"जब मैं राजनीति से जुड़ा था, उस वक्त मैं नंबर-1 सुपरस्टार था, लेकिन राजनीति से जुड़ने के लिए मैंने सब छोड़ दिया, और चुनाव में मैं अपने क्षेत्र से ही हार गया, क्योंकि मेरे प्रतिद्वंदी ने करोड़ों रुपए खर्च किए, सिर्फ़ मुझे हराने के लिए। इसके बाद ऐसा ही पवन कल्याण के साथ हुआ।"।
कार्ति चिदंबरम ने कहा कि रजनीकांत ने कश्मीर मसले और भारत के संवैधानिक इतिहास को समझे बिना मोदी-शाह की तुलना कृष्ण-अर्जुन की जोड़ी से कर दी। उन्होंने कहा कि रजनीकांत पर सेलेक्टिव मसलों पर ही बयान देने का भी आरोप लगाया है।
सुपरस्टार रजनीकांत ने अपने चिर-परिचित अंदाज में कहा कि इन दोनों में अर्जुन कौन है और कृष्ण कौन, इसका जवाब यही दोनों नेता दे सकते हैं। इस दौरान अमित शाह भी मंच पर मौजूद थे। उन्होंने आर्टिकल 370 पर संसद में शाह के संबोधन को भी विलक्षण बताया।
रजनीकांत ने कहा कि यह जीत मोदी की जीत है और वह एक करिश्माई नेता हैं। कॉन्ग्रेस के ताज़ा नेतृत्व संकट पर उन्होंने कहा कि राहुल गाँधी को पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा नहीं देना चाहिए क्योंकि लोकतंत्र में विपक्ष भी मज़बूत होना चाहिए।
एक तरफ जहाँ नसीरुद्दीन शाह सहित 600 कलाकरों ने लोकतंत्र कमज़ोर होने का बहाना बनाते हुए मोदी को वोट न देने की अपील की है, रजनीकांत ने कहा है कि उसे ही वोट दें जो जल संकट का समाधान कर सके। रजनीकांत ने भाजपा के 'River Interlinking' परियोजना की प्रशंसा की।