कुछ रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि कर्नाटक में गोबी मंचूरियन और कॉटन कैंडी पर बैन लग गया है। लेकिन हकीकत में बैन उसमें पड़ने वाले कलरिंग एजेंट में लगा है।
माना जाता है कि भुवनेश्वर के पास "पहला" नाम के गाँव में दूध की बर्बादी होते देखकर मंदिर के पुजारियों ने ही उन्हें रसगुल्ला बनाने और दूध को बचा लेने की विधि सिखाई। इस तरह ओडिशा में "पहला रसगुल्ला" के नाम से ये प्रसिद्ध हुआ।