सेकुलर और लिबरलों का गिरोह समुदाय विशेष के किसी व्यक्ति की मौत पर किस तरह से राजनीति करने और प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए उतारू रहते हैं, इसका ताजा नमूना वामपंथी कविता कृष्णन के ट्वीट से मिला है। बता दें कि, कविता कृष्णन वही शख्सियत है, जिनकी हाल ही में ईमेल लीक हुई थी। लीक हुए इस ईमेल में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के विरोध में रणनीति तैयार की गई थी।
कृष्णन ने साहिल नाम के एक 23 वर्षीय लड़के की मौत पर एक ट्वीट किया। इस ट्वीट में उन्होंने साहिल को मुस्लिम बताते हुए इसे मॉब लिंचिंग, हेट क्राइम और मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा करार दिया। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि बड़े ही अफसोस की बात है कि मुस्लिमों के खिलाफ सांप्रदियक हिंसा कोई नैरेटिव नहीं, बल्कि सच्चाई है। उन्होंने इस ट्वीट में मोहम्मद आसिफ खान के द्वारा मुस्लिमों के खिलाफ हेट क्राइम और मॉब लिंचिग पर तैयार की गई रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिखा है कि उसने बिल्कुल सही रिपोर्ट पेश की है। वह कभी गलत खबरें नहीं फैलाता है।
This ground report by Quint vindicates @imMAK02. I feel @rohini_sgh was too quick to label this fake news or, worse, “Musanghi lies”. It’s a valid, important piece of journalism. Asif has never, to my knowledge, been irresponsible or spread fake news. Ever. https://t.co/oSQSlZhtFh
— Kavita Krishnan (@kavita_krishnan) September 3, 2019
क्विंट ने भी साहिल की मौत वाली खबर को खूब तोड़-मरोड़ कर पेश किया है। इसमें उसने साहिल के माता-पिता केे हवाले से लिखा है कि मुस्लिम होने की वजह से उसकी हत्या की गई। जबकि, सच्चाई कुछ और है और वो इसके बिल्कुल विपरीत है।
सबसे पहली बात तो ये है कि जिस साहिल को मॉब लिंचिग का शिकार बताया जा रहा है। उसकी मॉब लिंचिंग में नहीं, बल्कि उसकी दो लोगों के साथ मोटरसाइकिल को रास्ता न देने की वजह से हाथापाई हुई थी। इस दौरान वो जख्मी हो गया था और फिर घर जाने के बाद उसकी हालत गंभीर हो गई। जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उसकी मौत हो गई। पुलिस उपायुक्त अतुल कुमार ठाकरे ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ये शुक्रवार (अगस्त 30, 2019) की घटना है। इस मामले में दो लोगों को हिरासत में लिया गया है, जिसमें से एक नाबालिग है। साथ ही पुलिस ने इस मामले में किसी भी तरह की सांप्रदायिक एंगल न होने की बात कही।
I feel you are quick to jump in without verifying things yourself Kavita. Not the first time. Kindly read the report quoted by Asif himself. The parents have conflicting version, they ‘believe’ he was killed because he was mistaken to be a Muslim. They aren’t sure. https://t.co/oal3hYtPQh
— Rohini Singh (@rohini_sgh) September 3, 2019
मगर, लिबरलों को तो बस प्रोपेगेंडा और झूठी खबर फैलाने का मौका चाहिए होता है। उसने साहिल का नाम देखा और उसे मुस्लिम समझकर प्रोपेगेंडा फैलाना शुरू कर दिया। इसके बाद कई लोगों ने कविता कृष्णन की खिंचाई करते हुए खबरों की पुष्टि कर लेने की नसीहत दी। जर्नलिस्ट रौशनी सिंह ने कृष्णन को लिखा कि उन्हें बिना खबरों की पुष्टि किए हुए इस तरह से झूठी खबर नहीं फैलानी चाहिए। हालाँकि, उन्होंने ये भी लिखा कि कविता ने ऐसा पहली बार नहीं किया है। रौशनी ने कृष्णन को बताया कि साहिल के माता-पिता यकीनी तौर पर नहीं कह सकते कि साहिल की हत्या मुस्लिम होने की वजह से की गई। उन्हें शक है कि ऐसा हुआ होगा। इसके साथ ही रौशनी ने कहा कि उसके और आसिफ जैसे लोग ही बिना सच को जाने ही प्रोपेगेंडा फैलाने का काम करते हैं।
Never. Really? posting here a recent one, he has been caught hundred times doing this. pic.twitter.com/miglOyskn6
— Laliya (@Lala_The_Don) September 3, 2019
कविता कृष्णन जिस आसिफ की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहती हैं कि उसकी रिपोर्ट हमेशा सही होती है, एक यूजर ने उसका भी पर्दाफाश कर दिया। ललिया नाम के एक यूजर ने लिखा कि आसिफ एक बार नहीं, बल्कि सौ बार ऐसी हरकतें कर चुका है। उन्होंने आसिफ के एक हालिया ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर किया। जिसमें वो एक वीडियो को शेयर करते हुए मुस्लिमों के खिलाफ हो रही हिंसा के लिए पुलिस को संज्ञान लेने के लिए कहते हैं। मगर, पुलिस उन्हें फटकार लगाते हुए बताती है कि उन्होंने 2 साल पुराना वीडियो शेयर किया है। इस मामले में पहले ही कार्रवाई हो चुकी है। साथ ही पुलिस ने आसिफ को चेतावनी देते हुए कहा कि बिना तस्दीक के पुराने वीडियो को बार-बार शेयर कर साम्प्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने का प्रयास न करें, वरना उनके खिलाफ भी कार्यवाही की जा सकती है।
Kavita ji, it wasn’t a mob lynching or a hate crime. It was just a case of road rage. Police investigation too has negated any communal angle. Sahil was caught into a scuffle, he was hit with a blunt object by the attackers. 2 persons don’t make a mob & Sahil is a common name. https://t.co/IJkeGwPjXj
— Pramod Kumar Singh (@SinghPramod2784) September 3, 2019
वहीं, नेशन फर्स्ट के सीनियर एडिटर प्रमोद कुमार सिंह ने भी कविता कृष्णन को फर्जी खबर फैलाने के लिए लताड़ लगाई है। उन्होंने लिखा कि ये कोई मॉब लिंचिग या हेट क्राइम की घटना नहीं थी। दो लोग मिलकर अगर किसी के साथ मारपीट करते है, तो उसे मॉब लिंचिग नहीं कहा जाता है। उन्होंने पुलिस के द्वारा किसी भी साम्प्रदायिक एंगल न होने की बात भी कही और साथ ही बताया कि साहिल एक सामान्य नाम है। उन्होंने बताया कि उनके भतीजे का नाम भी साहिल है और उनसे कभी किसी ने नहीं कहा कि ये एक मुस्लिम नाम है। प्रमोद सिंह ने कहा कि उनके रिपोर्टर भी वहाँ गए थे। वहाँ पर ऐसी कोई बात नहीं थी, जैसा कि वो दिखाने की कोशिश कर रही हैं। जर्निलस्ट स्वाति चतुर्वेदी ने भी प्रमोद कुमार सिंह के बात का समर्थन किया है।