सोशल मीडिया पर अक्सर सरकार विरोधी गतिविधियों के लिए जानी जाने वाली कुछ चुनिन्दा ‘हस्तियों’ से ज्यादातर लोग अच्छे से वाकिफ हैं। इन चेहरों ने राजनीतिक कारणों से कम और सोशल मीडिया पर लेफ्ट-लिबरल गिरोह का मुखिया बनकर ज्यादा पहचान हासिल की है। इनमें जेएनयू की पूर्व छात्र नेता शेहला रशीद, स्वरा भास्कर, राणा अयूब, खुद को कॉमेडियन कहने वाले कुनाल कामरा, आदि प्रमुख हैं।
लेकिन कोरना वायरस के समय जब देशवासियों के एकजुट होने की बात आई तो देश के कई बड़ी राजनीतिक हस्तियों से लेकर सोशल मीडिया के लेफ्ट-लिबरल गिरोह के चेहरों ने इस बात को स्वीकार किया कि विचारधारा के मतभेद के लिए देशहित के साथ इस बार समझौता नहीं किया जा सकता है।
कोरोना वायरस पर केंद्र सरकार द्वारा अपनाए गए कुछ सख्त फैसलों का शेहला रशीद ने स्वागत किया है, जिसने कई लोगों को हैरानी में डाल दिया है। लेकिन इसके कारण वो कुछ इस्लामिक कट्टरपंथी और लेफ्ट-लिबरल ट्रोल्स के निशाने पर भी आ गई हैं। कुछ दिन पहले ही शेहला ने ट्वीट के जारी नरेन्द्र मोदी के समर्थन में चंद शब्द लिखे थे, लेकिन अब ऐसे ट्वीट्स की मात्रा बढ़ती जा रही है, जिसने लिबरल्स की परेशानियाँ बढ़ा दी हैं।
शेहला रशीद ने पीएम मोदी के जनता कर्फ्यू के आह्वान के फैसले का स्वागत किया था और आज शाम पाँच बजे देशवासियों की सक्रीय भागीदारी पर भी शेहला ने ट्वीट के माध्यम से स्वीकार करते हुए कहा कि वास्तव में नरेन्द्र मोदी देश में कानून बन चुके हैं और लोग उनकी बात मानने से इनकार नहीं करते हैं। उन्होंने यह भी लिखा कि नरेन्द्र मोदी को अपनी इस शक्ति का उपयोग कोरोना के प्रति दी जा रहे स्वास्थ्य दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करने के लिए भी संदेश देने में करना चाहिए।
लेकिन एक ओर जहाँ शेहला के इस बदले हुए अंदाज ने सोशल मीडिया पर सक्रिय दक्षिणपंथी लोगों के बीच कुछ हद तक लोकप्रिय बना दिया है, वहीं उन्हें इसके लिए लेफ्ट-लिबरल गिरोह की गालियों का सामना भी करना पड़ रहा है।
शेहला के ट्वीट के जवाब में @kinginthewest77 ट्विटर यूजर ने लिखा- “हर किसी की एक कीमत होती है, मोदी ने इसे सस्ते में खरीद लिया।”
शेहला के बदले हुए सुरों पर काफी लोग आश्चर्यचकित हैं। एक ट्विटर यूजर ने लिखा- “मुझे आश्चर्य है कि आखिर शेहला को क्या हो गया है? कुछ तो हैरान करने वाला है।”
इसके जवाब में शेहला रशीद ने लिखा – “मुझे कुछ नहीं हुआ है। मैं हमेशा की ही तरह हूँ- तार्किक, पूर्वग्रहों से मुक्त और लेफ्ट-राईट की आलोचना से परे अपनी बातों को कहने के लिए साहसी। हम लोग एक बड़े संकट से गुजर रहे हैं, जो कि दंगों से ज्यादा जानें ले सकता है। हमें एकजुट होकर सामंजस्य स्थापित करना होगा।”
शेहला के इस ट्वीट पर एक ट्विटर यूजर ने लिखा- “इसका मतलब यह नहीं है कि कोई भूल जाए कि शासन और अधिकारी तबाही के दौरान चुप थे और यह उनकी मिलीभगत थी। [:)] इसके अलावा, एकरूपता में शामिल होने का यह मतलब भी नहीं है कि कोई व्यक्ति उस तंत्र के साथ अंधे होकर खड़ा हो जाए और ऐसे सवाल करना बंद कर दे जो ताली बजाने से ज्यादा जरुरी हैं।” [:)]
शेहला ने इसके जवाब में लिखा है- “हाँ। आँख मूंदकर समर्थन करना अंध-विरोध जितना ही बुरा है। मोदी ने कोरोना वायरस का आविष्कार नहीं किया। कोई भी देश इसके लिए तैयार नहीं था। हाँ, हमें सही सवाल पूछना चाहिए, जैसे कि हम हैं। सरकार को इस लड़ाई में अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल कर सब कुछ करना चाहिए और साथ ही नागरिकों को भी।”