इतिहास के साथ छेड़छाड़ करके उसे आज की पीढ़ी के सामने रखना सोशल मीडिया पर एक प्रचलन की तरह है। संस्कृति, सभ्यता से लेकर खाने पीने तक की चीजों में नैरेटिव घुसाने की कोशिश अक्सर यहाँ होती रहती है। ऐसे में तथ्य व तर्क ही इस नैरेटिव को धराशायी करने के कारगर तरीके हैं। हाल ही में कुछ ऐसा ही जलेबी को लेकर हुआ है। जी हाँ, बिरयानी के बाद अब जलेबी को लेकर दावा किया जा रहा है कि इसे भारत में मुस्लिम लेकर आए।
‘Jalebi’ sweet brought by Muslims in India.Jalebi word derived from Arabic word Zalabiya. In Persian, it is Zalibiya. It popular Indian sweet.Muslim brought food items: Chapati making art, Kulfi,Gulkand,Gulabjambu,Jalebi,Pulav,Faluda,Barafi,Biranj,Murabbo,Halavo,Shiro,Shakkarpara pic.twitter.com/2ZEdhY0JFb
— Gujarat History (@GujaratHistory) October 25, 2020
‘गुजरात हिस्ट्री’ नाम के ट्विटर हैंडल से कल दावा किया गया कि भारत में जलेबी मुस्लिमों की देन हैं। जलेबी नाम अरबी के शब्द जलाबिया से निकला है। फारसी में इसे जलिबिया कहा जाता है। यह भारत का मशहूर मिष्ठान है। इसके अलावा मुस्लिम भारत में चपाती बनाने की कला, कुल्फी, गुलकंद, गुलाबजामुन, जलेबी, पुलाव, फालुदा, बर्फी, बीरंज, मुरब्बो, हल्वो, शिरो और शक्कर पारा लेकर आए थे।
Muslims ruled most of India for centuries during middle age.Many disliked above tweet.Some may like & some nay dislike historical facts but we can not change history.Our tweet source: ‘Bharat No Sanskrutik Itihas’ by Dr.Pravin Parekh, University Granth Nirman Board Gujarat State. pic.twitter.com/V3iv0deKkA
— Gujarat History (@GujaratHistory) October 25, 2020
आगे ट्वीट में ‘गुजरात हिस्ट्री’ लिखता है कि मध्यकाल में कई सदियों तक मुस्लिमों ने भारत में राज किया। इसके बाद उन्होंने यह भी लिखा कि कुछ लोग हो सकता है उनके ट्वीट को पसंद करें कुछ न पसंद करें लेकिन वह ऐतिहासिक तथ्यों को नहीं बदल सकते।
अपने ट्वीट का स्रोत उन्होंने गुजरात की एक इतिहास की किताब, ‘भारत का सांस्कृतिक इतिहास’ को बताया है। साथ ही लिखा कि मुस्लिमों के 550 साल के शासल काल में मुस्लिमों और हिंदुओं के बीच खानपान, रहन-सहन, भाषा, मान्यताओं, संस्कृति और परंपराओं का आदान प्रदान हुआ।
Adhyatma Ramayana mentions Jalebi being prepared for Ram’s birthday.
— Aadi (@Aadii009) October 25, 2020
Word is कर्णशष्कुलिका https://t.co/bjTMXNgvFr
अब ‘गुजरात हिस्ट्री’ के इसी दावे पर कुछ लोगों में काफी नाराजगी है। ‘आदि’ नाम के एक ट्विटर यूजर ने दावा किया है कि जलेबी प्रभु राम के जन्मदिन पर भी बनाई जाती थी जिसका जिक्र हिन्दुओं की आध्यात्मिक पुस्तक ‘रामायण’ में है। उस समय जलेबी को ‘कर्णशष्कुलिका’ कहा जाता था।
इसके बाद एक राज शर्मा नाम के ट्विटर यूजर ने बताया कि जलेबी चूँकि कान के पन्ना जैसी लगती थी इसलिए इसका नाम ‘कर्णशष्कुलिका’ रखा गया। इसके अलावा, 17वीं सदी की किताब में एक मराठा ब्राह्मण रघुनाथ ने जलेबी बनाने की विधि का उल्लेख कुण्डलिनि नाम से किया है। इसका आधार ‘भोजनकुतूहल’ नाम की किताब है।
बरफी बनाने के लिए दूध, बिरियानी बनाने के लिए चावल, मुरब्बा बनाने के लिए आंवला और जलेबी बनाने के लिए गुड़-चीनी मुसलमान अरब के रेगिस्तान से भारत लेकर आए थे। इतिहास नहीं जानते तो कम से कम आपको भूगोल और खेती का तो पता होना चाहिए!
— Divya Kumar Soti (@DivyaSoti) October 26, 2020
राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों के जानकार दिव्य कुमार सोती लिखते हैं, “बर्फी बनाने के लिए दूध, बिरयानी बनाने के लिए चावल, मुरब्बा बनाने के लिए आँवला और जलेबी बनाने के लिए गुड़-चीनी मुसलमान अरब के रेगिस्तान से भारत लेकर आए थे। इतिहास नहीं जानते तो कम से कम आपको भूगोल और खेती का तो पता होना चाहिए!”
😂😂😂😂
— 👀 (@commentlogy) October 25, 2020
Around 1500 years before mughals, in Sangam age Tamil poems there is mention about meat cooked with rice and spices (Purananuru 14).
(So now remove pulav that list ) pic.twitter.com/iCDi4mZoB8
इसी प्रकार एक यूजर @commentlogy लिखता है कि मुगलों से 1500 साल पहले संगम काल में तमिल कविता में जिक्र है कि आखिर कैसे चावल व मसालों से मीट बनता था इसलिए ये मानना कि पुलाव मुगलों ने सिखाया गलत है और इसे सूची से हटाया जाए।
So Indians the richest people on earth were eating raw uncooked meat like old stone Agers till desert nomads & Mughals who came from one of poorest parts on earth brought them sweets caked ice creams and Biryani
— Dr.P.S.VishnuVardhan (@drpsvvardhan) October 25, 2020
Got it 😂
डॉ पीएस विष्णुवर्धन तंज भरे अंदाज में लिखते हैं, “तो धरती के सबसे अमीर भारतीय आदि काल की तरह तब तक कच्चा माँस खाते थे, जब तक धरती के सबसे गरीब इलाकों से मुगल यहाँ आइस्क्रीम और बिरयानी नहीं लेकर आए।”
Muslims brought Chapati making art to india?
— True Indology (@TIinExile) October 25, 2020
Genius, Chapati literally comes from the Sanskrit word चर्पटी meaning the SAME. No such word exists in Arabic or Persian.
चर्पटी is mentioned in Amarakośa which was written hundreds of years BEFORE Islamic Prophet was even born https://t.co/RDMydgqpTp pic.twitter.com/WqrClEXlyM
ट्विटर का मशहूर ट्विटर अकॉउंट ‘ट्र इंडोलॉजी’ भी गुजरात हिस्ट्री को चपाती बनाने की विधि पर आड़े हाथों लेता है और पूछता है कि रोटी बनाने की विधि मुस्लिम लेकर आए भारत में? फिर कहता है, “महान, चपाती मूलत: संस्कृत शब्द चर्पटी से निकला है। दोनों का अर्थ एक ही होता है। ऐसे कोई शब्द फारसी और अरबी में नहीं है। चर्पटी का उल्लेख अम्राकोसा (Amarakośa) में है, जिसे पैगंबर के जन्म से भी सैकड़ों साल पहले लिखा गया था।”