अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर और कंगना रनौत के बीच सोशल मीडिया पर हुए जुबानी जंग के बाद कुछ तथाकथित लिबरल गिरोह ने शुक्रवार (18 सितंबर, 2020) को ट्विटर पर भारतीय दूध ब्रांड अमूल पर 1995 के विज्ञापन को लेकर हमला किया।
25 साल पहले बनाया गया यह विज्ञापन अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर की फिल्म ‘रंगीला’ में उनके प्रदर्शन को देखते हुए दर्शाया गया था।
इस चित्रण में अभिनेत्री को प्रतिष्ठित लाल पोशाक में दिखाया गया है। इस पोशाक के जरिए दर्शकों को उनकी फिल्म ‘मासूम’ (1983) में एक बाल अभिनेत्री के रूप में की गई उनकी भूमिका को याद दिलाया गया था। साथ ही विज्ञापन के साथ कैप्शन था “नॉट मासूम एनिमोर?” रंगीला मक्खन। “
उल्लेखनीय है कि उर्मिला ने एक बाल कलाकार के रूप में 1983 में प्रशंसित फिल्म ‘मासूम’ में एक छोटी लड़की की भूमिका निभाई थी। उसके बाद, वह एक एडल्ट के रूप में नरसिम्हा नामक एक हिंदी फिल्म में दिखाई दी थी। 1995 में वे राम गोपाल वर्मा की सक्सेस फिल्म रंगीला में उभरकर सामने आई थी। इस फ़िल्म के बाद से ही उर्मिला को लोग ग्लैमरस रोल के लिए पहचानने लगे थे।
1995 का अमूल पोस्टर उर्मिला के करियर में ‘मासूम’ से रंगीला ’की ओर बढ़ते हुए कदम को दर्शा रहा था।
वहीं कंगना रनौत की-सॉफ्ट-पोर्न अभिनेत्री की टिप्पणी के आधार पर उर्मिला मातोंडकर के विज्ञापन को हाल ही होने का अनुमान लगाते उदारवादी बंदूक ले कर सोशल मीडिया पर दकियानूसी बातें दागने को तैयार हो गए।
पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी ने लिखा, ”माफ करना अमूल, यह बहुत ही घृणित है। आपने कब आईटी सेल ज्वाइन किया है।” इस पोस्ट में उन्होंने अनुराग कश्यप को भी टैग किया। जिस पर जवाब देते हुए अनुराग ने बताया कि यह विज्ञापन काफी पुराना है। उन्होंने यह भी बताया कि यह विज्ञापन उर्मिला की प्रशंसा करते हुए था न की बेइज्जती! जिसके बाद स्वाति तुरंत बिना माफ़ी माँगे ट्वीट को डिलीट करने के लिए उतावली नजर आई।
वहीं अमूल पर अपने संस्थापक डॉ. वर्गीस कुरियन की छवि खराब करने का आरोप लगाते हुए, पत्रकार मृणाल पांडे ने भी ट्वीट करते हुए कहा, “थोड़ी सी भी शर्म बची है तो डूब मरो अमूल! अपने जन्मदाता और भारत की महिलाओं की मदद से सहकारी दुग्धक्रांति के जनक डॉ. कुरियन के नाम की कुछ तो लाज रखी होती!” ट्विटर पर यह बताए जाने के बाद भी कि यह 1995 का अमूल विज्ञापन है उन्होंने तब भी उसे सही ठहराते हुए कहा, “पुराना हो या नया, जो घृणित है वह घृणित है!!”
अबशार नाम के एक अन्य ट्विटर यूजर ने ट्वीट किया, “कितना गिर गए हो अमूल।” बाद के ट्वीट्स में, उन्होंने दोहराया कि चित्रण असली है, ‘फोटोशॉप्ड’ नहीं।
हिंदुस्तान टाइम्स के पत्रकार, दीपांजना ने भी भ्रामक दावों के साथ ट्विटर पर विज्ञापन पोस्ट किया। हालाँकि, बाद में उन्होंने विज्ञापन के पीछे की सच्चाई को जानने के बाद तुरंत पोस्ट को डिलीट कर दिया। उन्होंने जोर देकर कहा, इस तरह का चित्रण वास्तव में विज्ञापन को बेहतर या अधिक हास्यप्रद नहीं बनाता है, लेकिन यह निश्चित रूप से हालिया उर्मिला मातोंडकर पर की गई टिप्पणी को लेकर नहीं बनाया गया था।
Deleted the Amul ad because it seems the ad is an old one (from when Rangeela was released). Doesn’t really make the ad any better or more humorous but it is definitely not a response to the current ‘conversation’ around Urmila Matondkar.
— Deepanjana (@dpanjana) September 18, 2020
वहीं शिवसेना से हमदर्दी रखने वाले अनघा आचार्य ने भी ट्वीट किया, ”घृणित! अमूल कॉर्पोरेशन से बिल्कुल भी यह उम्मीद नहीं थी। अमूल को माफी माँगनी चाहिए।”
भारत के सबसे बड़े दूध ब्रांड की प्रतिष्ठा पर ऊँगली उठाते हुए एक लोकप्रिय ट्विटर यूजर (@TheSocialDilema) ने भी ऐसा ही विचित्र दावा किया, “शायद अमूल पीडोफिलिया को बढ़ावा दे रहा है, और यह प्रमोशन “मासूम” फिल्म का हिस्सा हो सकती है। लेकिन सच्चाई का पता लगने के बाद भी यूजर ने माफी माँगने या अपने भ्रामक दावों को हटाने की जहमत नहीं उठाई।
Probably Amul is promoting pedophilia, and this promotion may be the part of “Cutie” movie. A disgust level of capitalism. pic.twitter.com/FOdOnEXw59
— Charasāz™/ چارەساز (@TheSocialDilema) September 18, 2020
बॉयकॉट अमूल कैम्पेन
यह पहली बार नहीं है कि अमूल लिबरल गिरोह के हमले का शिकार बना हो। सुदर्शन न्यूज़ के मुख्य संपादक, सुरेश चव्हाणके ने पहले ‘नौकरशाही जिहाद‘ और ‘यूपीएससी जिहाद’ पर एक कार्यक्रम की घोषणा की थी। सुरेश ने अपने कार्यक्रम का एक हिस्सा साझा करते हुए कहा था, “जामिया के जिहादियों की कल्पना करें कि वे हर मंत्रालय और जिले में आपके जिला आयुक्त और सचिव बने।”
विवादास्पद वीडियो पोस्ट किए जाने के बाद विभिन्न पक्षों द्वारा इसकी आलोचना की गई। विशेष रूप से वाम-उदारवादियों और इस्लामवादियों ने जमकर सुदर्शन चैनल और उनके संस्थापक पर हमला किया। यह आरोप लगाया गया था कि सुरेश चव्हाणके मुस्लिमों के खिलाफ नफरत फैला रहे हैं।
वहीं वामपंथी पोर्टलों ने उनके और उनके चैनल की आलोचना करते हुए लेख प्रकाशित करना भी शुरू कर दिया था। साथ ही इस तथ्य को लेकर ब्रांड अमूल को निशाना बनाना शुरू कर दिया कि यह चैनल पर अपने प्रोडक्ट के विज्ञापन देता है। हालाँकि लिबरल गिरोह द्वारा नफरत फैलाने के बावजूद सोशल मीडिया पर अन्य यूज़र्स ने अमूल का जमकर समर्थन किया था।