Sunday, November 17, 2024
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मार्तंड सूर्य मंदिर = शैतान की गुफा: विद्यार्थियों को पढ़ाने वाला Unacademy का जहरीला वामपंथी पाठ, जानिए क्या है इतिहास

प्रसिद्ध लेखक और इतिहासकार विक्रम संपत ने अनएकेडमी द्वारा इतिहास को विकृत करने को "शर्मनाक" माना और पूछा कि क्या बॉलीवुड के स्क्रिप्ट राइटर इस एड-टेक प्लेटफॉर्म के लिए सामग्री बना रहे हैं।

मशहूर ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफॉर्म अनएकेडमी ने अपने लेख में ऐतिहासिक मार्तंड सूर्य मंदिर को “शैतान की गुफा” बताया, जिसके बाद सोशल मीडिया पर बवाल मच गया। सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया के बाद अनएकेडमी को अपनी भूल को सुधारना पड़ा।

मार्तंड सूर्य मंदिर के इतिहास के बारे में अनएकेडमी के लेख में लिखा था, “मार्तंड सूर्य मंदिर, जिसे शैतान की गुफा भी कहा जाता है, भारत के जम्मू और कश्मीर में अनंतनाग शहर के पास स्थित एक हिंदू तीर्थस्थल है। इसे 8वीं शताब्दी ईस्वी में बनाया गया था और यह हिंदू धर्म के प्रमुख सूर्य देवता सूर्य को समर्पित था; सूर्य को उनके संस्कृत नाम मार्तंड से भी पहचाना जाता है। कश्मीर के पूर्व मुस्लिम सम्राट सिकंदर शाह मिरी के आदेश पर, 15वीं शताब्दी में शाह मिरी साम्राज्य की सेना ने इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया था।”

22 जुलाई 2024 (सोमवार) को कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने इस विवादित अनएकेडमी लेख का स्क्रीनशॉट शेयर किया और सवाल किया कि उनके स्टडी मटेरियल के लिए कौन कंटेंट लिख रहा है। कई एक्स यूज़र्स ने पूछा कि क्या अनएकेडमी बॉलीवुड से स्क्रिप्ट लिखवा रहा है। एक एक्स यूजर अनुराधा गोयल ने पूछा, “वाकई @unacademy? क्या मार्तंड सूर्य मंदिर को शैतान की गुफा कहा जाता है या आप बॉलीवुड की मनगढ़ंत कहानियों से सबक ले रहे हैं?”

प्रसिद्ध लेखक और इतिहासकार विक्रम संपत ने अनएकेडमी द्वारा इतिहास को विकृत करने को “शर्मनाक” माना और पूछा कि क्या बॉलीवुड के स्क्रिप्ट राइटर इस एड-टेक प्लेटफॉर्म के लिए सामग्री बना रहे हैं। संपत ने पूछा, “यह बहुत ही भयानक है @unacademy कि आप मार्तंड सूर्य मंदिर को “शैतान की गुफा” कहते हैं! आपकी शैक्षिक सामग्री कौन बना रहा है – बॉलीवुड के स्क्रिप्ट राइटर? शर्मनाक।”

“जन की बात” के संस्थापक और पत्रकार प्रदीप भंडारी ने अनएकेडमी से अपनी वेबसाइट से “आपत्तिजनक” सामग्री हटाने को कहा। उन्होंने लिखा, “मार्तंड सूर्य मंदिर “शैतान की गुफा” नहीं है @unacademy ! इसे बदलो। यह हिंदू समुदाय के लिए अपमानजनक है।”

सोशल मीडिया यूजर्स की तीखी आलोचना के बीच, एड-टेक प्लेटफॉर्म ने हिंदू मंदिर पर अपने लेख को एडिट किया और उसमें से “शैतान की गुफा” को हटा दिया। हालाँकि, अनएकेडमी ने इतिहास को विकृत करने और इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा नष्ट किए गए एक ऐतिहासिक हिंदू मंदिर के राक्षसीकरण को सामान्य बनाने के लिए माफ़ी नहीं माँगी है।

साभार: अनएकेडमी स्क्रीनशॉट

कश्मीर में मार्तंड सूर्य मंदिर और सिकंदर ‘बुतशिकन’

