सरकारों को 'इनेब्लर', यानी संबल की भूमिका निभानी चाहिए न कि वैसे पिता की जिसके स्नेह के चक्कर में बच्चा इतना चॉकलेट खाता है कि उसके सारे दाँत झड़ जाते हैं, और फिर नए दाँत बनवाने में और पैसे लगते हैं वो अलग।
आपको किसी ने जबरन तो नहीं कहा कि जियो का सिम ले लो और रिलायंस फ्रेश से ही सब्ज़ियाँ खरीदना? अडानी ने तो जबरदस्ती नहीं की आपके साथ? टाटा ने यह तो नहीं कहा कि मेरी कार नहीं लोगे तो मोदी को बता देंगे?