Friday, April 26, 2024
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अयोध्या विवाद: केस लड़ते-लड़ते बिक गई मुस्लिम पक्षकार की 9 बीघा जमीन? करेंगे टैक्सी मरम्मत का काम

मुस्लिम पक्ष के पैरोकार इक़बाल अंसारी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद वो फिर से टैक्सी मरम्मत का पुराना काम करेंगे। उन्होंने कहा कि उनके बेटे भी वही काम कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद मामले की सुनवाई पूरी हो गई है। 6 अगस्त से शुरू हुई नियमित सुनवाई बुधवार (अक्टूबर 16, 2019) तक चली। कुल मिला कर देखें तो 40 दिन तक इस मामले की नियमित सुनवाई चली। दशकों से सुप्रीम कोर्ट में लंबित राम मंदिर मसले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के लिए अब 23 दिन और इंतज़ार करना पड़ेगा।

इस मामले में संविधान पीठ ने फ़ैसला सुरक्षित रख लिया है। इस मामले की सुनवाई पिछले 8 वर्षों से सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। 2011 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया था, लेकिन इससे जुड़े संबंधित दस्तावेज़ों को निचली अदालत और इलाहाबाद हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचने में 3 साल का समय लग गया। इसके अलावा इस मामले से जुड़े 7 भाषाओं में हज़ारों पेज़ के दस्तावेज़ों का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद न हो पाने की वजह से भी मामले की सुनवाई कई वर्षों तक अटकी रही। सुप्रीम कोर्ट को इस संदर्भ में 11 बार आदेश जारी करने पड़े, उसके बाद 8 साल में सभी दस्तावेज़ों का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद हो सका। 

दैनिक भास्कर की ख़बर के अनुसार, मुस्लिम पक्ष के पैरोकार इक़बाल अंसारी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद वो फिर से टैक्सी मरम्मत का पुराना काम करेंगे। उन्होंने कहा कि उनके बेटे भी वही काम कर रहे हैं। साथ ही कभी राजनीति में न आने की बात भी उन्होंने कही। बता दें कि इक़बाल के 5 बेटे और एक बेटी हैं। इक़बाल अंसारी को बाबरी मस्जिद की पैरोकारी उनके पिता हाशिम अंसारी की छोड़ी विरासत से मिली थी। इक़बाल की सुरक्षा में तैनात 3 सुरक्षा गार्ड उनके घर के बाहर अधूरे टिन शेड में रहते हैं। वहीं, हाजी महबूब भी बाबरी मस्जिद के पैराकार हैं। इन्हें भी पिता से पैरोकारी विरासत में मिली। महबूब का कहना है कि अब फ़ैसला आना तय है। इस मामले पर बहुतों ने बहुत कुछ बनाया, लेकिन मुझे पुरखों की ज़मीन से 9 बीघे ज़मीन इस केस के लिए बेचनी पड़ गई।

जहाँ एक तरफ़ अयोध्या विवाद मामले के फ़ैसले पर पूरे देश की नज़रें गड़ी हुईं हैं, वहीं मुस्लिम पैरोकार अपना दुखड़ा रोते नज़र आ रहे हैं… इनमें से एक अपना टैक्सी मरम्मत का काम फिर से शुरू करेंगे, तो दूसरे को पुरखों की ज़मीन बिक जाने का ग़म सता रहा है।

मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने बनाने के पूरा घटनाक्रम को पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

ग़ौरतलब है कि ज़मीन विवाद का टाइटलसूट श्रीराम लला विराजमान के नाम है, जो पहले गोपाल सिंह विशारद के नाम से था। गोपाल के निधन के बाद उनके उत्तराधिकारी राजेंद्र सिंह पैरोकार हैं। लेकिन, 1989 से हाईकोर्ट में यह मामला श्रीराम लला विराजमान बनाम सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के नाम से चल रहा है। श्रीराम लला के दोस्त के रूप में केस के पक्षकार त्रिलोकीनाथ पांडेय का कहना है कि हाईकोर्ट की 3 जजों की बेंच ने 2010 में श्रीराम लला के पक्ष में फ़ैसला सुनाया था, लेकिन 2.77 एकड़ ज़मीन को 3 हिस्सों में सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड व निर्मोही अखाड़ा के बीच बाँट दिया। 

राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट 23 दिनों के भीतर अपना फ़ैसला सुना देगा। सीजेआई रंजन गोगोई 18 नवम्बर को रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में पहले से ही कयास लगाए जा रहे थे कि वह रिटायरमेंट से पहले इस बहुप्रतीक्षित फ़ैसले की सुनवाई पूरी कर देंगे और फ़ैसला सुना देंगे।

वहीं, विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु सदाशिव काेकजे को उम्मीद है कि अयाेध्या मामले में सुप्रीम काेर्ट हिंदुओं के पक्ष में फ़ैसला सुनाएगा। उन्हाेंने कहा कि जिस तरीके से मुस्लिम पक्ष ने सुनवाई में व्यवधान डालने की कोशिश की, उसके मद्देनज़र 16 अक्टूबर का दिन ऐतिहासिक दिन होगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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