कश्मीर के अनंतनाग में स्थित मार्तंड सूर्य मंदिर हिंदू वास्तुकला और आध्यात्मिकता का ऐतिहासिक प्रतिनिधित्व करता है। ललितादित्य मुक्तपीड द्वारा 8वीं शताब्दी में निर्मित, मार्तंड सूर्य मंदिर प्राचीन भारत की वास्तुकला और सांस्कृतिक कौशल का एक प्रमाण है। हालाँकि, 14वीं शताब्दी के दौरान, सिकंदर शाह मिरी जिसे सिकंदर बुतशिकन (मूर्ति-भंजक) के नाम से भी जाना जाता है, हिंदुओं के खिलाफ अपनी नफरत के लिए मशहूर था, उसने काफ़िरों के मंदिरों को ध्वस्त कर दिया। यह दावा किया जाता है कि इस्लामी कट्टरपंथी ने मार्तंड मंदिर के खंडहरों को ‘शैतान की गुफ़ा‘ कहा था, हालाँकि, “शैतान की गुफ़ा” शब्द का उपयोग करने से संबंधित एक स्पष्ट प्रमाण नहीं है। ऐसा कहा जाता है कि कश्मीरी मुसलमान हिंदू मंदिर को शैतान की गुफा कहते हैं। इसके सात ही बॉलीवुड, मीडिया और इस्लामी कट्टरपंथीवर्षों से हिंदू मंदिरों के इस अपमानजनक अपमान को उचित ठहराने और सामान्य बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

इसी सिलसिले में, टाइम्स नाउ ने पिछले साल एक फोटो स्टोरी प्रकाशित की थी जिसमें दावा किया गया था कि कश्मीरी मुसलमान इस हिंदू मंदिर को ‘शैतान की गुफा’ कहते हैं।

नाइम्स नाउ के लेख का स्क्रीनशॉट

बॉलीवुड फिल्म ‘हैदर’ में मार्तंड सूर्य मंदिर मार्तंड को बताया गया ‘शैतान की गुफा’

साल 2014 में फिल्म निर्माता विशाल भारद्वाज को अपनी फिल्म ‘हैदर‘ में हिंदू परंपराओं को बदनाम करने के लिए व्यापक आलोचना का सामना करना पड़ा था। शाहिद कपूर अभिनीत इस फिल्म में, सूर्य मंदिर को ‘बिस्मिल’ नाम के गाने में शैतान की गुफा कहा गया था। इसमें शाहिद मार्तंड सूर्य मंदिर के सामने डाँस करते दिखे हैं और मंदिर में शैतानी आकृति दिखाई देती है। इस गाने का लोगों ने खूब तीखा विरोध किया और कहा कि रचनात्मकता की आड़ लेकर हिंदुओं की भावनाओं का मजाक उड़ाया जा रहा है।

बीते साल अप्रैल में ऑपइंडिया ने बताया था कि ईद-उल-फितर पर मुसलमानों ने मंदिर के अंदर पटाखे फोड़े थे।

अनएकेडमी से जुड़े पिछले विवाद

यह पहली बार नहीं है जब अनएकेडमी ने हिंदू भावनाओं को ठेस पहुँचाई है। साल 2021 में भी अनएकेडमी ने अपने ऑनलाइन टेस्ट मॉड्यूल में हिंदुओं के खिलाफ घृणा का प्रचार किया था और हिंदुओं को मुस्लिमों का विरोधी बताने के साथ ही कट्टरपंथी बताया गया था।

अनएकेडमी के टेस्ट मॉड्यूल में सवाल हिंदुओं को निशाना बनाते हुए लिखा गया, “एक्स नामक शहर में, ईद के अवसर पर मुस्लिम लोगों का एक समूह अपनी रैली निकाल रहा था। वे अपने नारे लगा रहे थे और अपने त्यौहार मना रहे थे। जब वे एक हिंदू बहुल कॉलोनी की गलियों से गुज़र रहे थे, तो इलाके के हिंदुओं ने उन पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया और दावा किया कि उन्होंने हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाई है। क्या यह दावा सही है?” अनएकेडमी ने ऐसा तब लिख डाला, जब ये पूरी दुनिया में स्थापित हो चुका है कि हिंदुओं के जुलूस और त्यौहारों पर मुस्लिम कट्टरपंथी हमले करते हैं। लेकिन वापमंथी प्रचार तंत्र से जुड़े होने की वजह से अनएकेडमी ने पूरी पहचान को ही पलट दी। पीड़ित हिंदुओं की जगह मुस्लिमों को दिखाया और हिंदुओं को कट्टरपंथी दिखा दिया।

