सोशल मीडिया पर लोग टिक-टॉक ऐप को प्रो-चाइनीज बताते हुए इसे अनइनस्टॉल करने के लिए अभियान चला रहे हैं। कई लोगों का ये भी मानना है कि टिक-टॉक पर जिहादी गतिविधियों से हिन्दूफ़ोबिया को बढ़ावा देने वाले वीडियोज के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। अब एक ईमेल लीक हुआ है, जिसे कथित तौर पर टिक-टॉक ने भारत में कार्यरत अपने सभी कर्मचारियों को भेजा है।
इसमें कहा गया है कि ऐसे किसी भी कंटेंट को टिक-टॉक पर जगह नहीं दी जाए, जो चीनी सरकार के विरुद्ध हो। इसके तहत बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा और तिब्बत के समर्थन से सम्बंधित सभी कंटेंट को भी एप्लीकेशन से हटाने का निर्देश दिया गया है। इससे साफ़ है कि कम्पनी चीनी हितों को देखते हुए काम कर रही है और भारत के मामले में कोरोना को लेकर जिहादी मानसिकता का प्रदर्शन करने वालों के वीडियोज को और बढ़ावा दिया गया।
टिक-टोक को भारत की नेशनल सिक्योरिटी के लिए भी ख़तरा बताया जा रहा है। हालाँकि, फेसबुक और गूगल जैसी कम्पनियों ने भी समय-समय पर भारत में लोगों की प्राइवेसी के साथ खिलवाड़ किया है। ये कम्पनियाँ अमेरिका में बेस्ड हैं। तबरेज अंसारी नामक चोर की झारखण्ड में मौत के बाद उसके नाम पर हिंसा को भड़काने के लिए टिक-टॉक को भी जरिया बनाया गया। इस एप्लीकेशन का संचालन बाइटडांस नामक कम्पनी करती है।
इसे दुनिया के बड़े स्टार्टअप्स में से एक माना गया था। इस ऐप पर रजिस्टर करते समय यूजर अन्य सोशल मीडिया साइट्स की जानकारी भी इसे देता है, जहाँ से ये सारे डेटा कलेक्ट कर लेता है। यूजर के आईपी एड्रेस से लेकर अन्य तकनीकी सूचनाएँ भी टिक-टॉक आसानी से ले लेता है। आपके मोबाइल डिवाइस की सूचनाएँ, टाइम जोन, ऑपरेटिंग सिस्टम से लेकर स्क्रीन रिजोल्यूशन तक की जानकारी उसके पास रहती है।
E-mail done by TikTok to their India employees for removing anything which is against Chinese Government, especially Tibet and Dalai Lama!
— Zankrut Oza (@zankrut) May 16, 2020
Is this your way China to curb the Freedom of Speech across the globe? pic.twitter.com/6ujBAcRogd
अगर आप टिक-टॉक पर अपने परिचितों को खोजने के लिए अपनी सम्पर्क सूची का उपयोग करते हैं तो ये आपके कांटेक्ट लिस्ट में घुस कर सभी लोगों के नाम एवं नम्बर का एक्सेस पा लेता है। इसी तरह फेसबुक के भी सभी मित्रों के बारे में ये पल भर में ही जानकारी जुटा सकता है। इससे पता चलता है कि लोगों द्वारा भेजे जाने वाले प्राइवेट मैसेज भी सुरक्षित नहीं हैं।
टिक-टॉक पूरी दुनिया में बड़ी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। अमेरिका में आइफोंस में सबसे ज्यादा डाउनलोड किए जाने वाले साइट्स में 30% हिस्सा टिक-टॉक का था। ये अक्टूबर 2018 का आँकड़ा है। ये फेसबुक, यूट्यूब और इन्स्टाग्राम से भी ज्यादा है। गूगल की रैंकिंग में ये अमेज़न और नेटफ्लिक्स से भी ऊपर आया था।