अफगानिस्तान में तालिबान एक बार दोबारा से शरीया कानून लागू करके हर उस इमारत को तहस-नहस कर रहा है जो उनके हिसाब से इस्लाम के खिलाफ खड़ी हुई है। 90 के दशक में भी ऐसी तमाम तस्वीरें देखने को मिली थी। साल 2001 में तो तालिबान ने बमियान के बुद्ध को नष्ट कर दिया था जबकि वह केवल चट्टान और चूने पत्थर से निर्मित विशाल मूर्तियाँ थी। तालिबान की इस हरकत का विरोध विश्व भर में हुआ था। हालाँकि जाकिर नाईक जैसे कट्टरपंथी विचारधारा के लोग कई साल बाद तक इस कृत्य को जगह-जगह जस्टिफाई करते रहे।
साल 2016 में spiritual door नाम के यूट्यूब पर डाली गई जाकिर नाईक की एक वीडियो में देख सकते हैं कि कैसे जाकिर नाईक अपने फॉलोवर्स को समझा रहा है कि अफगानिस्तान में बुद्ध की मूर्ति को नष्ट करना उचित था। वह बताता है, “बुद्ध की मूर्तियों को नष्ट करके, तालिबान बौद्धों को शिक्षित कर रहे थे कि मूर्ति पूजा गलत थी। तुलनात्मक धर्म के छात्र के रूप में, मुझे पता है कि कोई भी बौद्ध ग्रंथ मूर्ति पूजा के बारे में बात नहीं करता है।”
इस वीडियो में जाकिर नाईक का एक फॉलोवर उनसे पूछता है कि तालिबान ने बुद्ध की मूर्ति को गैर इस्लामी बताते हुए नष्ट कर दिया। वो जानना चाहता है कि ये सच में गैर इस्लामी था या नहीं। इस पर नाईक खड़ा होता है और बताता है कि उससे ऐसा सवाल पहले भी किया गया है। वह कहता है, “तुलनात्मक अध्य्यन का छात्र होने के नाते मैं जो कहता हूँ वो ये कि तालिबान ने जो किया वो बौद्धों को शिक्षित करने के लिए था।”
सवाल का जवाब देने की बजाय नाईक अपने ज्ञान का बखान करता है और कहता है कि उसने बौद्ध ग्रंथों को पढ़ा है और ये बात बुद्ध ने कहीं भी नहीं लिखी कि मेरी मूर्ति बनाओ। ये सब बाद में हुआ अपनी वीडियो में नाईक ने खुद को और तालिबानी विचारधारा को सही साबित करने के लिए बुद्ध की तुलना ड्रग्स और भारत सरकार की तुलना तालिबान से करते हुए समझाया कि जब उससे किसी ने कहा कि बुद्ध की मूर्ति नष्ट करके सैंकड़ों लोगों को आहत किया गया है, तो उसने कहा,
“अगर भारत सरकार किसी व्यक्ति को 10 करोड़ के ड्रग्स के साथ पकड़ेगी तो सरकार क्या करेगी? इस पर पत्रकार ने कहा वह उसे जला देगी। इस पर मैंने कहा कि तुम जानते हो लाखों लोगों के लिए ड्रग ही भगवान है। तब क्या तुम सरकार के साथ रहोगे या फिर ये सोचोगे कि सरकार ने तो लाखों नशेड़ियों के विरुद्ध फैसला ले लिया?”
आगे वह कहता है, “भारत सरकार ने देखा कि चाहे ड्रग खत्म करने से लाखों लोगों को नुकसान होगा लेकिन चूँकि ड्रग से नुकसान होता है तो उन्होंने उसे जलाया। तुम वहाँ नहीं जा सकते न ही पूछ सकते कि ड्रग क्यों जलाया। इसी तरह अफगानिस्तान में वो मूर्ति उनकी प्रॉपर्टी है। अगर वो ऐसा कुछ दूसरे देश में आकर करते हैं तो हम आपत्ति जता सकते हैं। अपने देश में अपनी प्रॉपर्टी के साथ वो कुछ भी करें। चाहे तो रखें चाहे बर्बाद कर दें। हम आपत्ति नहीं जता सकते।” इसके बाद जाकिर भारत की तुलना अफगान से करता है और कहता है कि एयरपोर्ट के बाहर एक मूर्ति थी उसे भारत सरकार ने हटवाया क्योंकि कुछ लोगों ने आपत्ति जाहिर की थी। लेकिन तब किसी ने कुछ नहीं बोला और अफगानिस्तान की घटना पर निंदा होती है। ये सब वोट बैंक के कारण है।
Zakir Naik on Taliban destruction of Bamiyan Buddha Statue
— Girish (Headhunter) (@girishs2) September 8, 2021
"By destroying Buddha statues, Talibans were educating the Buddhists that idol worship was wrong. As a student of comparative religion, I know that no Buddhist scriptures talks about idol worship"https://t.co/tBtwRVm8dJ
बता दें कि जाकिर नाईक की ये पुरानी वीडियो यूट्यूब पर मौजूद है और अफगानिस्तान में एक बार दोबारा तालिबान की सरकार बनने के बाद इस वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है। हाल में इस पुरानी वीडियो को गिरीश नामक सक्रिय ट्विटर यूजर ने शेयर किया था।