जिस धर्म के हजारों बड़े मंदिर तोड़ दिए गए, उनकी आस्था पर सिर्फ इस मकसद से हमला किया गया कि ये टूट जाएँ और यह विश्वास करने लगें कि उनका भगवान भी स्वयं के घर की रक्षा नहीं कर पा रहा, उस धर्म के लोग जब अपनी आस्था को पहचानने को खड़े हुए हैं तो उन्हें स्कूल और हॉस्पिटल की याद दिलाई जा रही है?
हाजी महबूब बाबरी मस्जिद के पैराकार हैं। इनका कहना है - "अब फ़ैसला आना तय है और इस मामले पर बहुतों ने बहुत कुछ बनाया, लेकिन मुझे पुरखों की ज़मीन से 9 बीघे ज़मीन इस केस के लिए बेचनी पड़ गई।"
1528-1731 के बीच विवादित स्थल पर कब्जे को लेकर दोनों सम्प्रदायों के बीच 64 बार संघर्ष हुए। 1822 में फैजाबाद अदालत के मुलाजिम हफीजुल्ला ने सरकार को भेजी एक रिपोर्ट में कहा कि राम के जन्मस्थान पर बाबर ने मस्जिद बनवाई।
प्रतिनिधिमंडल में संत समिति, अयोध्या के अध्यक्ष महंत कन्हैयादास; मणिरामदास चानवी के महंत कमलनयन दास; श्री रामचरित्रमण भवन के महंत अवधबिहारी दास; और स्थानीय भाजपा नेता वैश्य विनोद जायसवाल शामिल थे।
10 दिसंबर तक ज़िले में धारा-144 लागू रहेगी। इस मामले में 17 नवंबर तक फ़ैसला सुनाए जाने की उम्मीद है। मुस्लिम पक्ष 14 अक्टूबर तक अपनी दलीलें पूरी करेंगे। हिंदू पक्षकारों को अपना जवाब पूरा करने के लिए 16 अक्टूबर तक का समय मिलेगा।
"वे कौन होते हैं सद्भावना के नाम पर पेशकश करने वाले? क्या मुस्लिम जनसंख्या उन लोगों के बारे में कुछ जानती है? 0.1% मुसलमानों को भी उनके बारे में मालूम नहीं है।”
मध्यस्थता के लिए आयोजित इस बैठक का कुछ मुस्लिम संगठनों ने विरोध भी किया। इत्तेहादुल मुस्लिम मजालिस संगठन ने होटल के बाहर प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि जब 18 नवम्बर तक फ़ैसला आ जाएगा तो उससे पहले मध्यस्थता का क्या मतलब है?
आखिर अंग्रेज़ों के दस्तावेजों में चोरी-छिपे 'बाबरी मस्जिद' किसने जोड़ा? खुदाई में मिले साक्ष्यों से यह साफ़ है कि न केवल मस्जिद मंदिर तोड़कर बनी, बल्कि यह स्थल मस्जिद के सैकड़ों, हज़ारों साल पहले से मंदिर रहा है।
धवन ने इतिहास की बातों का जिक्र करते हुए कहा कि बाबर पर मन्दिर तोड़कर मस्जिद बनाने का इल्जाम लगाया जाता है। बाबर कोई विध्वंसक नहीं था। मस्जिद तो मीर बाकी ने बनाई थी, वो भी एक सूफी के कहने पर।