"हिंदुओं को पूजा करने का मौलिक अधिकार मुस्लिमों के संपत्ति के अधिकार से ऊपर है। जब भी दोनों के बीच कोई विवाद होता है, तो सुप्रीम कोर्ट हमेशा मौलित अधिकारों के पक्ष में फैसला सुनाता है। मुझे विश्वास है कि सर्वोच्च न्यायालय नवंबर में हमारे पक्ष में अपना फैसला सुनाएगा।"
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद की सुनवाई के दौरान पूछा था कि क्या श्री राम के कोई वंशज अभी भी हैं। इसके बाद भाजपा नेत्री राजकुमारी दीया कुमारी, राजस्थान कॉन्ग्रेस के प्रवक्ता सत्येंद्र सिंह राघव और मेवाड़ राजघराने के अरविंद सिंह मेवाड़ ने खुद को भगवान राम का वंशज बताया था।
'वे (हिंदू) वहाँ पूजा करते थे, लेकिन मस्जिद पर मालिकाना हक वक्फ और मुस्लिम का ही था।' - मुस्लिम पक्ष के वकील धवन ने जैसे ही यह बात कोर्ट में रखी, उन पर SC के जज ने सवाल दागा - क्या हिंदू-मुस्लिम एक साथ प्रार्थना कर सकते हैं? इसे लेकर इस्लामिक कानून क्या है?
"इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए 2010 के फैसले में, विवादित भूमि का एक तिहाई हिस्सा दूसरे समुदाय को दिया गया था, न कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को। इसलिए वो अपना हिस्सा हिन्दुओं को देना चाहते हैं। इसका एक आधार यह भी है कि बाबरी मस्जिद शिया वक्फ की संपत्ति है।"
"यह तो स्पष्ट है कि मस्जिद को मंदिर के ऊपर बनाया गया था। मंदिर के अवशेष उस जगह से मिले हैं। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि मंदिर को ध्वस्त कर मस्जिद बनाई गई। बाबर के जमीन का मालिक होने का सबूत नहीं है। सुन्नी वक्फ बोर्ड का मामले में दावा ही नहीं बनता।"
राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में दलीलें रखते हुए कहा था कि विवादित ढाँचा बाबर ने बनवाई, इसका कोई प्रमाण नहीं है। इसके लिए उन्होंने बाबरनामा, आईने अकबरी, हुमायूँनामा, तुजुक-ए-जहाँगीरी का हवाला दिया था।
रामजन्मभूमि पुनरुद्धार समिति ने अपनी दलीलें रखते हुए कहा कि तीन गुंबद वाली इमारत मस्जिद नहीं थी। मस्जिद में जिस तरह की चीज़ें ज़रूरी होती हैं, वो उसमें नहीं थी। विवादित ढाँचा बनवाने वाला कौन था, इस पर संदेह है।
पूर्व कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गॉंधी और अन्य विपक्षी नेताओं के जम्मू-कश्मीर दौरे पर इकबाल अंसारी का दो टूक। कहा, “कॉन्ग्रेस अगर कश्मीर जाना चाहती है, तो जाए, लेकिन कश्मीर पर राजनीति न करे, क्योंकि कॉन्ग्रेसियों की राजनीति अब हिन्दुस्तान से खत्म होने वाली है और खत्म हो जाएगी।”
रामलला के वकील ने अदालत से कहा कि थोड़ी देर के लिए मान भी लिया जाए कि वहाँ कोई मंदिर, कोई देवता नहीं थे, फिर भी लोगों का विश्वास है कि श्रीराम का जन्म वहीं हुआ था। ऐसे में वहाँ पर मूर्ति रखना उस स्थान को पवित्रता प्रदान करता है।