काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में स्थित ज्ञानवापी विवादित ढाँचे की सच्चाई क्या सामने आई, पूरा का पूरा लिबरल और कट्टर इस्लामी गिरोह एकदम से बौखला सा गया है। बता दें कि जिस ज्ञानवापी को ‘मस्जिद’ बता कर मुस्लिम वहाँ नमाज पढ़ते आ रहे थे और जिस वजूखाने में साढ़े तीन सदी से हाथ-पाँव धो रहे थे, वहीं पर शिवलिंग मिला है। अदालत की निगरानी में हुई प्रक्रिया में सच्चाई सामने आने के बावजूद इस्लामी गिरोह इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं है।
अमित कुमार नाम के एक लिबरल ने हिन्दुओं को यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा। दरअसल, ‘C Voter’ के संस्थापक यशवंत देशमुख ने लिखा था, “सदियों से जो भी ज्ञानवापी में जाते होंगे, लाज़िम है उनको साफ़ दिखता होगा वो ज़बरदस्ती तोड़े गए मंदिर में खड़े हैं। लाज़िम है उनको पता होगा उस जगह के क्या मायने हैं। लाज़िम है वो अन्याय अत्याचार के उस अध्याय को जानते होंगे। क्या एक बार भी उनके दिल में गंगा-जमनी टीस नहीं उठी?”
इस पर अमित कुमार नाम के यूजर ने लिखा कि इतिहास में युद्धों का समय था और स्पेन में सभी मस्जिदों को चर्चा बना दिया गया, तुर्की में सभी चर्च मस्जिद में तब्दील कर दिए गए और इजरायल में सभी सिनेगॉग (यहूदी मंदिर) चर्च बना दिए गए। उसने सलाह दी कि या तो भारतीय इससे आगे बढ़ें, या फिर नागरिक अशांति और प्रतिबंधों का सामना करें। इस पर यशवंत देशमुख ने जवाब दिया कि इतिहास का भान होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि किसी भी शांतिपूर्ण समझौते के लिए सच्चाई का सामना आना ज़रूरी है, इतिहास हमें यही सिखाता है। उन्होंने कहा कि इतिहास चाहे कितना भी असुविधाजनक हो, उसे छिपा या दबा देना या फिर ऐसा कह देना एकदम से ये हुआ ही नहीं था – इससे सिर्फ और सिर्फ हमारी खामियाँ ही उजागर होंगी। इस पर नजीब नाम के यूजर ने उन्हें ‘सँपोला’ बताते हुए दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि बाबरी के राम जन्मभूमि होने के कोई सबूत नहीं हैं, लेकिन इसके बावजूद मस्जिद को ध्वस्त कर के बहुसंख्यकों को सौंप दिया गया।
SC has said categorically that their is no evidence of the babri being Ram Janm Bhumi but still mosque was demolished and given it to majority community and how on the earth you guys are even taking about TRUTH? Kis moooh se Sapole ? https://t.co/WlQ6chUJGn
— #देशहित में बिना बिजली के रहना सीखो ! (@najeeb_07) May 16, 2022
समीउल्लाह खान ने ऐलान किया कि मुस्लिम समुदाय फिर से ‘भव्य’ बाबरी ‘मस्जिद’ का निर्माण कराएगा और ‘ज्ञानवापी मस्जिद’ को भी फिर से खोलेगा, जिसे दुनिया भी देखेगी। उसने दोनों ढाँचों की तस्वीरें भी शेयर की।
we’ll rebuild a magnificent Babri Masjid.
— Samiullah Khan (@SamiullahKhan__) May 16, 2022
We’ll reopen our #GyanvapiMosque
The world will see. Insha-ALLAH pic.twitter.com/WpCICRBAfz
इसी तरह नवाजिश निहाल नाम के यूजर ने लिखा, “उन्होंने तो कहा था कि बाबरी उन्हें दे दो, इससे वो संतुष्ट हो जाएँगे।” हालाँकि, लोगों ने उसे जवाब दिया कि हिन्दुओं को कुछ भी माँग कर नहीं मिला है, बल्कि कानूनी प्रक्रिया अपना कर और अत्याचार सह कर उन्हें ये हासिल हुआ है।
“Give them Babri” they said
— Nawazish nehal (@typicalnawazish) May 16, 2022
“It will satisfy them” they said
फैज़ान नाम के एक एक मुस्लिम कट्टरपंथी ने दावा किया कि हिन्दू अब ‘बाबरी 2.0’ की तैयारी कर रहे हैं। उसने दावा किया कि बाबरी में हिन्दू प्रतिमा रख दी गई थी और अब ज्ञानवापी के लिए भी यही मॉडल अपनाया जा रहा है। उसने उन ‘वोकिया’ मुस्लिमों को शर्म करने की सलाह दी, जो कथित तौर पर सेक्युलरिज्म के लिए बाबरी हिन्दुओं को दे देने की सलाह दे रहे थे।
They are preparing for Babri Masjid 2.0
— faizan (@faizan0008) May 16, 2022
As usual same Using Model using which was used In Demolishing Babri Masjid to Putting Idol in Babri Masjid
Shame on Wokia Muslims Who were ready to give Babri Masjid land for Sake of secularism pic.twitter.com/xlw1WDmUnX
एक अन्य मुस्लिम यूजर ने अपने ही समाज के लोगों को गाली देते हुए कहा कि जो शांति की बातें करते हुए बाबरी हिन्दुओं को दे देने की बातें कर रहे थे, उनका सिर अब शर्म से झुक जाना चाहिए।
Those MCs who were preaching day and night to give Babri Masjid rights for the sake of peace should hang their head in shame and they are the traitors of community.
