इससे पहले एक महीने में जान देने वाले किसानों का आँकड़ा 300 के पार 2015 में पहुॅंचा था। राजस्व विभाग के आँकड़े बताते हैं कि बारिश में किसानों की 70% खरीफ़ की फसल नष्ट हो गई। अक्टूबर से नवंबर के बीच आत्महत्या में 61 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
इससे पहले मई में वायनाड के कर्ज में डूबे 53 वर्षीय किसान दिनेश कुमार ने जहरीला पदार्थ खाकर कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। दिनेश ने तीन बैंकों से 10 लाख रुपए का कर्ज लिया था और बैंक वसूली के लिए उस पर दबाव बना रहे थे। इससे आजिज आकर उसने आत्महत्या कर ली थी।
पुलिस और प्रशासन से वार्ता बेनतीजा रहने के बाद शुक्रवार (जुलाई 5, 2019) को महापंचायत बुलाने का फैसला किया गया है, जिसमें आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी। धरने पर बैठे लोगों ने माँग पूरी न होने पर किसान के शव का अंतिम संस्कार नहीं करने की चेतावनी दी है।
सुसाइड नोट में सोहनलाल ने लिखा, "मैं आज अपनी जीवन लीला समाप्त करने जा रहा हूँ। इसमें किसी का कोई दोष नहीं है। इस मौत के जिम्मेदार गहलोत व सचिन पायलट हैं। उन्होंने बकायदा बयान दिया था कि हमारी सरकार आई तो 10 दिन में आप का कर्ज माफ कर देंगे। अब इनके वादे का क्या हुआ। सभी किसान भाइयों से विनती है कि मेरी लाश तब तक मत उठाना जब तक सभी किसानों का कर्ज माफ ना हो।
रामकुमार सिंह के पिता के नाम पर ₹9,547 का कर्ज़ जबकि उनके नाम पर ₹70,481 का कर्ज़ लिख दिया गया। जबकि उन्होंने चने की फसल के लिए केवल ₹17,000 का कर्ज़ लिया था, उनके पिता ने कोई कर्ज़ नहीं लिया था।