प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार के दौरान अपनी कई जनसभाओं में कहा है कि वो किसी भी कीमत पर मजहब के आधार पर आरक्षण नहीं होने देंगे। उन्होंने संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमिटी के अध्यक्ष बाबासाहब डॉ भीमराव आंबेडकर और प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जिक्र करते हुए कहा कि ये दोनों भी नहीं चाहते थे कि मजहब के आधार पर आरक्षण मिले। अब सोशल मीडिया में इसे लेकर बहस का बाजार गर्म हो गया है।
‘इंडिया टुडे’ के संपादक रहे एक्टिविस्ट दिलीप मंडल ने ने एक ट्वीट में लिखा कि इस चुनाव में हमने एक चीज तय कर दिया है कि SC/ST की सूची में अब कोई मुस्लिम वर्ग नहीं आ जाएगा। उन्होंने लिखा कि हमने रंगनाथ मिश्रा कमीशन को हमने गहरी मिट्टी में दफना दिया है। बता दें कि UPA सरकार द्वारा गठित इस आयोग ने सरकारी नौकरियों में मुस्लिमों को 10% आरक्षण देने की सिफारिश की थी। साथ ही OBC को जो 27% कोटा मिला हुआ है उसमें से 8.5% मुस्लिमों को देने की सिफारिश भी की थी।
इस आयोग ने यहाँ तक सलाह दे दी थी कि दलितों को इस्लामी या ईसाई धर्मांतरण के बाद भी आरक्षण का लाभ मिलता रहे। दिलीप मंडल ने स्पष्ट किया कि अब ये सुनिश्चित हो गया है कि केंद्र में या किसी भी राज्य में मुस्लिमों को आरक्षण नहीं मिलेगा। उन्होंने इस दौरान याद दिलाया कि कैसे कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में मुस्लिमों को कॉन्ग्रेस द्वारा आरक्षण दे दिया गया। साथ ही कहा कि आगे ऐसा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि एक चुनाव में इतना सुनिश्चित हो गया, यही बहुत है।
इस पर सोशल मीडिया पर घृणा फैलाने वाला आसिफ खान भड़क गया और उसने कहा, “हिन्दू इस देश की जनसंख्या का 80% हैं। हिन्दू समूहों के लिए जाति आधारित आरक्षण विशुद्ध बहुसंख्यकवाद है। इस देश में स्पष्ट बहुमत में होने के बावजूद उन्हें SC/ST/OBC/EWS आरक्षण का लाभ मिलता है। इस कारण हिन्दू भारत के सभी संस्थानों में हावी हैं। उनका प्रतिनिधित्व बहुत अधिक है, इसीलिए उनका आरक्षण खत्म किया जाना चाहिए। जिनका प्रतिनिधित्व कम है, उन अल्पसंख्यक समूहों को आरक्षण मिलना चाहिए।”
Hindus comprise 80% of this country's population. Caste-based reservations for Hindu groups reflect pure majoritarianism.
— Md Asif Khan (@imMAK02) May 6, 2024
Despite being the brute majority in this country, they benefit from reservations as SC/ST/OBC/EWS; this has led to Hindus dominating all institutions in… https://t.co/inJPjiZdrs
इस सोच को देखिए। आसिफ खान जैसों का कहना है कि आरक्षण पिछड़े समूहों को नहीं, मुस्लिमों को मिलना चाहिए। यानी, मजहब के आधार पर आरक्षण, वो भी हिन्दुओं के देश में। दुनिया भर में 50+ मुस्लिम मुल्क हैं। इसके अलावा भी कई देशों में मुस्लिम अच्छी-खासी संख्या में हैं। लेकिन, इन्हें आरक्षण चाहिए भारत में। भारत में देश से बाहर से आए मजहब को आरक्षण चाहिए। जो हिन्दू यहाँ के मूलनिवासी हैं, जिन पर 800 वर्षों के इस्लामी शासन के दौरान अत्याचार हुए, उन्हें कोई फायदा न मिले – ऐसा इनका कहना है।
जहाँ मुस्लिम बहुलता में आ जाते हैं, वहाँ सबसे पहले शरिया लगाने की कोशिश की जाती है, फिर वो इलाका ‘दारुल इस्लाम’ बन जाता है। बिहार के सीमांचल में कई सरकारी स्कूलों में भी रविवार की जगह शुक्रवार को साप्ताहिक छुट्टी होना इसका उदाहरण है। फिर जहाँ इस्लाम का शासन आ जाता है, बाकी वर्ग अपने-आप दोयम दर्जे के नागरिक हो जाते हैं। उनसे जजिया कर वसूला जाता है। अब आसिफ खान जैसे लोग पिछड़े हिन्दुओं का आरक्षण खत्म कर के भारत को ‘दारुल इस्लाम’ बनाना चाहते हैं।
उधर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने राज्य में मुस्लिमों को मिल रहे आरक्षण का बचाव किया है। बता दें कि राज्य में नौकरी, एडमिशन और पंचायत चुनावों तक में पिछड़ों के कोटे में मुस्लिमों को आरक्षण मिला हुआ है। इसके बावजूद उन्होंने पीएम मोदी के इस दावे को झूठ बताया, जिसमें उन्होंने कहा था कि कॉन्ग्रेस ने पिछड़ों का आरक्षण लेकर मुस्लिमों को दे दिया। पीएम मोदी ने बताया था कि आंध्र प्रदेश में भी कॉन्ग्रेस ने 4 बार ऐसी कोशिश की, लेकिन न्यायपालिका के कारण सफल नहीं हो पाई।