— اخلاص (@tamashbeen_) May 16, 2022
अनीस अहमद ने भी अदालत के उस आदेश पर नाराजगी व्यक्त की, जिसमें शिवलिंग वाली जगह को सील कर के वहाँ लोगों की आवाजाही को प्रतिबंधित कर दिया गया है। उसने दावा किया कि न्यायपालिका और प्रशासन ने मिल कर ऐसे ही बाबरी में नमाज रुकवाई थी। उसने ये भी कहा कि ज्ञानवापी के लिए चरण दर चरण की योजना तैयार की गई है।
This is how the judiciary and administration stopped prayers in Babri..the only difference is that it was done all at once at Babri but for #GyanvapiMosque it’s a phase by phase plan.. https://t.co/SIEcadHC45
— Anis Ahmed (Gen. Secretary, PFI) (@AnisPFI) May 16, 2022
हबीब उर रहमान नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा, “बाबरी मस्जिद अंत नहीं था, बल्कि ये आतंकवाद की शुरुआत थी। अदालत द्वारा जगह को सील करने का आदेश देना पक्षपात है। ये वजूखाना का तालाब है, शिवलिंग नहीं है। ज्ञानवापी एक मस्जिद है और ये हमेशा एक मस्जिद ही रहेगा।”
Babri Masjid wasn’t the end it was the beginning of Terr0r.
— Mohammed Habeeb Ur Rehman (@Habeebinamdar) May 16, 2022
Court order to seal the area is completely biased.
It is a fountain of Wazu Khana & not a Shivling.
Gyanvapi Masjid is a Masjid & it will always remain as Masjid.#SaveGyanvapiMasjid pic.twitter.com/93bKyAAC7J
AIMIM के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “बाबरी मस्जिद में दिसंबर 1949 में जो हुआ था, उसे ठीक उसी तरह से दोहराया जा रहा है। अदालत का आदेश मस्जिद की मजहबी प्रकृति को बदलने वाला है। ये 1991 के धार्मिक स्थल कानून का उल्लंघन है। ये मेरा डर था और अब ये सत्य होता दिख रहा है। ये मस्जिद था और क़यामत तक ज्ञानवापी मस्जिद ही रहेगा।”
This is a textbook repeat of December 1949 in Babri Masjid. This order itself changes the religious nature of the masjid. This is a violation of 1991 Act. This was my apprehension and it has come true. Gyanvapi Masjid was & will remain a masjid till judgement day inshallah https://t.co/8r4051ktkw
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) May 16, 2022
वहीं प्रोपेगंडा पत्रकार और कोविड के नाम पर चंदा जमा कर पचाने की आरोपित राना अय्यूब ने कहा, “उन लिबरल पत्रकारों आवाज़ लगाइए, जिन्होंने बाबरी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया था और ये कहा था कि ये घृणा की राजनीति का अंत है। तुमलोग सच में इतने नौसिखिए नहीं हो कि शुरुआत को अंत समझ लो। ये सब तुम्हारे कारण हो रहा है मौकापरस्तों और धर्मांधों।”
A big shout out to some of our well meaning liberals and journalists who hailed the Babri verdict by the courts as a closure to hate politics. You were certainly not naive enough to mistake the beginning as the end. This one is as much on you as those bigots and opportunists.
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) May 16, 2022
इसी तरह ‘The Wire’ की आरफा खानुम शेरवानी ने लिखा, “इस रात की सुबह नहीं! 1991 के धर्मस्थल कानून स्पष्ट रूप से हर धर्मस्थल को आज़ादी के वक्त की यथास्थिति में बनाए रखने को कहता है। मौजूदा पीढ़ी पर अत्याचार करने के लिए इतिहास को माध्यम नहीं बनाया जाना चाहिए। इस कानून का उल्लंघन करने वाली याचिकाओं को अदालतें स्वीकार ही क्यों करती हैं?”
The Places of Worship Act, 1991, clearly prohibits conversion of places of worship as they existed on 15th August 1947.
— Arfa Khanum Sherwani (@khanumarfa) May 16, 2022
History should not be used as instrument to oppress the present generation.
Why should courts allow petitions that defy Places of Worship Act?
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो वाराणसी के विवादित ज्ञानवापी ढाँचे से एक शिवलिंग मिला है, जो बेशकीमती पत्ना पत्थर का बना हुआ है। सर्वे में शामिल एक सूत्र के मुताबिक, “यह वही शिवलिंग है, जिसे अकबर के वित्त मंत्री टोडरमल ने बनारस के पंडित नारायण भट्ट के साथ मिलकर 1585 में स्थापित कराया था। इस शिवलिंग का रंग हरा है। इसके ऊपर का कुछ हिस्सा औरंगजेब की तबाही में क्षतिग्रस्त हो गया था। इस शिवलिंग का साइज करीब 2 मीटर है। यह देखने में काफी आकर्षक है। शिवलिंग श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित नंदी के सामने वाले ज्ञानवापी के हिस्से में है।