शेहला रशीद मानती हैं कि कोरोना वायरस के आने के बाद से पूरी दुनिया ने पीपीई के रूप में बुर्का और मास्क के रूप में नकाब को स्वीकारा है।
अपनी इस बात को शेहला ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू के एक ट्वीट के रिप्लाई में कहा है। उन्होंने भले ही इस मुद्दे को तंज भरे अंदाज में कहा है। लेकिन लोग इसे सुनकर अब शेहला का ही मजाक बना रहे हैं और उनसे इस बचकाने जवाब पर सवाल कर रहे हैं
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू ने 10 अगस्त को एक ट्वीट किया। इस ट्वीट में उन्होंने द वायर की पत्रकार आरफा खानुम शेरवानी और शेहला रशीद की हालिया बातचीत पर सवाल उठाए। पूर्व जज काटजू ने पूछा कि आखिर आरफा जेएनयू की पूर्व छात्रा से शरिया, बुर्का, मदरसा जैसे मुद्दों पर क्यों नहीं पूछतीं।
Uncle, ab to poori duniya burqa (PPE) aur niqab (mask) pehen rahi hai 🤣🤣 shaant ho jao https://t.co/UMLpFrJ2mp
— Shehla Rashid (@Shehla_Rashid) August 10, 2020
उन्होंने ट्वीट में लिखा, “मैंने यूट्यूब पर शेहला राशिद का आरफा के साथ इंटरव्यू देखा। आरफा ने एक भी बार इस इंटरव्यू में नहीं पूछा कि शेहला कभी भी बुर्का, मदरसा, मौलानाओं की निंदा क्यों नहीं करती, जिनके कारण संप्रदाय विशेष के लोग पीछे हो रखे हैं। शेहला भविष्य के चुनावों में संप्रदाय विशेष के वोट बैंक खोने के डर से कभी भी आलोचना नहीं करती हैं। लेकिन आरफा इस पर क्यों चुप्पी साधे हुए हैं?”
अब इसी ट्वीट के रिप्लाई में शेहला रशीद बुर्के और नकाब का समर्थन करते हुए कहती हैं, “अंकल अब तो पूरी दुनिया बुर्का (पीपीई) और निकाब (मास्क) पहन रही है। शांत हो जाओ।” अपने इस ट्वीट के साथ शेहला हँसी वाले इमोजी भी लगाती हैं।
Matlab muxlim women hamesha hi pandemic khelti hain🙄🙄
— saffron sniper ➐ (@being_saffron_) August 10, 2020
इसके बाद उनके ट्वीट पर लोगों की प्रतिक्रिया आनी शुरू हो जाती है। लोग कहते हैं कि जब इंसान के पास दिमाग नहीं होता है, तो वह ऐसे ही जवाब देता है। ऐसे ही एक यूजर उनके इस तंज का उन्हें दूसरा पहलू बताता है और पूछता है कि क्या संप्रदाय विशेष की महिलाएँ जो बुर्का और नकाब पहनती हैं, वो हमेशा महामारी झेलती हैं।
एक विशाल नाम का यूजर कहता है,”ऐसे बेवकूफाना रिप्लाई देने से बेहतर होता कि आप इनका जवाब देतीं। मैने हमेशा देखा है कि लोग अपने समुदाय और धर्म की कुरीतियों की आलोचना करते हैं। लेकिन मैंने कभी भी एक संप्रदाय विशेष को पिछड़े रिवाजों की आलोचना करते नहीं देखा।”
Instead of stupid replies, you should answer his question. I have seen people from other communities/religions condemn the backward practices in their religions. But I have never seen people from Muslim religion condemn the backward practices in their religion.
— Vishal (@TagVishal) August 10, 2020
बता दें, जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के एक साल पर आरफा खान्नुम ने शेहला रशीद के साथ बातचीत की थी। इस बातचीत में उन्होंने केवल ऐसे मुद्दे उठाए जिनसे यह पता चले कि मोदी सरकार के फैसले के बाद वहाँ चीजें कितनी बिगड़ीं।
द वायर पर अपलोड हुई करीब 33 मिनट की वीडियो में के नीचे कमेंट्स से भी हम देख सकते हैं कि अब लोग वास्तविकता में सेकुलरिज्म की आड़ में इस्लामिक एजेंडा चलाने वालों की सच्चाई जान चुके हैं।