आरोप है कि इन लोगों ने ईसाई धर्म की पवित्र पुस्तक बाइबल की शब्दावली का मज़ाक उड़ाया। फराह ख़ान ने बाइबिल का एक शब्द बोला और भारती सिंह को ब्लैकबोर्ड पर लिखने को कहा। आरोप लगाया गया है कि शो में बाइबिल के शब्द को अश्लील रूप में पेश किया गया।
ऐसे कई और यौन शोषण की घटनाएँ हैं जो चर्च में पादरियों द्वारा अंजाम दी गई हैं। भारत में केरल का मामला तो चल ही रहा है। कहा जाता है पूरे विश्व में ऐसे अनगिनत मामले हैं जहाँ पादरियों ने न सिर्फ बच्चों बल्कि नन को भी नहीं बख्शा है।
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में 2 दशक तक राजनीतिक विज्ञान पढ़ाने वाले गौतम सेन का कहना है कि धर्मांतरण के अलावा 'चर्च प्लांटिंग' भी एक अहम मुद्दा है। इसके तहत राज्य के कई गाँवों में मंदिरों से ज्यादा चर्च बना दिए गए हैं ताकि उसका प्रभाव दिखे।
वायरल हुए इस वीडियो के पीछे के प्रोपेगेंडा को समझना है तो इसे किन हस्तियों द्वारा कैसे शेयर किया गया, ये देखें। इस वीडियो को ट्विटर पर शेयर करते हुए कॉन्ग्रेस सांसद शशि थरूर ने लिखा, "ओह यस- उनके कपड़ों को देखकर आप बता सकते हैं कि वो कौन हैं।"
पीड़ित लड़कियों की शिकायत पर इन सभी आरोपितों को इसी साल 17 जून को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है। लेकिन एनजीओ की शिकायत पर सुनवाई के दौरान इन सभी आरोपितों को बरी कर दिया गया।
"कॉन्वेंट्स में जवान ननों को पादरियों के पास उनके 'यौन सुख' के लिए भेजा जाता है। वहाँ उन्हें घंटों नंगे खड़ा रखा जाता है। वो लगातार गिड़गिड़ाती रहती हैं लेकिन उन्हें जाने नहीं दिया जाता है। 'सेफ सेक्स' के लिए आयोजित 'प्रैक्टिकल क्लास' में पादरी और भी कई कुकर्म करते हैं।"
स्थानीय निवासी के अनुसार वह अपने परिवार के एक सदस्य को लेकर बीमारी से ठीक करवाने के लिए इन पादरियों की धर्मपरिवर्तन सभा में गया था। जहाँ कुछ ग्रामीणों ने उससे कहा कि धर्मपरिवर्तन के बाद एक शीशी से पवित्र जल पिलाने से उसके परिजन की बीमारी दूर हो जाएगी।
चर्च की सामुदायिक सेवाओं के दौरान सहयोग करने तीन युवकों ने पादरियों पर लगाए यौन शोषण के आरोप। इनका शोषण अस्सी के दशक में किया गया जब उनकी उम्र 10 से 14 साल के बीच थी।
केरल में सिस्टर लूसी कलाप्पुरा को रोमन कैथोलिक चर्च के अंतर्गत आने वाले ‘द फ्रांसिस्कन क्लारिस्ट धर्मसभा’ (एफसीसी) से निष्कासित कर दिया गया है। जिसे लेकर उन्होंने चर्चों की महासभा को एक पत्र लिखा है।