कश्मीर से जुड़े मामले संविधान पीठ को भेजने के संदर्भ में CJI ने कहा कि अभी हमारे पास बाकी मामले सुनने का समय नहीं है क्योंकि अभी अयोध्या मामले पर सुनवाई चल रही है, जोकि अंतिम चरण में है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर 18 अक्टूबर तक बहस पूरी करने का आदेश दिया है। सीजेई के मुताबिक अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर चार हफ्ते के अंदर कोई फैसला लेना किसी चमत्कार से कम नहीं होगा।
वर्तिका सिंह ने कोर्ट में दी याचिका में इकबाल अंसारी पर मारपीट का आरोप लगाया था। साथ ही इकबाल अंसारी समेत 5 के खिलाफ देशद्रोह और कई अन्य मामलों को लेकर यह याचिका दायर की थी।
"1985 में राम जन्मभूमि न्यास बना और 1989 में केस दाखिल किया गया। इसके बाद सोची समझी नीति के तहत कार सेवकों का आंदोलन चला। विश्व हिंदू परिषद ने माहौल बनाया जिसके कारण 1992 में बाबरी मस्जिद गिरा दी गई।"
सुप्रीम कोर्ट में वकील राजीव धवन ने मुस्लिम पक्ष की ओर से बहस को आगे बढ़ाते हुए दावा किया कि केंद्रीय गुंबद की पूरी कहानी ही 19वीं शताब्दी में गढ़ी गई थी। हिन्दुओं के केंद्रीय गुंबद के नीचे पूजा करने का कोई सबूत नहीं है।
इस मामले में हिंदू और मुस्लिम पक्षों के सलाह-मशवरे के बाद के परासरन, सीएस वैद्यनाथन और राजीव धवन ने दलीलें ख़त्म करने के लिए अनुमानित समय का ज़िक्र किया। पाँच जजों वाली संविधान पीठ ने...
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अयोध्या मामले की सुनवाई बहुत आगे पहुॅंच गई है। यदि पक्ष मध्यस्थता के जरिए मामला सुलझाने के इच्छुक हैं, तो वे ऐसा कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज कलीफुल्ला की अगुवाई वाली मध्यस्थता पैनल के समक्ष हो रही सुनवाई गोपनीय रहेगी।
बाबरी मस्जिद सुन्नी वक़्फ़ के एकाधिकार में हमेशा से रही है। गर हिन्दू रामजन्मभूमि की सटीक जगह बता दें तो सुन्नी वक्फ बोर्ड श्रीरामजन्मभूमि से मस्जिद हटा लेगा।
सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्वाणी अखाड़ा ने एक बार पुनः मध्यस्थता की माँग उठाई है और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त मध्यस्थता पैनल के अध्यक्ष पूर्व न्यायाधीश कलीफुल्ला को पत्र लिखा है।