इस मामले में बवाल के बाद अनएकेडमी ने माफी माँगी और इस गलती के लिए थर्ड पार्टी को दोषी ठहरा दिया।

अनएकेडमी की गैर-जिम्मेदाराना हरकतें यही नहीं रुकी। सितंबर 2020 में अनएकेडमी से जुड़े शिक्षक वरुण अवस्थी ने अपनी ऑनलाइन क्लास में छात्रों को एके-47 उठाने के लिए उकसाया था। वरुण की टिप्पणी से अनएकेडमी ने खुद को अलग कर दिया था। इसके अलावा उसी साल अनएकेडमी के एक शिक्षक ने ब्राह्मणों के खिलाफ घटिया टिप्पणी की थी, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। उसने कहा था, “ब्राह्मण सबसे बेकार (कामचोर) समूह (समुदाय) हैं।”

इसके अलावा अगस्त 2023 में अनएकेडमी के शिरक्ष करण सांगवान ने छात्रों से ‘शिक्षित राजनेताओं’ के लिए वोट करने के लिए कहकर विवाद खड़ा कर दिया। उसने ब्रिटिश उपनिवेशवादियों की भी प्रशंसा की, जिन्होंने सही क़ानून बनाकर बेहतरीन काम किया और हाल ही में घोषित तीन नए कानूनों की आलोचना की, जो आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम की जगह लेते हैं। नेटिज़ेंस ने राजनीतिक प्रचार करने के लिए शिक्षा मंच का उपयोग करने के लिए सांगवान की कड़ी आलोचना की थी। इस मामले में सांगवान को अनएकेडमी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया।

अब ‘शैतान की गुफा’ विवाद पर वापस आते हैं। अनएकेडमी द्वारा इस अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल न केवल एक तथ्यात्मक गलती है, बल्कि हिंदू समुदाय पर एक गंभीर हमला है। यह एक ऐसी कहानी को आगे बढ़ाता है जो हिंदुओं और उनकी विरासत को बदनाम करने वाली ऐतिहासिक कट्टरता को बढ़ाती है। एजुकेशनल कंटेंट में इस तरह की अपमानजनक गलत बयानी खतरनाक है क्योंकि यह युवा दिमाग को आकार देती है और पहले से ही निशाना बनाए जा रहे हिंदू समुदाय के खिलाफ झूठी कहानियों को बढ़ावा देती है। अब जबकि अनएकेडमी ने अपनी सामग्री से आपत्तिजनक शब्द को हटा दिया है, तो इस घटना को एजुकेशनल कंटेंट के माध्यम से फैलाई जा रही हिंदुओं के खिलाफ आक्रामकता को लेकर एक चेतावनी की तरह देखा जाना चाहिए।

मार्तंड सूर्य मंदिर हिंदुओं के लिए एक पूजनीय स्थल है, जिसे सूर्य देवता के सम्मान में बनाया गया है और इसे इस्लामवादियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले अपमानजनक शब्द से लेबल करना हिंदू मंदिर के धार्मिक महत्व का घोर अपमान है। एक पवित्र हिंदू स्थल को “शैतान की गुफा” के बराबर मानना ​​एक घटिया तुलना है जो हिंदू मान्यताओं को नीचा दिखाती है और हिंदू विरासत को बदनाम करती है। ‘शैतान की गुफा’ शब्द इस्लामी आक्रमणकारियों की कट्टरता को दर्शाता है, जिन्होंने काफिर हिंदुओं की संस्कृति और धर्म को नष्ट करने की कोशिश की थी। इसे समकालीन संदर्भों में दोहराना, वह भी ‘एजुकेशनल’ प्लेटफॉर्म द्वारा, हिंदुओं के खिलाफ पूर्वाग्रह को बढ़ावा देने और इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने जैसा है।

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