानून किसानों को अपनी उपज कहीं भी और किसी को भी बेचने का अधिकार देते हैं, उन्हें मंडियों के चंगुल से मुक्त करते हैं और उन्हें मूल्य निर्धारण और बातचीत के संबंध में शक्ति भी देते हैं।
भिंडरांवाले के गुणगान करने वाले गीतों की पहुँच
चौंकाने वाली बात यह है कि ये गाने सिर्फ Youtube या WhatsApp पर फॉरवर्ड करने तक ही सीमित नहीं हैं। ये Spotify, Amazon Music, Gaana, Hungama और Wynk जैसे कई म्यूजिक स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर ‘कानूनी रूप से’ उपलब्ध हैं।