1927 में मुस्लिमों ने एक हिन्दू शादी में बैंड बजाने पर बवाल कर दिया था। विद्यार्थी ने कुछ नेताओं के साथ मिल कर एक मस्जिद के सामने संगीत बजाकर इस मानसिकता का विरोध किया।
"मिशनरियों के पास पैसे की कोई कमी नहीं है। मेरे बेटे के जाल में फँसने के बाद उसके व्यवहार में बदलाव आने लगा था। मेरी पत्नी शाम को पूजा करती थी तो वो आपत्ति जताता था।"